गुवाहाटी ,प्रस्तावित नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ असम और उत्तर पूर्वी राज्यों के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन जारी है. शुक्रवार को असम के किसान संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असम (उल्फा) के समर्थक नेताओं और कई अन्य संगठनों ने गुवाहाटी में विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
किसानों के संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति के हजार से अधिक सदस्यों ने असम में विधेयक के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया और गुवाहाटी में राजभवन तक मार्च किया. कृषक मुक्ति संग्राम समिति के सलाहकार अखिल गोगोई के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार और प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ नारेबाजी की. प्रदर्शनकारियों ने विधेयक को वापस लेने की भी मांग की.
किसान नेता अखिल गोगोई ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक और सांप्रदायिक है. अखिल गोगोई ने कहा, “असम नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 का विरोध करता है, क्योंकि यह विधेयक असंवैधानिक और सांप्रदायिक है. इसलिए असम और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लोग इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. ” उन्होंने दावा किया कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो कम से कम 1.90 करोड़ हिंदू बांग्लादेशी असम में आ जाएंगे और राज्य का जनसांख्यिकीय स्वरूप बदल जाएगा. अखिल गोगोई ने कहा, यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो उत्तर पूर्व भारत समाप्त हो जाएगा. मुझे लगता है कि भारत के सभी लोकतांत्रिक लोग, जो संविधान, लोकतंत्र को मानते हैं, उन्हें इस बिल का विरोध करना चाहिए.”
दूसरी ओर, उल्फा समर्थक नेताओं और कुछ अन्य संगठनों ने गुवाहाटी में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उल्फा नेता अनूप चेतिया ने कहा कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो उत्तर पूर्वी क्षेत्र में स्वदेशी पहचान, संस्कृति और भाषाएं समाप्त हो जाएंगी. अनूप चेतिया ने कहा, हम नागरिकता (संशोधन) विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं. यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो न केवल असम बल्कि पूरे उत्तर पूर्वी क्षेत्र में स्वदेशी पहचान, संस्कृति और भाषाएं समाप्त हो जाएंगी. उत्तर-पूर्व के सभी स्वदेशी लोग अब एकजुट हैं.”