एमपी, गुजरात और राजस्थान के आदिवासी इलाकों में एक ऐसी प्रथा है जिसमें हर जुर्म की कीमत चुकानी पड़ती है। इसे भांजगड़ा कहते हैं। यहां मर्डर, रेप, एक्सीडेंट, नाबालिग लड़कियों की शादी से लेकर कोई भी अपराध क्यों न हो, हर मामले में आदिवासियों की पंचायत बैठती है। उसमें फैसला होता है कि पीड़ित पक्ष को आरोपी पक्ष कितना मुआवजा देगा।
इस सामाजिक प्रथा से इस इलाके की पुलिस भी अछूती नहीं है। यदि किसी आदिवासी की पुलिस हिरासत में मौत हुई हो या किसी पुलिस वाले पर आरोप लगा हो उसे भी भांजगड़ा प्रथा का पालन करना पड़ता है।
पिछले दिनों ऐसे ही दो मामले सामने आए हैं, जिसमें पुलिस को पीड़ित पक्ष को भांजगड़ा (समझौता राशि) देना पड़ा, हालांकि पुलिस अधिकारी इससे इनकार करते हैं। वे कहते हैं कि इस प्रथा की वजह से लोग पुलिस में शिकायत ही नहीं करते और 90 फीसदी मामलों के आरोपियों को कानूनी रूप से सजा नहीं मिलती।
पहले दो केस से भांजगड़ा
केस1: एक्सीडेंट में मौत के एवज में 1 करोड़ रुपए का भांजगड़ा
झाबुआ से 45 किमी दूर काकरादरा गांव में 1 करोड़ रु. भांजगड़ा की मांग को लेकर ग्रामीण 10 अगस्त से सड़क जाम कर रहे हैं। दरअसल, इस गांव के रहने वाले शैतान सिंह की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि शैतान सिंह सड़क पर बाइक से जा रहा था। उसी वक्त पीछे से आ रही एक यात्री बस ने उसे कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
अब ग्रामीणों की मांग है कि शैतान सिंह के परिजन को बस मालिक को 1 करोड़ का भांजगड़ा देना चाहिए, जिससे परिवार का भरण पोषण हो सके। जिस दिन एक्सीडेंट हुआ, उस दिन पुलिस ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाइश भी दी थी और बस मालिक के खिलाफ मामला भी दर्ज किया था।
बस मालिक को सामाजिक प्रथा का पालन करना पड़ेगा: ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने अपना काम किया है, लेकिन बस मालिक को सामाजिक प्रथा का पालन करना होगा। ग्रामीणों के इस प्रदर्शन में शैतान सिंह का परिवार भी शामिल है। उसके चाचा नब्बो कहते हैं कि बस मालिक को फोन कर 1 करोड़ रु. भांजगड़ा मांगा था, लेकिन 70 लाख से कम पर समझौता नहीं करेंगे।
इस प्रदर्शन में शामिल जंगलिया डोडियार का कहना है कि बस मालिक को दो से तीन बार कॉल किया है, उसकी तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला है। उससे पूछा कि प्रशासन का कोई व्यक्ति आया तो बोला- कोई नहीं आया। प्रदर्शन में शैतान सिंह की पत्नी और बेटियां भी शामिल है। पत्नी ने बताया कि पति गुजरात में राज मिस्त्री का काम करता था। उसी की कमाई से घर का चूल्हा जलता था।
केस 2: एमपी का लड़का गुजरात की लड़की को भगा लाया
कुंदनपुर गांव से 25 किमी दूर पिटोल चौकी है। चौकी से कुछ ही दूरी पर बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि भांजगड़ा की पंचायत बैठी है। तड़वी (मध्यस्थ) केकड़िया भाबोर ने बताया कि सिंगाड़िया गांव का 19 साल का लड़का कालिया, गुजरात से एक लड़की भगा लाया है। अब लड़की के पिता की ओर से 9 लाख भांजगड़ा की मांग की जा रही है।
भाबोर बोला- हम लोग साढ़े चार लाख रुपए देने को तैयार हैं। बहुत हुआ तो एक लाख और दे देंगे। इस पंचायत में कालिया के पिता खेमचंद भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने कोई बातचीत नहीं की। केकड़िया ने बताया कि रोड के दूसरी ओर लड़की वाले भी बैठे हैं।
