प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन के मामले में देश के अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बने मध्यप्रदेश में संपदा 2.0 वर्जन लागू होने के बाद घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा मिल रही है, लेकिन नामांतरण को लेकर शहरी इलाकों में दिक्कत हो सकती है। राजस्व और नगरीय विकास विभाग की अलग-अलग प्रक्रियाओं के चलते फ्लैट और अपार्टमेंट के मामलों में नामांतरण उलझ सकता है। शहरी इलाकों में ठेकेदार और बिल्डर फ्लैट की रजिस्ट्री तो करा देते हैं, लेकिन जमीन के रिकॉर्ड से जुड़े नामांतरण में समस्याएं होती हैं।
इसलिए गुरुवार से प्रदेशभर में शुरू हो रहे संपदा 2.0 वर्जन के दायरे में पहले वही रजिस्ट्री के मामले शामिल होंगे जो मॉडगेज किए जाने वाले होंगे। हालांकि इसकी संख्या भी बहुतायत में ही रहेगी क्योंकि मौजूद दौर में बैंक फाइनेंस के बगैर नाममात्र लोग की प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराते हैं।
शहरी इलाकों में ज्यादा समस्या
प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि प्रदेश में संपदा प्रणाली से होने वाली रजिस्ट्री का फायदा यह है कि रजिस्ट्री होते ही नामांतरण संबंधी दस्तावेज सीधे तहसीलदार के पास पहुंच जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में तो इसको लेकर ज्यादा दिक्कत नहीं है लेकिन शहरी इलाकों में बने फ्लैट, अपार्टमेंट के मामले में रिकार्ड संबंधी दिक्कत है। यहां ठेकेदार, बिल्डर, डेवलपर फ्लैट, अपार्टमेंट बना देते हैं और फिर इसकी रजिस्ट्री अलग-अलग नामों से कराते हैं।
ऐसे में जिस खसरा नम्बर की जमीन पर फ्लैट, अपार्टमेंट बना है, उसका नामांतरण उसी ठेकेदार, बिल्डर या डेवलपर के नाम पर होगा। खास बात यह भी है कि नामांतरण का काम शहरी इलाके में राजस्व विभाग के साथ नगरीय निकाय नगर निगम, नगरपालिका द्वारा भी किया जाता है। इसलिए भी तकनीकी दिक्कत का सामना सरकार को करना पड़ सकता है। इसे देखते हुए राजस्व और नगरीय विकास व आवास विभाग इसका कोई विकल्प तलाशने में जुटे हैं।
नगर निकायों में हो सकती है तहसीलदारों की पदस्थापना
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि चूंकि राजस्व विभाग के तहसीलदार ही जमीन के मामलों में पूरी तरह एक्शन लेने और सरकार के हितों को ध्यान में रखते हुए भूमि रिकार्ड दुरुस्त रखने का काम करते हैं। इसलिए शहरी इलाकों में विवादास्पद मामलों के निपटारे के लिए सरकार तहसीलदार स्तर के अफसरों की अलग से पोस्टिंग नगरीय निकायों के लिए कर सकती है।
इसको लेकर अफसरों के बीच वरिष्ठ स्तर पर मंथन चल रहा है। जल्दी ही मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह मामला लाकर तहसीलदारों की नियुक्ति किए जाने का फैसला भी सरकार कर सकती है ताकि गुरुवार से शुरू हो रहे संपदा 2.0 का क्रियान्वयन आसानी से किया जा सके।