एड्स की रोकथाम के लिये जन-सामान्य का जागरूक होना जरूरी – प्रमुख सचिव डॉ. गोविल

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विश्व एड्स दिवस के मौके पर आज भोपाल में मध्यप्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा होटल पलाश में 'समुदाय लाते हैं बदलाव'' विषय पर हुई संगोष्ठी में एड्स नियंत्रण के क्षेत्र में कार्य कर रहे स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. पल्लवी जैन गोविल ने संगोष्ठी में कहा कि एड्स की रोकथाम के लिये जन-सामान्य का जागरूक होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि एड्स दिवस हमें अब तक किये गये कायों का मूल्यांकन करने और बेहतर आगामी योजना तैयार करने का अवसर देता है। उन्होंने कहा कि एचआईवी वायरस के बारे में युवाओं को जानकारी देना बेहद महत्वपूर्ण है। प्रमुख सचिव ने कहा कि इस बीमारी से ग्रस्त जिन लोगों तक हमारी पहुँच नहीं हो सकी है, समुदाय का सहयोग लेकर उनके लिए प्रभावी तरीके से काम किया जा सकता है।
परियोजना संचालक डॉ. अरुणा गुप्ता ने प्रदेश में एड्स नियंत्रण के लिये किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। अपर परियोजना संचालक डॉ. राकेश मुंशी ने बताया कि समिति का प्रयास है कि एड्स नियंत्रण में स्वयंसेवी संगठनों की अधिक से अधिक मदद ली जाए। अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ ट्रांसजेंडर बोर्ड सुश्री विद्या राजपूत ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ट्रांसजेंडर को संगठित करके एड्स की रोकथाम के लिये अच्छा काम किया गया है। वहाँ की राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडरों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिये विशेष पहल की है। अध्यक्ष इण्डिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स सुश्री कुसुम नागर ने बताया कि एड्स की रोकथाम में सेक्स वर्कर्स को जागरूक करके लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सेक्स वर्कर्स को सरकारी योजनाओं से जोड़कर उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। हमसफर ट्रस्ट के श्री यशविंदर सिंह ने कहा कि वर्ष 2020 में एड्स विषय पर होने वाली अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में मध्यप्रदेश में एड्स के क्षेत्र में किये गए कार्यों की सफलता की कहानियों को भेजा जाना चाहिए। नई दिल्ली के श्री आलोक मोहन अग्रवाल ने एड्स नियंत्रण के क्षेत्र में कम्युनिटी लीडर के योगदान के बारे में जानकारी दी।
मध्यप्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा आज होटल पलाश से जागरूकता रैली निकाली गई। यह रैली रंगमहल, रोशनपुरा, बाणगंगा चौराहा होते हुए पलाश में सम्पन्न हुई। रैली में सामाजिक कार्यकर्ता, अशासकीय संगठनों के प्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक शामिल थे।