कांग्रेस-NCP-शिवसेना-BJP: महाराष्ट्र की सियासी महाभारत में किसने क्या पाया-क्या खोया?

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महाराष्ट्र की नई सरकार में मुख्यमंत्री शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे होंगे, जो गुरुवार की शाम अपने लावलश्कर के साथ शिवाजी पार्क में शपथ लेंगे. ऐसे में सवाल है कि एक महीने से चल रही महाराष्ट्र की सियासी महाभारत में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना-बीजेपी में किसने क्या पाया और किसने क्या खोया?

महाराष्ट्र में एक महीने से ज्यादा समय तक चला सत्ता का संघर्ष संविधान दिवस के दिन यानी मंगलवार को अपने अंजाम तक पहुंचा गया. विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरे बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के चौथे दिन ही इस्तीफा देना पड़ा. अब दूसरे-तीसरे-चौथे नंबर की पार्टियां शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस वैचारिक विरोधी होने के बाद भी मिलकर संयुक्त सरकार बनाने जा रही हैं.

महाराष्ट्र की नई सरकार में मुख्यमंत्री शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे होंगे, जो गुरुवार की शाम अपने लावलश्कर के साथ शिवाजी पार्क में शपथ लेंगे. इसके तहत तीनों दलों के बीच सत्ता की भागेदारी का फॉर्मूल तय हुआ है. ऐसे में सवाल है कि एक महीने से चल रही महाराष्ट्र की सियासी महाभारत में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना-बीजेपी में किसने क्या पाया और किसने क्या खोया?

 

शिवसेना ने साथी खोकर सत्ता पाई

महाराष्ट्र के सियासी संग्राम में सबसे बड़े फायदे में शिवसेना रही है.

शिवसेना को पांच साल के लिए सीएम पद देने पर एनसीपी और कांग्रेस ने सहमति दे दी है. हालांकि शिवसेना ने अपनी 30 साल पुरानी साथी बीजेपी का साथ खो दिया है. इसी के साथ शिवसेना ने केंद्र सरकार से अपने कोटे का मंत्री पद भी खो दिया है. इसके साथ ही शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ जाकर अपनी कट्टर हिंदुत्व की छवि का भी नुकसान किया है.

 

कांग्रेस को मिला सत्ता में हिस्सा

कांग्रेस ने शिवसेना के साथ जाकर महाराष्ट्र की सत्ता में हिस्सेदारी पाई है. ऐसे में उसे डिप्टी सीएम सहित 13 मंत्री पद भी सरकार में मिले है, लेकिन इसके लिए उसे अपनी सेकुलर विचारधारा से समझौता भी करना पड़ा है. कांग्रेस का शिवसेना के साथ जाने के तौर पर भी देखा जा रहा है, इसके लिए कांग्रेस 2014 के बाद से ही लगातार कोशिश कर रही थी. हालांकि कांग्रेस महाराष्ट्र में अब चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई है.   

एनसीपी टूट से बची तो सत्ता में भागेदारी

महाराष्ट्र के असल किंगमेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार बनकर उभरे हैं. अजित पवार की बगावत के बाद भी शरद पवार एनसीपी को टूटने से बचाए रखने में सफल रहे. महाराष्ट्र की सत्ता भले ही शिवसेना को मिली हो, लेकिन इसका सूत्रधार पवार को माना जा रहा है. ऐसे में सत्ता का रिमोट कंट्रोल उन्हीं के पास होगा. इसके अलावा एनसीपी सत्ता में बराबर की भागीदार भी है. हालांकि शिवसेना को सीएम पद देकर एनसीपी ने अपने विरोधी को खुद से ऊपर करके महाराष्ट्र में जड़ें जमाने का मौका दे दिया है. कहने को उद्धव सीएम होंगे, लेकिन सरकार का रिमोट हमेशा पवार के हाथ में होगा. उन्होंने एनसीपी के अंदर बेटी सुप्रिया को अजित से मिलने वाली चुनौती भी खत्म कर दी है. साथ ही उन्होंने अविश्सनीय होने का इल्जाम भी धो डाला है.

बीजेपी का हाथ खाली

महाराष्ट्र के सियासी संग्राम में सबसे बड़े नुकसान में बीजेपी रही है. प्रदेश में सबसे ज्यादा 105 सीटें जीतने के बाद भी सत्ता से बाहर है. इतना ही नहीं बीजेपी ने अपने एनडीए के सबसे पुराने साथी का शिवसेना का साथ भी खो दिया है. इतना ही नहीं बीजेपी ने अजित पवार के साथ हाथ मिलाकर अपनी छवि को धूमिल किया है. इस तरह से महाराष्ट्र में बीजेपी को न तो माया मिली और न ही राम.