उज्जैन में हो रही ‘पुष्पा’ वाले लाल चंदन की खेती:सिंहस्थ में इसी से महाकाल का होगा अभिषेक

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चंदन तस्करी पर बनी फिल्म पुष्पा में जिस लाल चंदन का जिक्र है, वह अब उज्जैन की जमीन पर भी लहलहा रहा है। साल 2022 में वन विभाग ने शहर के उदयन रोड के पास 1.74 हेक्टेयर एरिया में चंदन के 600 पौधे लगाए थे। जिनकी ऊंचाई अब 6 से 7 फीट तक हो चुकी है। इस बगीचे को चंदन वन नाम दिया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर वन विभाग ने इसकी जानकारी छिपाकर रखी थी।

लाल चंदन आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के जंगलों में मिलता है। मध्यप्रदेश सरकार ने साल 2022 में किसानों को चंदन की खेती के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट के तौर पर ये 600 पौधे मंगवाए थे। इनकी देखभाल कर रहे डिप्टी रेंजर अनिल सेन के मुताबिक, चंदन के पौधे दिसंबर 2028 तक पेड़ में तब्दील हो जाएंगे। इसके बाद इनकी कटाई होगी।

गुड़, गौमूत्र, बेसन से निर्मित जीवा अमृत खाद डाली लाल चंदन को उगाने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन और उसके हिसाब की जमीन सबसे जरूरी है। इसके मद्देनजर उज्जैन में विक्रमनगर रोड पर वन भूमि चुनी गई। पहले भूमि की जुताई कर समतल किया गया। फिर एक महीने तक जमीन काे खुला छोड़ दिया गया। इसके बाद 3-3 मीटर की दूरी पर 2 बाय 2 के गड्‌ढे किए गए।

पहले इनमें लाल तुंवर की बोवनी की गई। तुंवर की हाइट एक फीट होने के बाद इसमें नीम खली, केंचुआ खाद डालकर लाल चंदन का पौधा लगाया गया। इसकी वजह यह थी कि लाल चंदन परजीवी पौधों के साथ पनप सके।

चंदन वन प्रभारी वनपाल रजनी चौहान ने टीम के साथ गुड़, गौमूत्र, बेसन से निर्मित जीवा अमृत से सारे चंदन के पौधों की देखभाल की।

लाल चंदन के साथ सफेद चंदन के पौधे भी लगाए उज्जैन के इसी चंदन से सिंहस्थ-2028 में भगवान महाकालेश्वर का अभिषेक किया जाएगा। देशभर से आने वाले साधु-संतों काे चंदन से तिलक कर अगवानी की जाएगी। इसी मकसद से वन विभाग ने पहली बार उज्जैन में लाल के अलावा सफेद चंदन के भी पौधे लगाए थे। सिंहस्थ के पहले ये तैयार हो जाएंगे।