बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ हिंसा; 39 की मौत:प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियां फूंकी, सरकारी चैनल में आग लगाई

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बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हफ्ते भर से जारी विरोध-प्रदर्शन अब उग्र हो गया है। प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार शाम बांग्लादेश के मुख्य सरकारी टीवी चैनल BTV के मुख्यालय में आग लगा दी। AFP की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार शाम को सैकड़ों प्रदर्शनकारी BTV ऑफिस के कैंपस में घुस आए और 60 से ज्यादा गाड़ियां भी फूंक दी।

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कल ही BTV को इंटरव्यू दिया था। छात्रों और पुलिस के बीच गुरुवार को हिंसक झड़पें भी हुईं। PTI की रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा में गुरुवार को कम से कम 18 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा 2500 से अधिक लोग घायल हुए। प्रदर्शन शुरू होने के बाद से कम से कम 39 लोगों की मौत हुई है।

बांग्लादेश में जारी हिंसा के बाद वहां से भारतीय लोगों का पलायन शुरू हो गया है। न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि हिंसा के बाद वहां फंसे 300 से अधिक भारतीय, नेपाली और भूटानी नागरिक मेघालय पहुंच गए हैं। इनमें से अधिकांश छात्र हैं। असम सरकार ने कहा कि वह पड़ोसी देश में रह रहे अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विदेश मंत्रालय के संपर्क में है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भड़की हिंसा
बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ और इसी साल से वहां पर 56 फीसदी कोटा सिस्टम लागू हो गया था। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को नौकरी में 30%, पिछड़े जिलों के लिए 10%, महिलाओं के लिए 10%, अल्पसंख्यकों के लिए 5% और 1% विकलांगों को दिया गया। इस हिसाब से सरकारी नौकरियों में 56% आरक्षण है।

साल 2018 में 4 महीने तक छात्रों के प्रदर्शन के बाद हसीना सरकार ने कोटा सिस्टम खत्म कर दिया था, लेकिन बीते महीने 5 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर से आरक्षण लागू करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि 2018 से पहले जैसे आरक्षण मिलता था, उसे फिर से उसी तरह लागू किया जाए।

शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपील भी की मगर सुप्रीम कोर्ट ने अपना पुराना फैसला बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए। अब इसी के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है।

PM हसीना बोलीं- छात्रों को न्याय मिलेगा
इससे पहले बुधवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। उन्होंने घोषणा की है कि रिजर्वेशन के खिलाफ आंदोलन में हुई मौतों की जांच के लिए एक न्यायिक जांच समिति बनाई जाएगी। उन्होंने छात्रों से देश की न्यायिक प्रणाली में विश्वास बनाए रखने की अपील की।

हसीना ने आरक्षण विरोध प्रदर्शन में हुए जानमाल के नुकसान पर दुख जताया है। उन्होंने छात्रों से अपील कि है कि वे उपद्रवियों को स्थिति का फायदा उठाने का मौका न दें। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने हत्याएं की हैं, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, उन्हें कटघरे में लाया जाएगा, चाहे वे किसी भी पार्टी से जुड़े हों।

चुनाव के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर प्रदर्शन
इस साल जनवरी में हुए आम चुनाव के बाद ये पहली बार है जब देश में इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों को 1971 में बांग्लादेश को आजादी दिलाने वाले लोगों के बच्चे भी शामिल हैं। लोगों का कहना है कि हसीना सरकार ने उन लोगों को आरक्षण दिया है, जिनकी आमदनी ज्यादा है।

ये लोग वे लोग हैं जिन्हें हसीना का वोटर्स माना जाता है। सरकार का कहना है कि विकलांग लोगों और अल्पसंख्यक समुदाय लोगों को नौकरी में 30% आरक्षण दिया गया था।