आतंकी संगठन काफी समय से उत्तर प्रदेश में बड़ी आतंकी साजिश की फिराक में हैं। कुछ महीने पहले, कानपुर में गणेश उत्सव के दौरान भक्तों की भीड़ में बम विस्फोट कर बड़ी जनहानि की घटना का षड्यन्त्र रचा जा रहा था मगर उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (ए.टी.एस) ने उस षड्यंत्र को नाकाम कर दिया था|
कुछ समय पहले, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का छात्र आतंकवादी संगठन का कमांडर बन कर सुरक्षा बलों के लिए काफी चुनौती बना हुआ था। अक्टूबर माह में सेना ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया। काफी समय से राष्ट्रीय जांच एजेंसी , दिल्ली पुलिस एवं उत्तर प्रदेश की ए.टी.एस को इस बात की खुफिया जानकारी मिल रही थी कि आतंकी संगठन बड़ी घटना करने की तैयारी में हैं। पुख्ता जानकारी होने पर गत दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी , दिल्ली पुलिस एवं उत्तर प्रदेश की ए.टी.एस ने संयुक्त रूप से दिल्ली और उत्तर प्रदेश में 17 जगहों पर दबिश दी और 10 आतंकियों को गिरफ्तार किया। यह आतंकी देश में सीरियल बम विस्फोट करके पूरे देश में दहशत कायम करने की योजना बना रहे थे। जिन जगहों पर विस्फोट किए जाने की योजना थी उसमे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय , भाजपा कार्यालय , दिल्ली पुलिस मुख्यालय एवं बड़े नेताओं का नाम प्रमुख रूप से शामिल था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी, दिल्ली पुलिस एवं ए.टी.एस ने संयुक्त रूप से छापा मार कर 12 पिस्टल , 25 किलोग्राम पोटेशियम नाइट्रेट , भारी मात्रा में कारतूस , 135 सिम कार्ड , 91 फोन, 3 लैपटाप , चाकू , तलवार , बम बनाने के लिए भारी मात्रा में पाइप , काफी संख्या में अलार्म घड़ी और नगद साढे सात लाख रूपये बरामद किए। इन आतंकियों के कब्जे से एक वीडियो बरामद हुआ है जिसमें बम बनाने की विधि बताई गयी है।
कई बड़ी जगहों पर थी फिदायीन हमले की तैयारी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के पुलिस महानिरीक्षक अलोक मित्तल ने प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि इस आतंकी संगठन का नाम हरकत – उल – हर्ब –ए – इस्लाम है। इस संगठन के लोग एक विदेशी हैंडलर के सम्पर्क में थे। ये लोग फिदायीन हमला करके पूरे देश में दहशत और आतंक कायम करना चाहते थे। शुरुआत में पैसों का इंतजाम अभी नही हुआ था। इसके लिए एक आतंकी अनस से अपने घर से गहने चोरी करके उसे 5 लाख रूपये में बेच दिया और उस 5 लाख रूपये से विस्फोटक पदार्थ खरीदा। ये लोग सोशल मीडिया के जरिये विदेशी हैंडलर से संपर्क करते थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ से साकिब इफ्तेकार, अमरोहा से दो सगे भाई रईस अहमद एवं सईद अहमद , मोहम्मद इरशाद एवं मुफ्ती सुहैल को गिरफ्तार किया गया. अन्य पांच आतंकियों में दो सगे भाई जुबैर मलिक – ज़ैद मलिक , अनस युनुस, रशीद जफर एवं मोहम्मद आज़म को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया।
विघ्न विनाशक के मन्दिर में थी विघ्न डालने की आतंकी साजिश
