महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के इस्तीफे के बाद आलोचकों के निशाने पर आए अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि आखिर क्यों उनकी पार्टी ने अजित पवार पर भरोसा किया। बता दें कि इस मुद्दे पर महाराष्ट्र भाजपा के कई नेताओं ने भी पार्टी से अलग विचार व्यक्त किए हैं।
एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान शाह से जब यह सवाल पूछा गया तब उन्होंने कहा कि अजित पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता चुना गया था। उनकी पार्टी ने उन्हें सरकार गठन के लिए अधिकृत किया था। राज्यपाल ने भी सरकार गठन को लेकर उनसे ही बात की थी।
शाह ने कहा कि एनसीपी ने जब पहली बार सरकार बनाने में असमर्थता जताई तो उस पत्र पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे। अब हमारे पास जो समर्थन पत्र आया, उस पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे।
मुख्यमंत्री पद पर नहीं दिया था कोई आश्वासन
हमारा शिवसेना का गठबंधन हुआ। दोनों पार्टियों को एक-दूसरे के वोट मिले। हमारे गठबंधन को बहुमत मिला। यह जनादेश सिटिंग सीएम देवेंद्र जी को मिला। कई रैलियों में हमने कहा था कि सीएम देवेंद्र जी होंगे। किसी ने कोई विरोध नहीं किया। मैं साफ करना चाहता हूं कि पहले ढाई साल छोड़ दें, सीएम पद को लेकर भी कोई आश्वासन नहीं दिया गया था। हर रैली में हमने देवेंद्र फडणवीस को सीएम कहा है।
शिवसेना ने पीएम मोदी का पोस्टर लगाकर मांगे वोट
उन्होंने कहा कि इनमें कई रैलियों में शिवसेना नेता मंच पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा। शिवसेना का कोई भी एमएलए ऐसा नहीं है, जिसने नरेंद्र मोदी जी का पोस्टर लगाकर वोट नहीं मांगे हैं। आदित्य ठाकरे ने भी लगाए थे।
एकनाथ खडसे ने अजित पवार के साथ सरकार बनाने पर जताई असहमति
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री एकनाथ खडसे ने महाराष्ट्र में अजित पवार के साथ सरकार बनाने पर असहमति जताई है।उन्होंने कहा कि मेरी निजी राय है कि भाजपा को अजित दादा पवार का समर्थन नहीं करना चाहिए था। वह बड़े पैमाने पर सिंचाई घोटाले के आरोपी है और कई आरोपों का सामना कर रहे हैं। हमें उनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए।