भैरव जयंती का शंखनाद होगी विशेष पूजा अर्चना

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बिलासपुर । प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी रतनपुर की प्राचीन मंदिर श्री तंत्र पीठ भैरव मंदिर रतनपुर में प्रतिवर्ष मार्ग शीर्ष  माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्री भैरव जयंती बड़े धूमधाम से मनाई  जाती  हैं इस बार श्री भगवान भैरव जी की जयंती 19 नवंबर को है इस अवसर पर 9 दिवसीय कार्यक्रम है जो 17 नवंबर से प्रारंभ होकर 25 नवंबर तक चलेगी जिसमें मुख्य श्री भगवान भैरव जी की जयंती का कार्यक्रम है साथ लक्ष्मी नारायण यज्ञ प्रधान है इस अवसर पर श्री विष्णु सहस्त्रनाम पाठ श्री लक्ष्मी सूक्त आदित्य हृदय स्त्रोत पाठ महामृत्युंजय मंत्र जाप कालसर्प दोष एवं नवग्रह मंत्र का विशेष जाप किये जाएंगे। भगवान जी की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं पूरे 9 दिवस भक्ति में रहते हैं दिन में जहां यज्ञ आहुति की ध्वनि  गूंजती  है वहीं रात्रि में भक्ति जगराता में मन प्रसन्न हो जाते हैं इस अवसर पर लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मंदिर में आते  हैं और भगवान से अपनी मनोकामना के लिए पूजा करते हैं सभी श्रद्धालुओं के लिए यज्ञ पूजा हवन किए जाते हैं अगर जो व्यक्ति खुद बैठकर हवन करना चाहते हैं उसके लिए भी मंदिर के द्वारा हवन कराए जाते हैं मंदिर में आने जाने वाले व्यक्तियों के लिए प्रतिदिन भोजन भंडारा होते हैं।
श्री भगवान भैरव जी मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अवतार लिए थे इसी शुभ अवसर पर बड़ी धूमधाम से श्री भगवान भैरव जी की जयंती मनाई जाती हैं भगवान जी के जयंती के अवसर पर निशुल्क सामूहिक विवाह उपनयन संस्कार इत्यादि धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं मंदिर द्वारा प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले इस महोत्सव में लोग बड़ी दूर से आते हैं और अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करके जाते हैं इस बार बालोद जिले से अंतरराष्ट्रीय श्री रामलीला मंडली आएंगे जो भगवान श्री राम जी की चरित्र का वर्णन भी करेंगे पूरे रात्रि 9 दिवस श्री रामलीला होंगे जो  रात्रि 8:00 से 12:00 तक का समय निर्धारित किए गए एवं दिन में वैदिक ब्राह्मण के द्वारा हवन पूजन एवं मंत्रों से मंदिर  गूंजते रहेंगे यहां भगवान भैरव नाथ तंत्र की अधिष्ठाता देवता है इसलिए लोग यहां तंत्र विद्या के लिए भी दूर-दूर से आते हैं और अपनी मंत्र जाप करने की बाद भगवान से आज्ञा लेकर चली जाती है और लोगों को कल्याण करते हैं यह जानकारी मंदिर के प्रबंधक व प्रमुख पुजारी पंडित जागेश्वर अवस्थी ने दी है।