सितम्बर 2018 के गणेश उत्सव के दौरान हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन ने कानपुर के सिद्धिविनायक मंदिर में बड़ा धमाका करने का षड्यंत्र रचा था। इस आतंकी संगठन के आतंकवादी कमर उज जमा उर्फ़ डॉ हुरैरा उर्फ़ करीम ने कानपुर जनपद के कलेक्टरगंज इलाके में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर की रेकी की थी। गणेश उत्सव के दौरान विस्फोट करके बड़े पैमाने पर जनहानि की घटना को अंजाम देने की साजिश रची थी। मगर आतंकवादियों के इरादों को पुलिस ने नाकाम कर दिया। आतंकी कमरउज जमा को कानपुर से गिरफ्तार किया गया था।
आतंकवादी कमर उज जमा वर्ष 2018 के अगस्त माह में कानपुर के चकेरी थाना अंतर्गत शिवनगर मोहल्ले में किराए पर कमरा लेकर रह रहा था और आस-पास के लोगों को उसने बताया था कि वह निजी संचार कंपनी का कर्मचारी है। कमर उज जमा ने सिद्धिविनायक मंदिर के आस-पास के इलाकों का विधिवत अध्ययन कर लिया था। उसके मोबाइल में 5 मिनट का वीडियो मिला था। उस वीडियो को उसने कश्मीर स्थित हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन के मुख्यालय को भेजा था. कमर उज जमा ने पुलिस को बताया कि यह वीडियो उसने रेकी के दौरान बनाया था।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक, ओ. पी. सिंह ने उस समय कहा , “ कमर उज जमा ने स्वीकारा है कि वह हिजबुल मुजाहिदीन का सक्रिय आतंकी हैं। उसको कानपुर में आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए भेजा गया था। सबूत न बचे इसके लिए वह लगातार अपने मोबाइल को फार्मेट कर रहा था। सभी व्हाट्स ऐप चैट को भी उसने डिलीट कर दिया था। उसके मोबाइल फ़ोन की कान्टैक्ट लिस्ट में सिर्फ दो लोगों के नाम और नंबर मिले थे। यह मूल रूप से असम के जमुनामुख , होजाई का रहने वाला है। इसने सोशल मीडिया पर अप्रैल 2018 में स्व चालित हथियार ए.के – 47 के साथ अपनी तस्वीर अपलोड किया था। तभी से एंटी टेररिस्ट स्क्वायड और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की टीम इस पर नज़र बनाये हुए थी।”
कमर उज जमा के फोन में जो सिम कार्ड इस्तेमाल हो रहा था। वह सिम कार्ड असम के हौजाई निवासी शाहनवाज की आई डी पर लिया गया था। शाहनवाज, कमर उज जमा के संपर्क में था और उसकी भूमिका संदिग्ध पाई गई। उत्तर प्रदेश पुलिस के इनपुट पर असम की पुलिस ने शाहनवाज को गिरफ्तार किया था। इसी प्रकार पूछताछ में उमर फारूख और सईदुल इस्लाम ये दोनों हौजाई , असम के रहने वाले हैं। ये दोनों कमर उज जमा के कमरे पर मिले आया करते थे। इन दोनों को असम पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
ब्लैकबेरी फोन है आतंकवादियों की पसंद
आतंकी कमर उज जमा ने मैसेज भेजने के लिए ब्लैकबेरी का फोन चुना था। ब्लैकबेरी फ़ोन का अपना ब्लैकबेरी मैसेंजर है जिससे भेजे गए मैसेज को हैक करना आसान नहीं हैं। ए.टी.एस के पुलिस महानिरीक्षक असीम अरूण ने बताया कि “कमर उज जमा के ब्लैकबेरी मोबाइल में दो लोगों का कान्टेक्ट पिन सेव था। कमर उज जमा अपनी गतिविधियों के बारे में हिजबुल के ओसामा बिन जावेद को रिपोर्ट करता था इसलिए एक कान्टेक्ट पिन ओसमा बिन जावेद का सेव था और दूसरा कान्टेक्ट उसका था जो धन की व्यवस्था करता था। धन की व्यवस्था करने वाले आदमी से कमर उज जमा का संपर्क ओसामा बिन जावेद ने ही कराया था। धन की व्यवस्था करने वाला असम का निवासी है उसके खाते से दो बार पैसा भेजा गया। पहले एक लाख रूपया भेजा गया और फिर बाद में तीस लाख रूपये जमा कराये गए।”
