रोहित बोले- कोच-मैनेजमेंट ने खुली छूट दी, जिससे वर्ल्डकप जीते:द्रविड़, शाह और अगरकर को क्रेडिट दिया

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भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने बुधवार को कहा कि टीम के पूर्व चीफ कोच राहुल द्रविड़, सेलेक्शन कमिटी के अध्यक्ष अजित अगरकर और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI)के सचिव जय शाह ने रिजल्ट की चिंता किए बिना उन्हें पूरी छूट दी। जिसकी वजह से ही हम लोग टी-20 वर्ल्ड कप जीतने में सफल हुए।

भारत ने रोहित की कप्तानी में इस साल अमेरिका और वेस्टइंडीज में हुए टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में साउथ अफ्रीका को हरा कर 17 साल बाद खिताब अपने नाम किया।

रोहित ने एक कार्यक्रम में साल का सर्वश्रेष्ठ पुरुष अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर चुने जाने के बाद कहा, मेरा सपना था कि बिना रिजल्ट और आंकड़ों की चिंता किए बिना इस टीम को बदलूं। टीम में एक ऐसा माहौल तैयार करूं जहां, खिलाड़ी मैदान पर बिना कुछ चिंता किए खुल कर खेल सकें। इसके लिए मुझे सपोर्ट की जरूरत थी।

मुझे यह सपोर्ट अपने तीन स्तंभों से मिली जो असल में जय शाह, राहुल द्रविड़ और चयन समिति के अध्यक्ष अजित अगरकर हैं। मैंने जो किया वह मेरे लिए महत्वपूर्ण था और निश्चित रूप से उन खिलाड़ियों को भी नहीं भूलना चाहिए जो अलग- अलग समय पर आए ओर टीम को हासिल करने में मदद की जो हमने हासिल किया।

वर्ल्ड कप जीतने का अहसास शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता’
रोहित ने कहा कि वर्ल्ड जीतने की खुशी को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। यह एक ऐसा अहसास था जो हर दिन नहीं आ सकता। जब हमने वर्ल्ड कप जीता, तो हम सभी के लिए उस पल का आनंद लेना महत्वपूर्ण था, जिसे हमने काफी अच्छी तरह किया और हमारे साथ जश्न मनाने के लिए हमारे देश को भी धन्यवाद।

जितना यह हमारे लिए मायने रखता था, उतना ही यह पूरे देश के लिए भी मायने रखता था। इसे वापस घर लाना और यहां सभी के साथ जश्न मनाकर बहुत अच्छा लगा।

बल्ले की वजन की चिंता नहीं करता
रोहित ने आगे कहा,’मेरे लिए बल्ले का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है। मैंने बहुत से लोगों को देखा है जो ‘बल्ले में कितने दाने हैं’, ‘बल्ले का वजन कितना है’ और ‘यह बाहर से कैसा दिखता है’ के बारे में बहुत सोचते हैं, लेकिन मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं। मैं बल्ला उठाता हूं और अगर मुझे लगता है कि यह सही बल्ला है, तो मैं उसी से खेलता हूं।”

टी-20 वर्ल्ड कप के बाद हमारी उम्मीदें बढ़ी
रोहित ने कहा की टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद हमारी महत्वकांक्षा बढ़ी है। एक बार आप जब कुछ हासिल कर लेते हैं और आगे भी उसे हासिल करना चाहते हैं और आप रूकना नहीं चाहते हैं। जैसा मैं सोच रहा हूं, शायद मेरे टीम के अन्य खिलाड़ी भी यही सोचते होंगे।