लड़की का पिता बोला- 8 लाख से कम नहीं लूंगा
गुजरात से बाकायदा वैन में भरकर आए लड़की वाले पंचायत से कुछ दूर एक खेत में बैठे हुए थे। लड़की के पिता स्वरूपा भाई से बात हुई तो बोले- एक महीने पहले ये लड़का मेरी लड़की को भगा लाया था। हम लोग कई दिनों से तलाश कर रहे थे। अब जाकर दोनों का पता चला है। मैंने लड़के वालों से 9 लाख भांजगड़ा मांगा है, मगर वे देने को तैयार नहीं है। कुछ देर रुक कर कहते हैं आठ लाख से कम पर नहीं मानूंगा।
उनसे सवाल किया कि लड़की के गायब होने की सूचना थाने में दी थी क्या? बोले हमारे समाज में पुलिस थाने में शिकायत करने की परंपरा नहीं है। हम आपस में बैठकर फैसला कर लेते हैं। उन्हीं के साथ बैठे कालरा भाई ने कहा- हमारे समाज में शादी-ब्याह जब दोनों पक्षों की रजामंदी से तय होता है तो लड़के वाले लड़की पक्ष को तीन-चार लाख रु. देते हैं। यदि मां-बाप की मर्जी के बगैर लड़का लड़की शादी करते हैं तो फिर दो से तीन गुना रकम देना पड़ती है।
अब वो केस, जिसमें पुलिस वालों को देना पड़ा भांजगड़ा
केस1: पुलिस हिरासत में आदिवासी की मौत, देना पड़ा 10 लाख भांजगड़ा
27 जुलाई को झाबुआ के छायन गांव में एक आदिवासी रसन सिंह किहोरी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। छायन गांव गुजरात बार्डर से सटा गांव है। रसन की दोनों पत्नियां रूपा व हूमा किहोरी के मुताबिक रात 12 बजे हरिनगर चौकी की पुलिस रसन के बेटे कुशाल की तलाश में आई थी।
दरअसल, कुशाल के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज था, लेकिन पुलिस रसन को उठा ले गई। दो घंटे बाद पुलिस ने गांव के सरपंच तोल सिंह मुणिया को कॉल कर चौकी बुलाया और कहा कि रसन को लेकर जाए।सरपंच रसन को लेकर बाइक से उसके घर के सामने वाली रोड तक पहुंचा। वहीं पर रसन ने दम तोड़ दिया।
दूसरे दिन रसन की लाश रखकर परिवार और ग्रामीणों ने चौकी में तोड़फोड़ के साथ प्रदर्शन किया। उन्होंने पुलिस पर पिटाई का आरोप लगाया। पीएम रिपोर्ट में भी रसन की मौत की वजह सिर में आई चोट बताई गई। हालांकि, पुलिस ने CCTV वीडियो जारी कर दावा किया कि जब रसन को सरपंच को सौंपा था, तो वह सही सलामत था।
एसपी झाबुआ ने चौकी के सभी स्टाफ को इस घटना के बाद हटा दिया। लेकिन, सरपंच तोल सिंह मुणिया के मुताबिक पुलिस को इस मामले में रसन के परिवार वालों को 10 लाख रुपए भांजगड़ा देकर समझौता करना पड़ा।
केस2: हिरासत में मौत पर, गुजरात पुलिस से 13 लाख लिया था भांजगड़ा
भांजगड़ा एमपी में ही नहीं, सीमावर्ती गुजरात में भी देना पड़ता है। साल 2022 में देवका गांव के रहने वाले रामजी किशोरी की गुजरात पुलिस की कस्टडी में मौत हो गई थी। रामजी के साले और गांव के सरपंच रमेश तोलिया कहते हैं कि पुलिस ने 13 लाख रु. भांजगड़ा देकर मामले में समझौता किया था।
छायन गांव के सरपंच तोल सिंह मुणिया इस मामले के गवाह थे। मुणिया के मुताबिक दिनेश रामजी को एमपी की हरिनगर पुलिस ने एक केस में दो साल पहले गिरफ्तार किया था। उसे झाबुआ जेल भेज दिया गया था। वहां से दो महीने बाद वह जमानत पर जेल से छूटा, लेकिन उसे गुजरात की दाहोद पुलिस पकड़कर ले गई।
