नीमच. पेड़ वो भी शैतानी, सुनने में अजीब लगता है लेकिन ये सच है. इस पेड़ को अंग्रेजी में डेविल ट्री (Devils tree ) कहा जाता है. वैसे इसे सप्तपर्णी भी कहा जाता है जोकि ज्यादातर जंगलों (Forest) में ही पाया जाता है, लेकिन नगर पालिका (Municipality) ने नीमच (Neemuch) शहर में इसे बड़ी तादात में लगाकर लोगों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ किया है. इन पेड़ों के चलते अस्थमा (Asthma) और सांस की बीमारियों (respiratory diseases) से ग्रस्त होकर लोग दिक्कतों का सामना करने को मजबूर हैं
इसके फूलों की गंध बीमार करती है
जानकारों के मुताबिक इस पेड़ पर जब फूल आते हैं तो इसकी गंध नीमच को बीमार करती है. यहां के लोगों ने बीमार करने वाले इन पेड़ों की शिकायत कलेक्टर, नगर पालिका अध्यक्ष, सीएमओ और सीएमएचओ तक से की है, लेकिन किसी ने भी इस मामले को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की है. जैन कॉलोनी, जहां ये पेड़ बहुतायत में लगे हैं, के निवासियों का कहना है कि हमारे घरों में लोग इन पेड़ों की गंध से ही अस्थमे के शिकार हो चुके हैं. घरों के बाहर यही पेड़ लगे हुए हैं, जिनकी गंध काफी खराब है, जिससे सर दर्द और सांस तक लेने में परेशानी होती है, शिकायत भी की लेकिन न इन्हें काटा जा रहा है ओर नहीं छांटा जाता है.
शहर में लगाना सही नहीं है
जानकर और पर्यावरण प्रेमी मुस्तफा बोहरा का कहना है कि इस पेड़ को डेविल ट्री (Alstonia scholaris) या सप्तकर्णी पेड़ के नाम से पहचाना जाता है. वैसे तो ये औषधि पेड़ है और ये उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में पाया जाता है. लेकिन इसे जहां लगाया गया वो सही नहीं है. शहर भर में बड़ी तादात में इसे लगाना सही नहीं है क्योंकि जब इसमें विकिरण की क्रिया होती है तो ये सांस लेने में दिक्कत पैदा करता है. अस्थमा के मरीज ज्यादा परेशान होते हैं. इस पेड़ पर पक्षी तक नहीं बैठते, नीमच ही नहीं बल्कि कई जगहों पर इस पेड़ का विरोध देखने को मिला है.
जल्द छंटाई का आश्वासन
नीमच में ये पेड़ पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रघुराज सिंह चोरडिया के कार्यकाल में लगाए गए थे, और इनकी संख्या करीब एक हज़ार थी. नगर पालिका के सीएमओ रियाजुद्दीन कुरैशी ने बताया कि उनके सामने ये मामला आया भी था जिसे लेकर अधिकारियों से बात करते हुए इन पेड़ों की छंटाई करवाए जाने को कहा गया है.