जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी में अमावस्या पर दादागुरुदेव की बड़ी पूजा सम्पन्न

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रायपुर। जिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी , भैरव सोसायटी में अमावस्या के अवसर पर उपाध्याय महेन्द्र सागर के सुशिष्य विवेक सागर मसा की पावन निश्रा में दादागुरुदेव कई बड़ी पूजा श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सम्पन्न हुई। इस अवसर पर मुनि विवेक सागर ने कहा कि दादागुरुदेव की पूजा जीवन में सुख समृद्धि शान्ति के साथ धर्ममय जीवन जीने की प्रेरणा देती है। मुनि विवेक सागर ने श्रद्धालुओं को भजन प्रकट प्रभावी है ओ गुरुवर परम् उपकारी हैं, ओ गुरुवर चरणों में हम चढ़ावें श्रद्धा सुमन के माध्यम से जिनकुशल सूरि के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला।

सीमंधर स्वामी जैन मंदिर व दादाबाड़ी ट्रस्ट के अध्यक्ष संतोष बैद व महासचिव महेन्द्र कोचर ने बताया कि इसी के साथ ही लाभार्थी परिवारों द्वारा अक्षत नारियल पान पत्ता के साथ पूर्ण विधि विधान से मंत्रोच्चार के साथ स्थापना का विधान पूर्ण किया। इसी के साथ संगीतमय चौपाइयों के द्वारा गुरु महिमा का बखान करते भजन गायक वर्द्धमान चोपड़ा आर्गन वादक अवधेश के द्वारा ईश्वर जग चिंतामणि कर परमेष्टि ध्यान गणधर पद गन वर्णना पूजन करो सुजान के बोलो के साथ नवहन पूजा का आगाज किया इसी के साथ द्वितीय विधान केशर चंदन पूजा का आगाज सुप्रसिद्ध भजन गायक विवेक बैद ने दिन के दयाल राज सार सार तू के साथ किया प्रत्येक विधान के पश्चात  प्राकृत के श्लोकों के द्वारा समर्पण भक्तो द्वारा किया गया।

कुल 11 विधान में क्रमशः जल चंदन पुष्प धूप दीप अक्षत नैवैद्य फल वस्त्र कलात्मक मार्बल कि छतरी में विराजमान गुरुदेवों की मूर्तियों को भक्तगणों ने समर्पित किया। 10 वे विधान ध्वज पूजा में महिलाओ ने चांदी की 11 ध्वजाओं को मस्तक पर रखकर चवँर धूप दीप के साथ छतरी की 3 फेरी देकर शिखर पर ध्वजाओं को आरूढ़ किया। ध्वज पूजा के चौपाइयों को गुरुभक्त वर्धमान चोपड़ा ने अपनी मधुर आवाज में ध्वज पूजन कर हरख भरी हरख भरी रे देवा हरख भरी के बोलो व गुरुवर तेरे चरणों की गर धूल जो मिल जाये सच कहता हूं मेरी तगदीर संवर जाये के भाव पूर्ण भजनों से भक्ति का समय बांध दिया। ट्रस्टी डॉ योगेश बंगानी ने कहा कि 11 वें विधान अर्ध्य पूजा में गुरु चरणों के अर्ध्य को समस्त भक्तो को प्रदान कर मंगल कामना कि। बड़ी पूजा के लाभार्थी परिवारों द्वारा पूजा की समाप्ति पर प्रभावना दी गई । बड़ी पूजा आरती मंगल दीपक के साथ सपन्न हुई।