मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि भावी पीढ़ी को भविष्य की चुनौतियों को समझकर अपने देश-प्रदेश के नवनिर्माण को एक ऐसा आकार देना होगा जिससे आने वाले समय में लोग सम्मान के साथ बेहतर जीवन जी सके। उन्होंने कहा कि पर्यावरण, बढ़ता हुआ शहरीकरण और शिक्षा हमारे सामने एक ऐसी चुनौती है जिसका अगर हमने समय पर समाधान नहीं किया तो हम अपने लोगों के साथ अन्याय करेंगे। श्री नाथ ने एक समाचार-पत्र द्वारा क्विज कॉम्पीटीशन में चयनित विभिन्न जिलों के स्कूली बच्चों के साथ अपने निवास पर संवाद किया। मुख्यमंत्री ने बच्चों के साथ क्रिकेट भी खेला।
लक्ष्य है शहरों पर बढ़ता बोझ कैसे कम करें
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने ग्वालियर से आयी एक बच्ची द्वारा ट्रेफिक के कारण हो रही दिक्कत के सवाल पर कहा कि आज शहरों के ऊपर आबादी का बढ़ता हुआ बोझ एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जब शहरों का निर्माण और विकास हुआ तब सारी व्यवस्थाएँ मौजूदा आबादी को ध्यान में रखकर की गई। उन्होंने कहा कि चाहे सीवेज हो, पेयजल हो, आवागमन की सुविधाएँ हो, आज जब शहरीकरण बढ़ा तो न केवल ट्रैफिक की बल्कि और कई समस्याएँ भी सामने आयी। श्री नाथ ने कहा कि हमारी सड़कों की डिजाइन दो पहिया वाहनों के हिसाब से ही की गई थी। आज चार पहिया वाहनों की बाढ़ से न केवल हमारी सड़कों पर बोझ बढ़ा है बल्कि ट्रेफिक भी बाधित हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका एक ही समाधान है कि हम शहरी क्षेत्रों का सम्पूर्ण अधोसंरचना विकास के साथ विस्तारीकरण करें। उन्होंने दिल्ली के गुरूग्राम और नोएडा तथा बम्बई के थाने एवं नवी मुंबई का उदाहरण देते हुए बताया कि अगर इनका निर्माण नहीं होता तो दिल्ली, मुम्बई के हालात और भी खराब होते। मुख्यमंत्री ने बताया कि शहरों के मास्टर प्लान बना रहे हैं। शहरों का विस्तारीकरण इस दृष्टि के साथ कर रहे हैं कि हम वहाँ वे सारी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराये जो रहवासियों के लिए आवश्यक हैं।
वही राजनेता योग्य जो सत्ता का उपयोग विकास और जनता की खुशहाली के लिए करें
राजनीति में योग्यता के बारे में इंदौर के एक छात्र द्वारा पूछे गए एक सवाल में मुख्यमंत्री ने बताया कि राजनीति में मेरी आदर्श स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी रही हैं। मैं उनके पुत्र श्री संजय गांधी जी के साथ पढ़ा। उसी स्कूल में श्री राजीव गांधी मुझसे तीन साल सीनियर रहे। मेरी राजनीति की शुरुआत युवक कांग्रेस से हुई। मैंने यही सीखा कि वही राजनेता योग्य होता है जो सत्ता में आने के बाद उससे मिली शक्ति का उपयोग देश-प्रदेश के हित और जनता की खुशहाली और उसके लिए कल्याणकारी योजनाएँ बनाने में करे।
पढ़ने पर माता-पिता की डाँट खाना पड़ती थी
भोपाल की छात्रा पलक जैन के सवाल कि बचपन में आपको किस बात के लिए डाँट पड़ती थी, मुख्यमंत्री श्री नाथ ने बताया कि बोर्डिंग स्कूल में छुट्टियों में भी होमवर्क मिलता था। जब हम छुट्टियों में घर आते थे तो पहले घर का मजा लेने में, फिर आराम करने में ही छुट्टियां बीत जाती थी। छुट्टी के जब आखिरी दो-तीन दिन बचते थे तब हमें होमवर्क का ध्यान आता था तो फिर हम देर रात जगकर लगातार होमवर्क करते थे। इसके लिए हमें अपने माता-पिता की डाँट खाना पड़ती थी।
शिक्षा में गुणवत्ता जरूरी
होशंगाबाद से आए छात्र सिद्धार्थ के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की बेहद कमी है। हमारी पहली प्राथमिकता यह है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के साथ शिक्षकों के पढ़ाने की क्षमता में भी गुणवत्ता लाए। शिक्षक उत्कृष्ट हो, समर्पित हो, इस दिशा में हम मिशन के रूप में काम कर रहे हैं। हम इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि शिक्षा के साथ बच्चों के ज्ञान में भी लगातार वृद्धि हो। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं के साथ हमारी शिक्षा पूरी हो जाती है लेकिन ज्ञान हमको जीवनभर अर्जित करना पड़ता है और यही हमें जीवन में हर चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाता है।
महिला अपराधों में रोकथाम के लिए कानून के साथ लोगों की सोच में भी परिवर्तन लाना होगा
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने महिला अपराधों की रोकथाम के संदर्भ में भोपाल की छात्रा राशि त्यागी के प्रश्न पर कहा कि कानून का सख्ती से पालन करने के साथ ही इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में भी परिवर्तन आए। इसके लिए एक सामाजिक आंदोलन चलाने की आवश्यकता है।
गाँव में ही शिक्षा की बेहतर व्यवस्था हो ताकि शहरों में न आना पड़े
