सभी विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों की नहीं हो रही पदोन्नति

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*108 विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों का क्या है गुनाह ?*

करीब 70 हजार से अधिक कर्मचारी और अधिकारी बिना पदोन्नति प्राप्त किए ही सेवानिवृत्त हो गए हैं।

भोपाल 6/1/2024

मध्यप्रदेश में उच्च न्यायालय ने  अप्रैल 2016 से पदोन्नति की प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है। यह रोक मध्यप्रदेश के सभी 108 विभागों पर लागू है।आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछले करीब 8 सालों से विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं होने पाई है। इस कारण करीब 70 हजार से अधिक कर्मचारी और अधिकारी बिना पदोन्नति प्राप्त किए ही सेवानिवृत्त हो गए हैं।
किन्तु भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के धड़ल्ले से बिना कोई रूकावट के प्रति वर्ष प्रमोशन हो रहे हैं। इन अधिकारियों को प्रतिवर्ष के प्रथम माह के प्रथम सप्ताह में ही पदोन्नति आदेश की सौगातें मिल जाती हैं।

मध्यप्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा हाल ही में अपने आदेश क्रमांक ई-1/242/2023/05/01 भोपाल दिनांक 1 जनवरी 2024 द्वारा 12 वरिष्ठ अधिकारियों की पदोन्नति आदेश जारी किए है। ये अपर सचिव के अधिकारी थे, जो अब सचिव स्तर के हो गए है। इसके अतिरिक्त 9 आईएएस अधिकारियों को वरिष्ठ वेतनमान भी दे दिया गया है। जब उच्च न्यायालय की पदोन्नति पर रोक है, तो इनके प्रति वर्ष पदोन्नति आदेश कैसे जारी हुए.
इसी प्रकार हाल ही में गृह विभाग द्वारा 33 आईपीएस अफसरों को पदोन्नत कर दिया गया है। 2 अधिकारी एडीजी बन गए है। 33 अधिकारी आईजी हो गए है और 18 अधिकारी डीआईजी बन चुके हैं। 1999 बैच के अफसर आईजी से एडीजी बने हैं। 2006 बैच के अफसर डीआईजी से आईजी हो गए हैं और 2009-10  बैच के अफसर एसपी से डीआईजी बन गए हैं। जब उच्च न्यायालय की पदोन्नति पर रोक है, तो इनके प्रति वर्ष आदेश कैसे हो गए.
इसके साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के भी पदोन्नति हर साल हो रही है। यही नहीं इन दोनों सेवाओं के अधिकारियों के न केवल प्रमोशन हो रहे हैं बल्कि उन्हें राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस भी अवॉर्ड हो रहे हैं। इसी प्रकार राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों की पदोन्नति के साथ उन्हें आईपीएस भी अवॉर्ड हो रहे हैं।  वर्ष 2016 से हाईकोर्ट ने पदोन्नति पर रोक लगा रखी है फिर भी इनके  प्रमोशन  हो रहे हैं.,

विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों पर ही यह आदेश प्रभावशील किया जा रहा है। भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी भी जब राज्य की सेवा में पदस्थ किए जाते हैं, तो वे भी राज्य के ही कर्मचारी और अधिकारी माने जाते हैं। तब फिर इन पर हाईकोर्ट का आदेश प्रभावशील क्यों नहीं हो रहा है. इसके साथ ही यह भी विसंगति है कि राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा तो राज्य के ही सेवक हैं तो फिर इनकी प्रति वर्ष पदोन्नति और इन्हें आईएएस और आईपीएस कैसे अवॉर्ड हो रहे हैं.
राज्य सरकार जब राज्य प्रशासनिक सेवा, राज्य पुलिस सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों का प्रमोशन कर रही है तो क्या कारण है कि वह 108 विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों का प्रमोशन  नहीं कर रही है.

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय के  अप्रैल 2016 के पदोन्नति पर रोक के आदेश राज्य के सभी विभागों पर समान रूप से लागू होते हैं। उस आदेश में किसी को कोई छूट नहीं दी गई है। किन्तु, इन 108 विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रमोशन क्यों नहीं हो रहे हैं, यह एक शाश्वत प्रश्न है। 108 विभागों के लाखों अधिकारियों और कर्मचारियों का यह यक्ष प्रश्न है।

हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने डॉ. मोहन यादव ने अच्छे और चौंकाने वाले निर्णय लिए हैं। उनसे अपेक्षा है कि वे इस ओर भी ध्यान देंगे।