श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया मटका टपक पद्धति से पौधारोपण.

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श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया मटका टपक पद्धति से पौधारोपण.   15/6/19
बुरहानपुर।
 रविवार को वट सावित्री पूर्णिाम पर ताप्ती नदी किनारे स्थित मोहना संगम पर मोहनासंगमेश्वराय नमःसुंदरकांड, शिव अभिषेक, महाआरती एवं विषाल भंडारे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) ने सम्मिलित होकर प्रकृति प्रेमियों के साथ मटका टपक पद्धति से पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण व जल संवर्धन का संदेष दिया।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस नेे कहा कि सारा संसार, समस्त भारतवर्ष और हमारा बुरहानपुर व अपने गांव आज जिस संकट में है अगर उससे भी नहीं जागे तो न तो प्रकृति बचेगी और न ही संस्कृति। श्रीमती चिटनीस ने कहा कि पेड़ अर्थात् प्रकृति ही है। प्रकृति ने हमें इतना अधिक दिया है जिसकी अंश मात्र ही भरपाई हम करना चाहे तो पौधे को पेड़ स्वरूप दिलाकर पौधारोपण और पर्यावरण को संरक्षित करके ही अपना दायित्व निभा सकते है।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि पेड़ अपने समाज में कही पूजा तो कही अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है। महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए पेड़ की परिक्रमा करती है और वट सावित्री पर वट वृक्ष की पूजा का वैज्ञानिक महत्व भी है। पौधा केवल पानी देने से पेड़ नहीं बन सकता। पौधे को प्यार से और लगातार देखरेख करके खाद-पानी देकर पेड़ का स्वरूप लेते हुए देखा जा सकता है। बिना प्यार और बिना चिंता किए पौधा कभी पेड़ नहीं बन सकता। एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान होता हैं, जो हमें छोटा रहते हुए ऑक्सीजन तो देता है, बड़ा होने पर फल देता हैं। इसके अलावा वही वृक्ष विशाल आकार लेने के बाद छाया भी देता है।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया कि जब भी पौधा लगाए तो मटका टपक पद्धति से पौधारोपण करें, क्योंकि पौधों को पानी के साथ-साथ ठंडक मिलती है। इस नमी के कारण पौधों में दोगुनी वृद्धि होती हैं। पानी भी कम लगता है। मटका टपक पद्धति से पौधारोपण करने पर शत-प्रतिषत पौधे जिंदा रहते है। यह पद्धति आसान है और 15 से 20 दिन में मटकेे में पानी भरना होता है। मटका भरने के बद सिंचाई की परेषानी नहीं होती। मटके से रिसकर पानी अपने आप पौधे को मिलता है।
ज्ञात हो कि श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बुरहानपुर में पौधारोपण से आम जनता को जोड़ा। झांझर, कुंडी भंडारा, रेणुका माता रोड, फोफनार, धामनगांव, ईच्छापुर, लालबाग रोड सहित नगर-गांव के हर डगर को केवल वृक्षारोपण नहीं वरन् वन (पेड़) को संस्कार स्वरूप में दिया। मटका आधारित सिंचाई से पौधे को वृक्ष बनाने तक लगातार अभियान चलाया जा रहा है। बुरहानपुर में 10 वर्ष पूर्व पौधा लगाने की बात पर कही सघन बस्ती का तर्क तो कही हंसी का पात्र बनने जैसी परिस्थितियां थी। किन्तु इन 10 वर्षांे में पौधारोपण जन-जन से जुड़ा कार्यक्रम बन चुका है। कुछ लोग जो सघन बस्ती में पेड़ कहा लगाए इस प्रकार की बातें किया करते थे उन्हें हर गली और मोहल्ले में मटके से सिंचाई करने वाली व्यवस्था पर आधारित पौधारोपण आज वृक्ष स्वरूप में देखने को मिल सकता है। बुरहानपुर जो गली और गर्द के लिए जाना जाता था अब हरियाली और वृक्षारोपण के लिए पहचान बनाने लगा है।
कार्यक्रम में वट सावित्री पूर्णिमा पर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को दर्षन के बाद पौधारोपण के लिए प्रेरित किया गया और उन्हें एक पौधे की जिम्मेदारी दी गई, ताकि वे मंदिर आने पर पानी का मटका भरें और पौधंे को बड़ा करें।
कार्यक्रम में श्री अखिल भारतीय पूजारी संत समिति, विष्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू स्वाभिमान युवा एकता समिति एवं श्री राम सेना डाकवाड़ी का अमूल्य योगदान रहा।
इस अवसर पर नर्मदानंदगिरीजी महाराज एवं साधु-संतों सहित रामदास शिवहरे, नगर निगमाध्यक्ष मनोज तारवाला, जनपद पंचायत किषोर पाटिल, युवराज महाजन, गजानन महाजन, योगेष महाजन, संभाजीराव सगरे, किशोर कामठे, शिवकुमार पासी, वीरेन्द्र तिवारी, विनोद चौधरी, मनोज महाजन, मुफद्दल हुसैन, देवा मराठा, देवा नंनोरे, शषिकांत महाजन, सनि परदेषी, अमोल टुवे, उज्जवल पाटिल, चेतन महाजन, राहुल मराठा तथा बड़ी संख्या में भक्तगण व युवा उपस्थित रहे।