उच्च शिक्षा आयुक्त के विरुद्ध डिप्टी सीएम से कम्प्लेन:12 साल से संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को एक साल से वेतन नहीं

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प्रदेश में शासकीय महाविद्यालयों में 12 साल से संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को उच्च शिक्षा विभाग से नियमित पद के वेतनमान का कम से कम 90 प्रतिशत वेतन मांगना महंगा पड़ा है। इन्हें एक साल से वेतन भी नहीं दिया जा रहा है। इसकी भी शिकायत विभाग के अफसरों से की गई जिस पर कर्मचारियों से नाराज उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों ने वेतन देने के साथ अब इन कर्मचारियों को संविदा के बजाय आउट सोर्स एजेंसी के हवाले कर सेवा में रखने का आदेश जारी करना शुरू कर दिया है। इसके चलते कालेजों में काम कर रहे 700 कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अफसरों की इस कार्यवाही के बाद अब यह मामला सीएम हाउस तक पहुंचा गया है।

मंगलवार को इन कर्मचारियों ने डिप्टी सीएम और वित्त व वाणिज्यिक कर विभाग के मंत्री जगदीश देवड़ा से मिलकर उनसे भी उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों की मनमानी की शिकायत की है। मंत्री के बंगले पहुंचे कर्मचारियों ने बताया कि वे 2012-13 से प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर प्रयोगशाला तकनीशियन, प्रयोगशाला परिचारक, भृत्य, स्वीपर, चौकीदार समेत अन्य पदों पर काम कर रहे हैं। शासन द्वारा बनाई गई नीति के आधार पर सतना जिले के नागौद में पदस्थ कर्मचारियों को तय वेतनमान के न्यूनतम 90 प्रतिशत का वेतन दिया जाने लगा है। इसी आधार पर उनके द्वारा भी उच्च शिक्षा विभाग से 90 प्रतिशत वेतन मांगा गया। साथ ही डेढ़ साल से रुके हुए वेतन के भुगतान की मांग की गई।

कर्मचारी बोले, वेतन मांगा तो नाराज कमिश्नर ने आउट सोर्स एजेंसी के हवाले किया

कर्मचारियों के अनुसार इसको लेकर वे उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त निशांत वरवड़े से मिले थे और शिकायत की थी। शिकायत के बाद उनके वेतन की राशि तो जारी कर दी गई लेकिन कालेज के प्राचार्यों को जो आदेश वेतन मान देने को लेकर जारी किए जा रहे हैंं उसमें वेतन मांगने वाले कर्मचारियों को संविदा के बजाय आउटसोर्स कैटेगरी में डालने के लिए भी आदेशित किया जा रहा है। ऐसे में जहां उन्हें अभी 12 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा है वह पांच से छह हजार रुपए हो जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त ने ताजा आदेश मंदसौर, छतरपुर के शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों के लिए जारी किया है जिसमें संबंधित कर्मचारियों को आउटसोर्स एजेंसी सेडमैप से नियुक्त बताकर कलेक्टर रेट पर मिलने वाले भुगतान के बजाय मामूली वेतन देने के लिए कहा गया है। इस तरह कालेजों में काम करने वाले 700 कर्मचारियों के वेतन और भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। डिप्टी सीएम देवड़ा ने इन कर्मचारियों की समस्याओं का समुचित समाधान करने को कहा है।

उच्च शिक्षा मंत्री को जानकारी नहीं, फाइल तलब

कर्मचारियों ने डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा से कम्प्लेन करने के बाद उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार के यहां भी शिकायत की है। इसके बाद मंत्री के यहां से इस मामले की फाइल तलब की गई है। दूसरी ओर डिप्टी सीएम देवड़ा से मुलाकात के बाद इन्हें सीएम हाउस में भी कम्प्लेन के लिए भेजा गया जहां सीएम के ओएसडी को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी गई है। सीएम हाउस भी इस मामले की रिपोर्ट तलब करेगा।