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में बेहतर गुणवत्ता की शिक्षा व्यवस्था पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। शिक्षा की गुणवत्ता के साथ ग्रामीण क्षेत्रों विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में माता-पिता द्वारा बच्चों को स्कूल न भेजना या बीच में ही पढ़ाई छोड़ देने की बड़ी चुनौती हमारे सामने है। उन्होंने बताया कि जब वे केन्द्र में मंत्री थे तब स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की शुरूआत की गई, जिसका उद्देश्य यही था कि माँ-बाप बच्चों को स्कूल भेजे। उन्होंने कहा कि आर्थिक समस्याओं के कारण बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए गरीब और आदिवासी वर्ग के लोग उनसे मजदूरी कराना पसंद करते हैं। इस समस्या के निदान के लिए ही मनरेगा के साथ मध्यान्ह भोजन योजना शुरू की गई। इससे हालात में सुधार आया है और अब हम इसे और बेहतर बनाने के प्रयास कर रहे हैं।
राजनीति में काम करने वाले व्यक्ति को उदाहरण बनकर काम करना चाहिए
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने एक राजनीतिज्ञ कैसा हो? प्रश्न के उत्तर में कहा कि हमारे देश में राजनीतिक व्यक्ति और दलों को लेकर आम जनता में बेहतर छवि का अभाव है। श्री नाथ ने बताया कि जब मैंने राजनीति में आने का फैसला लिया तब मुझे माता-पिता और परिवारवालों ने ऐसा न करने को कहा और कहा कि कहाँ जाकर फँस रहे हो। मेरा बेटा स्कूल में पढ़ता था तो मैंने एक बार उससे कहा कि मैं तुम्हें स्कूल लेने आऊँगा, उसने साफ मना किया कि आप मत आना नहीं तो मेरे दोस्त आपको कुर्ता-पायजामा पहने हुए देख लेंगे। आज इस छवि को सुधारने की और उदाहरण बनकर राजनीतिक क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है।
प्रदूषणरहित ट्रैफिक व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने दिल्ली सहित मध्यप्रदेश में भी बढ़ते हुए प्रदूषण से उत्पन्न खतरे के संबंध में एक बच्चे प्रश्न के उत्तर में कहा कि दिल्ली न केवल भारत बल्कि विश्व में सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता है। इसका मुख्य कारण है खेतों में नरवाई का जलना, जो दिल्ली से लगे पंजाब, हरियाणा के खेतों में जलाई जाती है। इसके साथ ही औद्योगिक प्रदूषण का भी इसमें बड़ा योगदान है। मुख्यमंत्री ने बच्चों को बताया कि प्रदूषण मुख्यत: उद्योग एवं बढ़ते हुए वाहनों के कारण बढ़ता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में औद्योगिक प्रदूषण तो नियंत्रण में है लेकिन वाहनों की संख्या में जिस तरह भारी वृद्धि हो रही है इससे हमारे यहाँ पर्यावरण को काफी क्षति पहुँच रही है। श्री नाथ ने बताया कि इसके समाधान के लिए हमने ई-वाहन योजना को शुरू करने का निर्णय लिया है। प्रयोग के तौर में इंदौर में महिलाओं के द्वारा ई-वाहन चलाने की शुरूआत की गई है। हम सीएनजी वाहनों को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं और इसके लिए सब्सिडी भी देंगे।
खेल में उत्कृष्टता हमारी प्राथमिकता
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा विश्व स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन संबंधी सवाल के जवाब में कहा कि हम प्रदेश के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने और उन्हें सुविधाएँ देने के लिए प्राथमिकता पर काम कर रहे हैं। प्रयास यह है कि शिक्षा के अलावा बच्चे अन्य गतिविधियों विशेषकर खेल के क्षेत्र में आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है मानसिक अनुशासन। मुख्यमंत्री ने बताया कि हाल ही में छिन्दवाड़ा की भावना डेहरिया एवं सीहोर की मेघा परमार ने माउंट एवरेस्ट पर फतह किया है। उन्होंने बताया कि भावना डेहरिया मेरे संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा की बेटी है जब वह माउंट एवरेस्ट जा रही थी तब उसने मुझसे मदद का आग्रह किया था। मैंने उसकी मदद की जिसका परिणाम यह हुआ कि उसने हमारे प्रदेश को गौरवान्वित किया। प्रतिभावान खिलाड़ियों को ऐसा वातावरण और संसाधन उपलब्ध कराएंजिससे वह उत्कृष्ट कर सकें, इस दिशा में सरकार प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने क्रिकेट खेला और लगाए कई शॉट
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अपने निवास के लॉन में बच्चों के साथ क्रिकेट भी खेला। मुख्यमंत्री ने बैटिंग की और बच्चों की बॉलिंग पर कई शॉट भी लगाए। श्री नाथ ने आठ वर्षीय बालक के साथ फुटबॉल भी खेली।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को एक समाचार-पत्र द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों से भोपाल लाये गये बच्चों के साथ मुख्यमंत्री का यह संवाद हुआ। ये बच्चे छिंदवाड़ा, बैतूल, झाबुआ, शहडोल, अलीराजपुर, खंडवा, सागर, उज्जैन, रतलाम, होशंगाबाद, ग्वालियर, इंदौर और भोपाल के स्कूलों में अध्ययनरत है।