शालाओं में वातावरण ऐसा हो कि बच्चे पढ़ाई में रूचि लें

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स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने मंत्रालय में नर्मदापुरम् संभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि शालाओं में ऐसा वातावरण हो, जिससे बच्चे पढ़ाई में रुचि लें। उन्होंने कहा कि केवल शहरी क्षेत्रों में ही नहीं, ग्रामीण अंचलों में भी प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की कमी नहीं है। हर बच्चे में प्रतिभा होती है। उसको पहचान कर अवसर देने और निखारने की आवश्यकता है। डॉ. चौधरी ने कहा कि सभी प्रशासनिक अधिकारी एवं शिक्षक यह प्रयास करें एक भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित न रहे। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने में महती भूमिका निभाएँ। जिला कलेक्टर भी अपने दौरे के समय स्कूलों एवं छात्रावासों का प्राथमिकता के आधार पर निरीक्षण करें।
डॉ. चौधरी ने नामांकन, एक परिसर-एक शाला, दक्षता उन्नयन की क्वालिटी एवं परफॉर्मेंस, टीएआरएल (टीचिंग एट द राइट लेवल), अंकुर, तरुण और उमंग, वॉल ऑफ फेम, वार्षिक परीक्षा परिणाम, रेमेडियल टीचिंग, पीटीएम, प्रयोगशालाओं की जानकारी, विज्ञान-गणित किट्स के वितरण एवं उपयोग, एलेमेन्ट्री रेमेडियल शिक्षा (दक्षता उन्नयन), ब्रिज कोर्स, शाला सिद्धी-हमारी शाला ऐसी हो, छात्रावास संचालन, निर्माण कार्यों की स्थिति, यूथ क्लब, उमंग लाइफ स्किल एजुकेशन, बालिकाओं के लिये पुलिस एवं पैरामिलिट्री प्रशिक्षण आदि की बिन्दुवार विस्तृत समीक्षा की।
संभागायुक्त श्री रवीन्द्र मिश्र ने बताया कि नर्मदापुरम् संभाग के स्कूलों में प्री-मेडिकल और प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट के लिये कक्षाएँ लगाई जा रही हैं। पिछले साल 42 विद्यार्थी जेईई और 9 विद्यार्थी नीट में सफल रहे। बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिये सफल विद्यार्थियों की फोटो भी स्कूलों में लगाई गई हैं।
बैठक में प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरुण शमी, आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती जयश्री कियावत, संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र श्रीमती आयरीन सिंथिया जे.पी. सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।