नालंदा और तक्षशिला की शिक्षण संस्कृति को अपनाएं विश्वविद्यालय – राज्यपाल

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राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने आज इंदौर सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी के पहले दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल प्रदान किए। उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी और यूनिवर्सिटी के संस्थापक, पद्मभूषण डॉ. एस.बी. मजूमदार दीक्षांत समारोह में शामिल हुए।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि जब हम नए भारत के निर्माण की बात करते हैं, तब हमें शिक्षा के अपने पुरातन इतिहास को याद करना होगा, जिसके दम पर दुनिया हमें विश्व-गुरू मानती थी। उन्होंने कहा कि विध्वंसकारी शक्तियों द्वारा समय के साथ हमारी शिक्षा सम्पदा को भी लूटा गया, साहित्य को जलाया गया। इन सब के बावजूद हमारे विद्वानों ने श्रुति और स्मृति के आधार पर शैक्षणिक इतिहास और साहित्य को बार-बार पुनर्जीवित किया। राज्यपाल ने कहा कि हमें पुरातन शिक्षण व्यवस्था की नींव पर नए भारत की इमारत खड़ी करनी होगी। श्री लालजी टंडन ने कहा कि भारत को पुन: विश्वगुरू का दर्जा दिलाने के लिए विश्वविद्यालयों को नालंदा और तक्षशिला की शिक्षण प्रणाली को अपनाना होगा।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी ने कहा कि हमें विद्यार्थियों को सम्पूर्ण व्यक्ति बनाने वाली शिक्षा व्यवस्था को अपनाना होगा। उन्हें शिक्षा के साथ संस्कार, देशभक्ति और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस दिशा में निरन्तर प्रयास कर रही है लेकिन अकेले सरकार के दम पर यह बदलाव लाना संभव नहीं है। इसमें निजी विश्वविद्यालयों को भी भागीदारी निभानी होगी।

यूनिवर्सिटी के संस्थापक, पद्मभूषण डॉ. एस.बी. मजूमदार ने गोल्ड मेडल प्राप्त विद्यार्थियों से कहा कि आपकी शिक्षा जरूर पूरी हो गई हो लेकिन सीखने की शुरूआत अब होगी। आपको आगे चलकर समाज का सामना करना होगा। अच्छे और बुरे अनुभव भी होंगे। उन्होंने कहा कि वो अनुभव किसी भी प्रोफेसर की तुलना में आपको ज्यादा शिक्षा देंगे। डॉ. मजूमदार ने छात्र-छात्राओं से कहा कि कभी उम्मीद न छोडें।

वाइस चांसलर डॉ. संजय कुमार ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि यूनिवर्सिटी में 70 फीसदी व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है। तीस से ज्यादा प्रयोगशालाओं में अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग होता है। यूनिवर्सिटी में 20 विद्यार्थियों के समूह पर एक शिक्षक उपलब्ध कराया गया है।