सेमिनार :: शहरों के विकास के साथ जल प्रबंधन है ज़रूरी

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शहरों के विकास के साथ जल प्रबंधन भी जरूरी है :अंतराष्ट्रीय जल सम्मेलन में टेबल हुए शोध पत्र

27 वें विश्व जल दिवस पर अन्तर्राष्ट्रीय जल सम्मलेन का मैनिट में शुभारम्भ

भोपाल
23/3/24
मध्य प्रदेश विज्ञानं और प्रद्योगिकी परिषद के अध्यक्ष डॉ अनिल कोठारी ने दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया.
उन्होंने कहा कि धरती पर जल सीमित है इसलिए जरूरी है कि हम जल का उपयोग संवेदनशीलता के साथ करें.
उन्होंने भारतीय परम्पराओं के कई उदाहरण दिए, कहा कि हमारी परंपराओं में कोई भी ऐसा धार्मिक कार्य नहीं होता जिसमें जल कलश स्थापित न हो।यहीं जल का महत्व सिद्ध होता हैं, नदियों को माँ का दर्ज़ा मिला है. पुराणों में सुन्दर सरोवर, जलशय कुएँ, बावड़ी आदि लोक हित में देवी देवताओं, ऋषि मुनि, राजा महराजा द्वारा बनवाने का जिक्र वेदों में भी मिलता है। हमारा काम है कि हम इन्हे संरक्षित रखें.
उन्होंने कहा कि शहरों के विकास की गति में आगामी 45 वर्षों में जल प्रबंधन कैसा हो, इस पर शोध कार्य आवश्यक है।
इस अवसर पर जल सम्बंधित विभन्न विभागों से प्रमुख वक्ताओं ने अपनी बात रखी। सम्मेलन में 162 शोध पत्रों का वचन हुआ.
भारत सरकार की नल जल योजनाओं के अलावा विभन्न कार्य योजनाओं, और जल प्रबंधन, केंद्र बेतवा लिंक परियोजना को बताया गया।