नई दिल्ली: दिल्ली में भयावह प्रदूषण (Pollution) और चार नवंबर को वाहनों के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूले के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि प्रदूषण से लोगों का दम घुट रहा है. घर के कमरे भी प्रदूषण से नहीं बचे. क्या इस तरह हम जीवन जी सकते हैं? सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. केंद्र और राज्य एक दूसरे पर आरोप लगाने में जुटे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि शहर का दम घुट रहा है लेकिन दिल्ली सरकार और केंद्र आरोप-प्रत्यारोप में उलझे है. हर साल यह हो रहा है और यह 10-15 दिनों से जारी है. यह सभ्य देशों में नहीं किया जा सकता है. जीवन का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण है. यह हमारे जीने का तरीका नहीं है. कुछ ज्यादा हो गया. कोई भी कमरा इस शहर में रहने के लिए सुरक्षित नहीं है, यहां तक कि घरों में भी. हम इसके कारण अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष खो रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर तुरंत रोक लगनी चाहिए जिसके लिए राज्य सरकारों को कदम उठाने होंगे. कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब की सरकार को फटकारा. कोर्ट ने कहा कि प्रशासन को सख़्त कदम उठाने होंगे और अधिकारियों के साथ-साथ ग्राम प्रधान तक की ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि आधे घंटे में विशेषज्ञ को बुलाओ. आईआईटी से विशेषज्ञ के अलावा मंत्रालय से किसी को बुलाओ जो कोर्ट को बताए कि प्रदूषण रोकने के लिए क्या उपाय किए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि किसान अपनी आजीविका के लिए दूसरों को नहीं मार सकते. अगर वो पराली जलाना जारी रखते हैं तो हमें ऐसे लोगों से कोई सहानुभूति नहीं है.
ऑड-ईवन स्कीम पर सवाल
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ऑड- इवन स्कीम पर सवाल खड़े किए. कोर्ट ने पूछा, ''ये स्कीम प्रदूषण रोकथाम में कैसे सहायक होगी. अगर लोग आने जाने के लिए ज़्यादा ऑटो रिक्शा और टैक्सी का इस्तेमाल करते हैं तो फिर इस ऑड-ईवन स्कीम लागू करने का मकसद क्या है. इससे क्या फायदा होने वाला है?''
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि अगर आप प्रदूषण की रोकथाम के लिए डीजल गाड़ियों पर रोक लगाते है, तो समझ में आता है पर ODD-Even स्कीम लागू करने का मकसद क्या है? आप इस स्कीम के जरिये एक तरह की गाड़ियों के सड़क पर चलने पर रोक लगा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ इसके एवज में दूसरी गाडि़यां ( ऑटो-रिक्शा) चल रही हैं.
उल्लेखनीय है कि दिल्ली-एनसीआर में हो रहे प्रदूषण (Pollution) के चलते उपजे हालातों पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है. जावडेकर ने केजरीवाल द्वारा बार बार पराली जलाने को लेकर किसानों पर निशाना साधने पर कहा है कि हमने तो 1100 करोड़ किसानों को दिया है. दिल्ली सरकार देखे कि 1500 विज्ञापन में बेकार करने के बजाए किसानों को क्यों नहीं दे दिया.
विज्ञापन खर्चे पर जावडेकर को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जवाब देते हुए कहा, 'केंद्र सरकार झूठ बोल रही है. हमने 1-2 करोड़ खर्च किया है. हमने डेंगू को हराया. दिल्ली अकेला शहर है जिसने कम्पैन के जरिये डेंगू को खत्म किया. इसके लिए जावड़ेकर जी को तरफ करनी चाहिए दिल्लीवालों की. उन्होंने कहा कि पराली पर केंद्र सरकार को राज्यों से बात करनी चाहिए.' प्रकाश जावडेकर ने कहा प्रदूषण को लेकर कल भी मीटिंग हुई थी, आज भी हो रही है.
प्रकाश जावडेकर ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण भारतीय जीवनशैली का हमेशा से हिस्सा रहा है लेकिन इसे हम अपने व्यापारिक व्यवहार में नहीं ला पाए हैं. ये अहम मुद्दा है. इसलिए आप देखभाल की जिम्मेदारी लेने को तैयार है तो सरकार इसके लिए आपको स्वतंत्रता देने के लिए तैयार है. बाहर से कोई डंडा चलाए तो उससे कुछ बदलने वाला नहीं है. बदलाव अंदर से ही आएगा तभी कुछ होगा.
वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'पूरे उतरी भारत में नासा की सैटॅलाइट की तस्वीर है. पूरे उत्तर भारत में धुएं की चादर छायी हुई है. हम दिल्ली में बच्चों और लोगों के लिए बहुत ज्यादा चिंतित हैं. इसलिए जो भी हमारे बस में कदम हो सकते हैं हम उठा रहे है. बाहर से जो पराली का प्रदूषण आ रहा है हम उसको कम नहीं कर सकते. लेकिन दिल्ली में रोज़ 30 लाख कारें उतरती थी. आज 15 लाख ही उतरेंगी. दिल्ली के लोग स्वेच्छा से ऐसा कर रहे हैं. 1-2 ही चालान हुए हैं. मैं ऑटोवालों और टैक्सी वालों से अपील करता हूं की ओवरचार्जिंग न करें.'