ममता सरकार बोली- कोलकाता रेप-मर्डर के दोषी को फांसी हो:हाईकोर्ट में याचिका

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कोलकाता रेप और मर्डर के दोषी संजय रॉय को सोमवार को सियालदह कोर्ट ने उम्रकैद (मरते दम तक जेल) की सजा सुनाई। इस फैसले के खिलाफ ममता सरकार मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंच गई।

बंगाल सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने सियालदह कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका लगाई। इसमें कहा- दोषी संजय रॉय की उम्रकैद की सजा सही नहीं है। उसे फांसी की सजा होनी चाहिए।

कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस देबांग्शु बसक ने याचिका स्वीकार कर ली है। हालांकि, इसकी सुनवाई कब शुरू होगी, इसकी अभी जानकारी सामने नहीं आई है।

सियालदह कोर्ट के जज अनिर्बान दास ने सोमवार, दोपहर 2:45 बजे सजा सुनाते हुए कहा था, ‘यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है। इसलिए मौत की सजा नहीं दी सकती।’

इसके बाद पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया X पर लिखा- मुझे पूरा विश्वास है कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला है जिसके लिए मौत की सजा मिलनी चाहिए। कोर्ट यह कैसे कह सकता है कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है?

घटना के 164वें दिन दोषी को सजा मिली

सियालदह कोर्ट ने 18 जनवरी को संजय को दोषी ठहराया था। घटना के 164वें दिन (20 जनवरी) सजा पर 160 पेज का फैसला सुनाया था। CBI और पीड़ित परिवार ने मौत की सजा मांगी थी।

मौत की सजा क्यों नहीं मिली, दोषी संजय की वकील ने बताया

संजय रॉय की वकील सेनजुति चक्रवर्ती ने  बताया, ‘हमने कोर्ट से डेथ पेनल्टी की सजा सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का ध्यान रखने की दलील रखी थी। डेथ पेनल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है, जिसमें बताया गया है कि किस-किस केस में डेथ पेनल्टी होना चाहिए और किस-किस केस में इससे बचना चाहिए।”

”सुप्रीम कोर्ट कहता है कि जब किसी व्यक्ति के रिहैबिलिटेशन, करेक्शन यानी सुधरने की संभावना होती है, तो उस वक्त अदालत को डेथ पेनल्टी देने से बचना चाहिए। डेथ पेनल्टी तभी देना चाहिए जब दोषी के सुधरने की कोई संभावना ही ना हो।”

”यह मामला रेयरेस्ट और रेयर मामला है या नहीं, ये हमने कोर्ट के ऊपर ही छोड़ दिया था। आज हमने कोर्ट में दलील दी और कहा कि दोषी के सुधार की संभावना है और इस केस में ऐसा कोई सबूत नहीं आया कि दोषी को डेथ पेनल्टी दी जाए।”

”सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन यह भी कहती है कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मामले में जो भी सबूत आए हैं, उसके अलावा भी कुछ चीजें कोर्ट तक न पहुंच पाती है या किसी कारण से कुछ तथ्य छूट जाते हैं। ऐसे में किसी को डेथ पेनल्टी देने से बचा जाता है।”

पीड़ित की फैमिली हाथ जोड़कर बोली- मुआवजा नहीं चाहिए

जज ने कहा कि पीड़ित की मौत ड्यूटी के दौरान अस्पताल में हुई थी। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो पीड़ित की फैमिली को मुआवजा दे। कोर्ट ने डॉक्टर की मौत के लिए 10 लाख और रेप के लिए 7 लाख मुआवजा तय किया। कोर्ट में मौजूद ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने हाथ जोड़कर कहा कि हमें मुआवजा नहीं, न्याय चाहिए।

इस पर जज ने कहा- मैंने कानून के मुताबिक यह मुआवजा तय किया है। आप इसका इस्तेमाल चाहे जैसे कर सकते हैं। इस रकम को अपनी बेटी के रेप और मर्डर के मुआवजे के तौर पर मत देखिए।

पीड़ित के पेरेंट्स बोले- फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे

ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने कहा है कि वे दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के सेशन कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस क्यों नहीं है। उन्होंने दावा किया कि जांच ठीक से नहीं हुई है। कई लोगों को बचाया गया है। सेशन कोर्ट से फैसले की कॉपी मिलने के बाद हम हाईकोर्ट जाएंगे। ​​​​​​

मौत की सजा क्यों नहीं मिली, दोषी संजय की वकील ने बताया

संजय रॉय की वकील सेनजुति चक्रवर्ती ने बताया, ‘हमने कोर्ट से डेथ पेनल्टी की सजा सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का ध्यान रखने की दलील रखी थी। डेथ पेनल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है, जिसमें बताया गया है कि किस-किस केस में डेथ पेनल्टी होना चाहिए और किस-किस केस में इससे बचना चाहिए।”

”सुप्रीम कोर्ट कहता है कि जब किसी व्यक्ति के रिहैबिलिटेशन, करेक्शन यानी सुधरने की संभावना होती है, तो उस वक्त अदालत को डेथ पेनल्टी देने से बचना चाहिए। डेथ पेनल्टी तभी देना चाहिए जब दोषी के सुधरने की कोई संभावना ही ना हो।”

”यह मामला रेयरेस्ट और रेयर मामला है या नहीं, ये हमने कोर्ट के ऊपर ही छोड़ दिया था। आज हमने कोर्ट में दलील दी और कहा कि दोषी के सुधार की संभावना है और इस केस में ऐसा कोई सबूत नहीं आया कि दोषी को डेथ पेनल्टी दी जाए।”

”सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन यह भी कहती है कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मामले में जो भी सबूत आए हैं, उसके अलावा भी कुछ चीजें कोर्ट तक न पहुंच पाती है या किसी कारण से कुछ तथ्य छूट जाते हैं। ऐसे में किसी को डेथ पेनल्टी देने से बचा जाता है।”

पीड़ित की फैमिली हाथ जोड़कर बोली- मुआवजा नहीं चाहिए

जज ने कहा कि पीड़ित की मौत ड्यूटी के दौरान अस्पताल में हुई थी। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो पीड़ित की फैमिली को मुआवजा दे। कोर्ट ने डॉक्टर की मौत के लिए 10 लाख और रेप के लिए 7 लाख मुआवजा तय किया। कोर्ट में मौजूद ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने हाथ जोड़कर कहा कि हमें मुआवजा नहीं, न्याय चाहिए।

इस पर जज ने कहा- मैंने कानून के मुताबिक यह मुआवजा तय किया है। आप इसका इस्तेमाल चाहे जैसे कर सकते हैं। इस रकम को अपनी बेटी के रेप और मर्डर के मुआवजे के तौर पर मत देखिए।

पीड़ित के पेरेंट्स बोले- फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे

ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने कहा है कि वे दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के सेशन कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस क्यों नहीं है। उन्होंने दावा किया कि जांच ठीक से नहीं हुई है। कई लोगों को बचाया गया है। सेशन कोर्ट से फैसले की कॉपी मिलने के बाद हम हाईकोर्ट जाएंगे। ​​​​​​