1600 करोड़ के टेंडर के बाद पी.एच.ई विभाग द्वारा एक नये घपले की तैयारी

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29/जून/2019
भोपाल(म.प्र.ब्यरो)

(आर.एस.अग्रवाल)

1600 करोड़ के टेंडर के बाद पी.एच.ई विभाग द्वारा एक नये घपले की तैयारी


भोपाल 29 जून 2019- मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जल निगम एवं पी.एच.ई. विभाग की समीक्षा बैठक में जहां 1600 करोड़ के टेंडर में जांच बैठाने की बात कही थी, वहीं पी.एच.ई के आला आफिसर लघु उद्योग निगम के आॅफिसरों की मिली भगत से एक नये टेंडर की तैयारी शुरू कर दी है। इस संबंध में जानकारी प्राप्त हुई है कि पी.एच.ई. विभाग ने म.प्र. लघु उद्योग निगम के माध्यम से वाॅटर फील्ड टेस्टिंग किट एवं भ्2ै वायल पोर्टेबल (वाॅटर टेस्टिंग किट) के पृथक-पृथक टेंडर आमंत्रित किये गये थे। दोनों टेंडरों की दरें खुलने के पश्चात् निविदा कर्ताओं ने जून 2019 में (अलग-अलग दोनों निविदाओं पर ) अनुबंध भी कर लिया है। इसके बाद दोनों टेंडरों को मिलाकर किसी नये टेंडर की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हर जिले में पेयजल की शुद्धता के मापदण्ड के अुनसार अलग-अलग प्रयोग किये जाते हैं।
वर्षा ऋतु को देखते हुए प्रदेश में अशुद्ध पेयजल की भीषण समस्या है। इस समस्या को दूर करने के लिए किट क्रय किया जाना सुनिश्चित किया जाना था ताकि आम जनता को अशुद्ध पेयजल से निजात दिलाया जा सके। किन्तु पी.एच.ई. के आला आफिसरों ने एक नया हथकंडा अपनाकर किसी व्यक्ति विशेष पार्टी को लाभ पहुंचाने के दृष्टिकोण से दोनों किटों को मिलाकर इन्टीग्रेटेड वाॅटर फील्ड टेस्ट किट का नाम देकर लघु उद्योग निगम के माध्यम से एक नया टेंडर आमंत्रित किया गया है। इस टेंडर को आमंत्रित करने के पीछे तथ्य यह है कि किसी व्यक्ति विशेष से आर्थिक लाभ लेकर टेंडर आमंत्रित किया गया है, जो कि पूर्णतः अवैधानिक एवं शरारतपूर्ण है जिससे प्रदेश के किट निर्माताओं में हड़कम्प मची हुई है। जबकि तथ्य यह है कि पी.एच.ई अलग-अलग जिलो में किटों का क्रय जल के अशुद्धिकरण के मापदण्डों के आधार पर जल परीक्षण हेतु करती है ताकि आम जनता को दूषित पेयजल पीने से सावधान किया जा सके। दोनों किटों का तथ्यात्मक पहलु यह है कि वाॅटर फील्ड टेस्ट किट तत्काल परीक्षण कर शुद्धता का निर्णय करती है और भ्2ै वायल 36 घण्टे के बाद पेयजल की शुद्धता का निर्णय करता है। इस संबंध में तथ्य यह भी है कि दोनों के रेट खुलने के पश्चात् आमंत्रित नये टेंडर में निविदाकर्ता पूर्व टेंडरों को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे ताकि म.प्र. के लघु निर्माताओं को बाहर करके किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहंुचाया जा सके।
वाॅटर फील्ड टेस्ट किट का निर्माण भारतीय मानक ब्यूरो, वल्र्ड हेल्थ आॅर्गनाईजेशन, भा.भा. एटोमिक रिसर्च सेंटर ( ठ।त्ब्) के मापदण्डों के आधार पर निर्मित किया जाता है। इसमें किसी भी प्रकार की हेरा-फेरी उनके बिना पूर्ण अनुमति के नही किया जा सकता है, जबकि भ्2ै वायल का निर्माण क्त्क्व् नयी दिल्ली के फाॅर्मुले पर आधारित है। इसलिए दोनों किटों को मिलाकर टेंडर निकाला जाना पूर्णतः अवैधानिक है जिससे म.प्र. में किट निर्माता प्रभावित होंगे। इस संबंध में म.प्र. के पी.एच.ई मंत्री, लघु उद्योग निगम के प्रबंध संचालक, पी.एच.ई. के प्रमुख सचिव के ध्यान में उक्त तथ्य लाये गयें हैं किन्तु अभी तक इस भ्रष्ट अनुशंसा को अमान्य नहीं किया गया है।
किट निर्माताओं ने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल उक्त टेंडर को निरस्त नहीं किया गया तो आर्थिक अपराध शाखा एवं लोकायुक्त को यह प्रकरण सौंपकर तत्काल न्याय की मांग की जाएगी.