भोपाल। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई को तकनीक से जोड़ने की कवायद को पलीता लगता दिख रहा है। सामने आया है कि अधिकतर शिक्षकों की हाईटेक होने में दिलचस्पी नहीं है। करीब 80 प्रतिशत शिक्षकों ने वह टैबलेट ही नहीं खरीदा, जिसके जरिए स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई और निगरानी तंत्र को अधिक कारगर बनाने की योजना है।
]प्रदेश के सरकारी स्कूलों में स्मार्ट कक्षाओं के साथ-साथ शिक्षकों को भी तकनीक से लैस किया जा रहा है। मौजूदा सत्र में छठवीं से आठवीं कक्षा तक के शिक्षकों को टैबलेट दिया जाना है। इसके तहत प्रदेश के 35 हजार शिक्षकों को टैबलेट खरीदने को कहा गया था। इनमें से केवल सात हजार ने ही टैबलेट खरीदा। यानी सिर्फ 20 फीसद शिक्षकों ने इस योजना में दिलचस्पी दिखाई। शेष 80 प्रतिशत ने टैबलेट खरीदने में रुचि नहीं दिखाई है।
विभाग का कहना है कि टैबलेट में पूरा पाठ्यक्रम अपलोड होगा। इसके माध्यम से शिक्षक कक्षा में बच्चों को पढ़ाएंगे। प्रदेश में 75 हजार माध्यमिक शिक्षक हैं, जिनको चरणबद्ध तरीके से ऐसे टैबलेट से लैस किया जाना है। राज्य शिक्षा केंद्र ने आदेश जारी कर माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को 30 नवंबर तक टैबलेट हर हाल में खरीदकर रसीद अपलोड करने के निर्देश दिए हैं, ताकि राशि का भुगतान 31 दिसंबर से पहले उनके खातों में कर दिया जाए।
15 हजार रुपए देगा विभाग
बताया जा रहा है कि टैबलेट खरीदने के लिए प्रति शिक्षक 15 हजार रुपये का भुगतान किया जाएगा। ऐसे में 75 हजार शिक्षकों को टेबलेट खरीदने के लिए करीब 113 करोड़ रूपये की राशि मंजूर की गई है।
इन जिलों में ज्यादा अनमनापन
सामने आया है कि उमरिया व सिंगरोली जिले में ऐसे शिक्षकों की संख्या सर्वाधिक है, जो टैबलेट नहीं लेना चाहते। सिंगरौली में 434 शिक्षकों में से सिर्फ नौ व उमरिया में 409 शिक्षकों में सिर्फ छह ने ही टैबलेट खरीदे हैं। वहीं भोपाल जिले में 577 शिक्षकों में से 221 ने ही टैबलेट को खरीदा है।
ऑनलाइन बैठक से लेकर प्रशिक्षण हुआ आसान
अधिकारियों का कहना है कि टैबलेट खरीदी के बाद माध्यमिक शालाओं के शिक्षक भी कक्षा की स्मार्ट क्लास ले सकेंगे। वहीं डिजिटल पोर्टल से बच्चों को पढ़ाने और सिखाने लायक जानकारी जुटाई जा सकेगी।शिक्षक के आनलाइन मीटिंग और प्रशिक्षण का काम भी इससे आसानी से हो सकेगा।
माध्यमिक कक्षाओं के शिक्षकों को 30 नवंबर तक टैबलेट खरीदने के निर्देश दिए गए हैं। इससे कक्षाओं में शिक्षक ऑनलाइन पढ़ा सकेंगे।
– हरजिंदर सिंह, संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र