देश में सरकारी स्कूलों की स्थित कितनी बदतर है. इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मध्य प्रदेश के 67902 स्कूलों में बिजली नहीं है. आपको ये आंकड़ा सुनने में भले ही हैरानी हो रही है लेकिन हकीकत तो यही है कि मध्य देश की राजधानी भोपाल के सरोटीपुरा के एक प्राथमिक स्कूल न बिजली है और न ही पानी का कनेक्शन है. इसके अलावा राज्य में ऐसे 67,902 स्कूल मौजूद हैं, जिनमें बुनियादी सुविधाओं की कमी है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अकेले भोपाल में 855 ऐसे स्कूल हैं, जहां बिजली नहीं है. वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा के 2620 स्कूलों में बिजली का कनेक्शन नहीं है.शिक्षा मंत्री प्रभूराम चौधरी के गृह जिले रायसेन में 2173 स्कूल बिजली विहीन है. सबसे बुरे हालत धार में 3558, रीवा में 3747, सतना में 2779 और खरगौन में 2918 स्कूल बिना बिजली के हैं कमोबेश यही हाल सभी 52 जिलों का है.
वहीं इस बारे में सरोटीपुरा के एक प्राथमिक स्कूल के टीचरअनूप सिंह ने इंटरव्यू में बताया कि यहां बिजली या पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इतना ही नहीं यहां कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक ही कमरा है. ऐसे में बच्चों को पढ़ाना बहुत ही मुश्किल है. हम एक ही कमरे में दीवार के विभिन्न किनारों पर बोर्ड लगाते हैं हम वहीं पढ़ाते हैं.