भूपेश कैबिनेट का बड़ा फैसला: प्रत्यक्ष प्रणाली पर मुहर, केवल साक्षर लड़ सकेंगे पंच-सरपंच चुनाव

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रायपुर.  छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में हुए भूपेश कैबिनेट की अहम बैठक में पंच-सरपंच चुनाव को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है. शनिवार सुबह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) की अध्यक्षता में सीएम हाउस में हुई बैठक में मंत्रि परिषद ने पंचायत चुनाव को प्रत्यक्ष प्रणाली से करने का फैसला लिया है. सरकार के इस फैसले के बाद अब साक्षर लड़ सकेंगें पंच-सरपंच का चुनाव (Panchayat Election). सरकार ने शैक्षणिक योग्यता को खत्म कर लिया गया है. मालूम हो कि पहले सरपंच के लिए 8वीं पास और पंच के लिए 5वीं पास होना जरुरी था. अब सरकार ने इस बाध्यता को समाप्त कर दिया है. साथ ही चिटफंड (Chit fund Company) कंपनी और लाभ के पद को लेकर भी कैबिनेट बैठक (Bhupesh Cabinet Meeting) में चर्चा हुई है.
 कैबिनेट के अहम फैसले
मंत्रिमंडल की बैठक में छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धाराओं में संशोधन किया गया है. शैक्षणिक योग्यता को खत्म करने का फैसला लिया गया है.
बैठक में उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय खोलने का फैसला लिया गया है. विश्वविद्यालय का नाम महात्मा गांधी के नाम पर होगा.
रायगढ़ में नए विश्वविद्यालय की स्थापना का फैसला लिया गया है. स्व. नंद कुमार पटेल के नाम से  विश्वविद्यालय का माम होगा.
बैठक में अनियमित (चिटफण्ड) कंपनियों पर हुई कार्रवाई पर भी चर्चा की गई.
साथ ही छत्तीसगढ़ विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) अधिनियम 2019 में संशोधन विधेयक, छत्तीसगढ़ विधान मण्डल सदस्य निरर्हता निवारण (संशोधन) अधिनियम 2019 में संशोधन विधेयक, छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम (संशोधन) विधेयक 2019, छत्तीसगढ़ नगर पालिका (संशोधन) विधेयक 2019, नगरीय निकायों के द्वारा निर्मित दुकानों के आबंटन पर वार्षिक किराया का निर्धारण प्रस्ताव, राज्य की अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में उल्लेखित क्षेत्रीय बंधन को विलोपित करने संबंधी प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया.
गौरतलब है कि गुरुवार को हुई भूपेश कैबिनेट की बैठक में राजगीत को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया था. बता दें कि कैबिनेट ने हर विधानसभा सत्र की शुरूआत में राष्ट्रगीत के तुरंत बाद राजगीत गाने का फैसला लिया है. इस फैसले के बाद अब सदन शुरू होने से पहले अरपा पैरी के धार गाया जाएगा. साथ ही कैबिनेट ने रामवन गमन पथ को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने का फैसला लिया था. सीतामणी हरचौका, कोरिया, तुरतुरिया,चंदखुरी, जगदलपुर को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन की दृष्टि से विकास करने का फैसला लिया गया था.