असीम अरूण बताते हैं कि “गिरफ्तार होने से पहले कमर उज जमा उर्फ़ डॉ हुरैरा ने अपने आका ओसमा बिन जावेद से ‘सामान’ भेजने को कहा था . मोबाइल में मिले वीडियो में भी कमर उज जमा आतंकी सगठन से ए.के 47 भेजने की बात कह रहा है.”पुलिस के अनुसार कमर उज जमा इस बीच में असम गया था और 2 सितम्बर 2018 को अवध – असम एक्सप्रेस से लखनऊ स्टेशन पर उतरा था. वहां से बस पर बैठकर कानपुर आया. यात्रा के दौरान कमर उज जमा ब्लैकबेरी मैसेंजर के माध्यम से लगातार अपने संगठन के संपर्क में था. कानपुर पहुंचने के बाद उसने सिद्धिविनायक मंदिर की रेकी की और मंदिर का वीडियो बनाकर अपने आका को भेजा.
कमर मेरा बेटा है मगर अब वह देश का दुश्मन है , मुझे उसकी लाश भी नहीं चाहिए
अप्रैल 2018 में सोशल मीडिया पर कमर उज जमा उर्फ़ डॉ हुरैरा ने अपनी फोटो स्व चालित हथियार ए के 47 के साथ अपलोड किया था. उसी के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की इस पर नजर थी। एंटी टेररिस्ट स्क्वायड के पुलिस महानिरीक्षक असीम अरूण ने बताया कि जब कमर उज जमा आतंकी संगठन में शामिल हुआ तब उसकी माँ शाहिरा खातून से संपर्क किया गया था , उसकी माँ ने कहा कि ” कमर उज जमा को गोली मार कर लाश जानवरों को खिला देना चाहिए.” शाहिरा ने कहा कि “ कमर मेरा बेटा है मगर वह आतंकवादी बन गया है। अब वह देश का दुश्मन है । सरकार को उसको मार देना चाहिए. मुझे ऐसे बेटे की लाश भी नहीं चाहिए। ऐसे शख्स को ज़िंदा रहने का कोई हक़ नहीं है”
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का शोध छात्र बन गया था आतंकवादी
पाकिस्तान में बैठ कर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले आतंकी संगठन मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में युवकों को आतंकी बनने का प्रशिक्षण देने के लिए लगातार मुहीम चला रहे हैं। कानपुर से गिरफ्तार किये गए आतंकवादी कमर उज जमा के बाद यह मामला प्रकाश में आया कि असम से 6 युवक लापता हैं। इसी प्रकार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से कुछ माह पहले मन्नान वानी लापता हुआ था। मन्नान वानी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पी.एच.डी कर रहा था। इसके लापता होने के कुछ समय बाद ही सूचना मिली थी कि वह हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकवादी संघठन का कमाडंर बन गया है. उसके बाद उसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया था। वर्ष 2018 के अक्टूबर में जम्मू -कश्मीर के कुपवाड़ा जनपद में हुई मुठभेड़ में मन्नान वानी मारा गया. मन्नान वानी कुछ समय के भीतर ही गंभीर किस्म की आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया था। सेना द्वारा जारी सूची में भी मन्नान वानी का नाम था. मुठभेड़ में मारे जाने के बाद कुपवाड़ा में भारी तनाव व्याप्त हो गया था। कुपवाड़ा में इंटरनेट सेवा और स्कूल कॉलेज को बंद करना पडा था। मारे गए आतंकी मन्नान वानी के समर्थकों ने उपद्रव करने का भी प्रयास किया था जिस पर सेना को बल प्रयोग कर नियंत्रण प्राप्त किया।