राधा-गोविंद के लिए आएगी हीरे-मोती से जड़ित पोशाक, इस्कॉन मंदिर पुणे देगा विशेष भेंट

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इंदौर। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी एक मत से स्मार्त और वैष्णव कृष्ण मंदिर में 26 अगस्त के दिन द्वापर में बने कृष्ण जन्म जैसे संयोग में मनाई जाएगी। शहर के नवीन और प्राचीन मंदिरों में पारंपरिक परंपराएं तो निभाई जाएगी साथ ही कई नवाचार भी होंगे। राधा-गोविंद मंदिर (इस्कॉन) निपानिया में राधा-गोविंद के लिए खास हीरे-मोती जड़ित लाख रुपये की पोषक मंगाई जा रही है। इसके साथ प्राचीन गोपाल, बांके, बिहारी, यशोदा माता मंदिर, रामानुजकोट मंदिर में विभिन्न स्वरूप में विशेष आयोजन होंगे।

इस्कॉन इंदौर के अध्यक्ष स्वामी महामनदास ने बताया कि हर वर्ष जन्माष्टमी पर आने वाले हजारों भक्तों में भगवान का मनोहारी स्वरूप उनके मन में बस जाता है। इसे खास बनाने के लिए इस बार तीन महिने के विशेष प्रयास से कारीगरों ने विशेष पवित्रता के रेशमी पोशाक का निर्माण किया है। इसमें लाल-पीले और हरे रंग का उपयोग किया गया है।सुनहरे रंग की बॉर्डर है। इसमें अलग-अलग रंग और आकार के मोतियों का उपयोग किया गया है।

उनको नजर नहीं लगे इसलिए नींबू की माला भी पहनाई जाएगी। मीडिया प्रभारी हरि अग्रवाल कहते है कि उत्सव में ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका से भक्तों का आगमन शुरू हो गया है।परिसर में 10-10 हजार वर्ग फुट वाटरप्रूफ पंडाल बनाया जा रहा है, जहां भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेगा स्क्रीन लगाई जाएगी, जिस पर कृष्ण जन्मोत्सव के सभी प्रसंग दिखाई देंगे।

कही हर वर्ष बदलता प्रभु के जन्म का दिन तो कही कसौटी के पत्थर बनी मूर्ति

150 साल पुराने रामानुजकोट मंदिर यशवंत गंज में एक वर्ष जन्माष्टमी के दिन, उसके अगले वर्ष जन्माष्टमी के अगले दिन और तीसरे वर्ष एक महीने बाद सूर्य की संक्रांति में रोहिणी नक्षत्र होने पर अष्टमी मनती है। विजयाचार्य स्वामी इस बार 27 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

शहर का 131 साल पुराने खजूरी बाजार स्थित यशोदा माता मंदिर में माता यशोदा की गोद में भगवान कृष्ण बाल स्वरूप में है। पुजारी पं. मनीष दीक्षित बताते है कि 26 को सुबह अभिषेक, रात को महापूजा और जन्म आरती होगी। 27 को छप्पन भोग और 28 को लड्डू गोपाल के विशेष दर्शन होंगे।

252 साल पुराने राधा-कृष्ण मंदिर, आड़ा बाजार में कसौटी के पत्थर से बनी मूर्तियों का पूजन किया जाएगा। राधा-कृष्ण का पंचामृत और औषधियों से अभिषेक किया जाएगा। शहर के राजवाड़ा स्थित होलकर कालीन सरकारी गोपाल और बांके बिहारी मंदिर में भी तैयारियां शुरू हो गई है। पुजारी बालमुकुंद पाराशर ने बताया कि सुबह अभिषेक पूजन और बाल भोग लगेगा। बांके बिहारी मंदिर की तपस्विनी विमलाबाई बताती है कि फूल बंगला और शृंगार दर्शन होंगे।