मुणिया ने कहा कि गुजरात पुलिस ने पांच दिन तक हिरासत में रखा, मगर कोर्ट में पेश नहीं किया। रामजी की पत्नी कम्मोदी बाई कहती है कि गुजरात पुलिस उसे छोड़ने के एवज में 70 हजार रु. मांग रही थी। रात को पति दिनेश से बात भी करवाती थी। वह बताती हैं कि 12 दिसंबर 2022 को गुजरात पुलिस ने मुझे बुलाया, मैं वहां पहुंची तो पति की मौत हो चुकी थी।
इसके बाद गांव के 45 लोग गुजरात के दाहोद पहुंचे। वहां थाने के सामने लाश रखकर प्रदर्शन किया। पुलिस ने 13 लाख रुपए देकर भांजगड़ा किया।
पुलिस बोली- प्रथा की आड़ में फैलाई जाती है अफवाह
भास्कर ने इस मामले में झाबुआ के एडिशनल एसपी प्रेमलाल कुर्वे से पूछा तो वे बोले कि आदिवासी इलाकों में भांजगड़ा प्रचलित प्रथा है। इससे तो हम भी परेशान हैं। कई बड़े अपराधों में भांजगड़ा के तहत दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाता है।
पुलिस के भांजगड़ा देने के सवाल पर बोले कि ये अफवाह फैलाई जाती है कि पुलिस भांजगड़ा की आड़ में समझौते करती है। ऐसा कुछ नहीं है। जो कोई आरोप लगाते हैं या फिर दावा करते हैं ,वह सब झूठे हैं।अब हम ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई थोड़े ना करेंगे।
इतना जरूर है कि हम लोगों को समझाते हैं कि भांजगड़ा में मामलों का निपटारा न करें। कई बार भांजगड़ा में सौदा हो जाता है, लेकिन जब पैसा नहीं मिलता तब पीड़ित पक्ष पुलिस के पास ही आता है, हम उसे शिकायत करने के लिए कहते हैं।
भांजगड़ा के चलते आदिवासी फंस रहे कर्ज की जाल में, कर रहे सुसाइड
भांजगड़ा का एक दूसरा पहलू भी है। छापरी गांव के सरपंच कमलेश भाबोर कहते हैं कि हमारे यहां शादी-विवाह में लड़के वालों को पैसे देने पड़ते हैं। यदि किसी ने भाग कर शादी कर ली तो उस परिवार को 10 से 12 लाख रुपए तक देने पड़ते हैं।
अब इस पैसे के इंतजाम के लिए पीड़ित पक्ष नोतरा रखता है। ये भी एक प्रथा है जिसमें समाज के बाकी लोगों से चंदा लिया जाता है। जब शादी हो जाती है तो जिन्होंने नोतरा दिया उसका डेढ़ गुना लौटाना पड़ता है। वे कहते हैं कि खुद मेरे लड़के की शादी में 35 लाख का नोतरा मिला था।
जानकार बोले- भांजगड़ा और शादी-विवाह के दहेज पर बनना चाहिए कानून
हरिनगर ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष रमेश भटेरे इसे कुप्रथा कहते हैं। उनके मुताबिक भांजगड़ा के लिए रकम जुटाने में आदिवासी परिवार कर्जदार हो रहे हैं। वे गुजरात जाकर काम करते हैं ताकि भांजगड़ा की रकम चुका सके। जब ऐसा नहीं होता तो फिर जमीन गिरवी रखकर कर्ज लेते हैं। उसके बाद कर्ज की रकम चुकाने के लिए काम करते हैं।
भटेरे कहते हैं कि इस प्रथा की आड़ में कई बिचौलिए भी सक्रिय हो गए हैं। ढाई महीने पहले हुआ एक वाकया बताते हुए वे कहते हैं कि इसी इलाके की एक महिला का भगत से अवैध संबंध था। जब पति को इसकी जानकारी मिली तो उसने भगत को घर बुलाया और उसकी हत्या कर दी।
इस मामले का 14 लाख रु. में भांजगड़ा हुआ। पति-पत्नी ने ये रकम बिचौलिए के माध्यम से पीड़ित पक्ष तक पहुंचाई। पुलिस ने केस भी दर्ज किया था। ये तय हुआ था कि कोर्ट में गवाही के वक्त पीड़ित पक्ष बयान बदल देगा, मगर पीड़ित पक्ष तक रकम ही नहीं पहुंची।
उन्होंने कोर्ट में गवाही नहीं बदली और कोर्ट ने दंपती को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, दोनों के साथ ढाई महीने का बच्चा भी जेल में है।