वर्ल्ड चेस चैंपियन भारत के डी गुकेश (18) ने कहा कि वे 5 बार के वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन से किसी भी टूर्नामेंट में खेलने के लिए तैयार हैं। गुकेश ने चीन के डिंग लिरेन को 12 दिसंबर को वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप फाइनल में 7.5-6.5 से हराया था। इतनी कम उम्र में खिताब जीतने वाले गुकेश दुनिया के पहले प्लेयर हैं। इससे पहले 1985 में रूस के गैरी कैस्परोव ने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था। दरअसल, गुकेश के चैंपियन बनने के बाद कार्लसन ने कहा था, ‘मैं वर्ल्ड चैंपियनशिप में नहीं खेलता। वहां मुझे हराने वाला कोई नहीं है।’
गुकेश और कालर्सन अगले साल (2025) नॉर्वे चैंपियनशिप में 26 मई से 6 जून 2025 के बीच पहली बार एक-दूसरे के सामने होंगे। उन्होंने कहा कि कार्लसन सर्वश्रेष्ठ हैं, मौका मिला तो उनके सामने बिसात पर खुद को परख लूंगा।
सवाल: लिरेन की वो कौन सी चाल थी, जिससे आपको जीत का यकीन हो गया?
जवाब: एक चाल कैसे गेम बिगाड़ सकती है, वो ऐसे समझें कि जब लिरेन ने Rf2 खेला तो मैं हैरान था, क्योंकि इसकी उम्मीद नहीं थी। फिर खुद को संभालने के लिए मैंने एक घूंट पानी पिया। सांस ली और खुद को शांत किया। फिर ध्यान से चेसबोर्ड देखा कि कहीं कोई गलती तो नहीं हो रही। इसके बाद मैच जीतने वाली चालों को दिमाग में सेट किया। थोड़ी देर में मुझे लगा कि अब खेल खत्म करने का समय आ गया है।
सवाल: आपके लिए परिवार ने सब कुछ दांव पर लगाया। क्या वो संघर्ष याद है?
जवाब: मैं उन्हें कैसे भूल सकता हूं। वो ही दिन थे, जिन्होंने मुझे चेसबोर्ड से नजर नहीं हटाने दी। जब भी नजर हटाने की कोशिश करता, माता-पिता के संघर्ष के पल याद आ जाते। एक वक्त उम्मीदों के बहुत ज्यादा दबाव ने मेरे खेल पर भी असर डाला। वो 2023 की शुरुआत के दिन थे। इसलिए मैंने तय किया है कि बस सीखते रहना है, खुद में सुधार करना है। इसी लाइन पर आगे बढ़ा और घर के सपोर्ट से दबाव से बाहर आया। कभी-कभी उम्मीदों का दबाव आपका लक्ष्य बदल सकता है, इसलिए सही समय पर इससे बाहर आना ही ठीक है।
सवाल: आनंद 5 बार चैंपियन बने। आपकी अब क्या रणनीति है?
जवाब: मेरी कोशिश खेल को और बेहतर बनाने की है। जिस मुकाम पर हूं, वो जीवन का एक चरण था। अगला टास्क खुद को उस स्तर पर बनाए रखने का है, जो अब तक करियर में आई चुनौतियों से भी कठिन है।
सवाल: आपने सालों तक सख्त ट्रेनिंग की?
जवाब: मुझे याद है कि 2015 में एशियन स्कूल शतरंज चैंपियनशिप में अंडर-9 कैटेगरी में पहली बार जीता था। इसके बाद से ही मैंने ट्रेनिंग को और जटिल किया। माता-पिता ने हर पल इस बात का ध्यान रखा कि मेरा फोकस किसी भी वजह से डायवर्ट न हो। पांच साल पहले मैं, अर्जुन, प्रागननंदा और निहाल ग्रैंडमास्टर बनने वाले थे। हर कोई एक-दूसरे से आगे बढ़ने की कोशिश में था, लेकिन हम सभी शीर्ष पर पहुंच गए।