हिंगोट युद्ध: तुर्रा और कंलगी दल के योद्धाओं के बीच चले अग्निबाण, 38 लोग घायल

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इंदौर. दिवाली (Diwali) के दूसरे दिन इंदौर (Indore) के गौतमपुरा में परम्परागत हिंगोट युद्ध (Hingot war) का आयोजन किया गया, जिसमें तुर्रा दल (Turra Dal) और कलंगी दल (Kalangi Dal) के बीच जमकर अग्निबाण चले. इस दौरान 38 लोग घायल हो गए, जिसमें से दो को अस्पताल में भर्ती किया गया है. जबकि इस बार पिछले साल के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा पुलिस बल (Police force) लगाया था. यही नहीं पहली बार इंदौर से वज्र वाहन बुलवाया गया था.

जब युद्ध मैदान में भिड़ गए योद्धा

इंदौर से करीब 60 किलोमीटर दूर गौतमपुरा में सदियों पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए हिंगोट युद्ध का आयोजन हुआ. देवनारायण मंदिर के सामने युद्ध मैदान पर गांवों के योद्धा आपस में भिड़े और एक-दूसरे पर जमकर अग्निबाण चलाए. इसे देखने देश की कई जगहों से लोग पहुंचे. दीपावली के अगले दिन सोमवार को गोवर्धन पूजा के दिन शाम 4 बजे तुर्रा-गौतमपुरा और कलंगी-रूणजी के निशान लिए दो दल सज-धजकर ढोल-ढमाकों के साथ झूमते हुए योद्धा कंधों पर थैले में भरे हिंगोट, एक हाथ में ढाल और दूसरे में जलती बांस की कीमची लिए बड़नगर रोड के देवनारायण मंदिर पहुंच गए. इसके बाद एक दूसरे पर अग्निबाण फेंकने की शुरूआत हो गई. दोनों छोर से योद्धाओं ने एक-दूसरे पर जलते हिंगोट फेंकने शुरू कर दिए. करीब सवा घंटे तक चले युद्ध के दौरान जलता तीर लगने से कुछ 38 लोग झुलस गए. इसमें से दो को गौतमपुरा के अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, लेकिन इन सब के बीच उत्साह में कहीं कमी दिखाई नहीं दी. जैसे ही अंधेरा हुआ युद्ध समाप्त कर दिया गया. इस युद्ध को देखने इंदौर सांसद शंकर लालवानी स्थानीय विधायक विशाल पटेल समेत कई जनप्रतिनिधि भी पहुंचे.

खतरों के खिलाड़ी

कई बार इस परम्परा को रोकने की कोशिश की गई लेकिन आज भी लोग इस खतरनाक खेल को खेलने से नहीं चूकते हैं. तुर्रा दल के प्रमुख 90 साल के मान सिंह पहलवान आज भी इस युद्ध को लेकर युवाओं के समान जोश से भरे रहते हैं. उनकी इच्छा आज भी युद्ध मैदान में उतरने की है, लेकिन अब शरीर साथ नहीं देता. कलगी दल के 19 साल के युवा योद्धा आकाश गोस्वामी का कहना है कि ये परंपरा हमारे पूर्वजों ने हमें दी है. ये हमारी धरोहर है, जिसमें जोश-खरोश के साथ खेलने में जो रोमांच आता है, शायद ही अन्य किसी खेल में आता होगा.

भारत-पाक जैसा रोमांचक है हिंगोट युद्ध

हिंगोट युद्ध में हर साल कई लोग घायल होते हैं और 2017 में तो एक व्यक्ति की मौत भी हो चुकी है. इसलिए इस बार हिंगोट युद्ध के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. थ्री लेयर में बेरीकेटिंग कराई गई थी. साथ ही 8 फुट ऊंची बेरीकेटिंग लगाई गई. पिछले साल के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा पुलिस बल लगाया गया. एंबुलेस और फायर ब्रिगेड गाड़ियों की संख्या भी बढ़ाई गई और पहली बार इंदौर से वज्र वाहन भी बुलाया गया. हालांकि कैजुअल्टी नहीं रूकीं. गौतमपुरा के एसडीओपी राजकुमार राय का कहना है कि हमारी प्राथमिकता कोई आम आदमी घायल न हो ये रहती है. इसलिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं. ये रोमांचक खेल देशभर ही नहीं संभवत: दुनिया में सिर्फ गौतमपुरा में ही होता है. इसका हुनर भी सिर्फ गौतमपुरा के लोगों को मिला है. यही कारण है कि ये अनूठा खेल दूरदराज के दर्शकों को लुभाता है. यकीनन इसका रोमांच भी भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले क्रिकेट मैच की तरह ही होता है.