कर्ज से मुक्ति दिलाते हैं भगवान ऋणमुक्तेश्वर, दीपावली पर चने की दाल का लगता भोग

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हरदा. आमतौर पर शिवालयों में मनोकामना पूरी करने के लिए श्रद्धालु भगवान शिव को दूध-दही और पंचामृत का भोग लगाते हैं. लेकिन हरदा (Harda) और देवास जिले (Dewas) की सीमा के बीच बहने वाली नर्मदा नदी (Narmada River) के किनारे बसे नेमावर में स्थित प्राचीन ऋणमुक्तेश्वर मंदिर (Lord Rinmukteshwar Temple) में अनोखी परंपरा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर में अमावस्या के मौके पर भगवान शंकर (Lord Shiva) को चने की दाल चढ़ाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली (Diwali 2019) के शुभ दिन इस मंदिर में भगवान शिव को चने की दाल चढ़ाने से माता-पिता के कर्ज के साथ सभी प्रकार के ऋण से मुक्ति मिलती है. दीपावली की अमावस्या पर चने की दाल चढ़ाने से भगवान ऋणमुक्तेश्वर प्रसन्न होकर अपने भक्तों को धन ऐश्वर्य प्रदान करते हैं.
दीपावली पर जुटते हैं श्रद्धालु
सिद्ध क्षेत्र नेमावर में पुण्यसलिला नर्मदा किनारे स्थित पांडवकालीन ऋणमुक्तेश्वर मंदिर अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक अमावस्या पर मनाई जाने वाली दीपावली के मौके पर चने की दाल चढ़ाने की परंपरा के कारण इस मंदिर की बड़ी प्रसिद्धि है. दिवाली के मौके पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और नर्मदा नदी में स्नान के बाद ऋणमुक्तेश्वर मंदिर में भगवान शिव को चने की दाल चढ़ाकर हर प्रकार के कर्जों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करते हैं. रविवार को देवास जिले के सतवास से आए श्रद्धालु प्रकाश सोलंकी ने बताया कि वे हर साल दिवाली पर यहां चने की दाल चढ़ाने आते हैं. उन्होंने बताया कि इससे उन्हें व्यापार में भी फायदा हुआ है. वहीं हरदा के ग्राम भादूगांव से आए श्रद्धालु अर्जुन देवड़ा ने बताया कि वे हर माह की अमावस्या पर यहां आकर भगवान ऋणमुक्तेशवर को चने की दाल चढ़ाते हैं.
इसलिए चढ़ाई जाती है चने की दाल
ऋणमुक्तेश्वर मंदिर में भगवान शिव को चने की दाल क्यों चढ़ाई जाती है, इस विषय पर मंदिर के पुजारी पंडित दिलीप व्यास ने विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार ऋणमुक्तेशवर मंदिर देवताओं के गुरु बृहस्पति का स्थान है. भगवान शिव ने सभी ग्रहों को अलग-अलग स्थान दिया है, इनमें से बृहस्पति को ऋणमुक्तेश्वर मंदिर में स्थान दिया गया. शिव के अलावा गुरु बृहस्पति का स्थान होने की वजह से इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. गुरु बृहस्पति पीले रंग से प्रसन्न होते हैं, इसलिए भगवान शिव को चने की दाल चढ़ाई जाती है. पुजारी ने बताया कि इसके प्रभाव से प्रसन्न होकर भगवान शिव अभी अनिष्ट ग्रहों को शांत रखते हैं. यहां आने से श्रद्धालुओं के सभी बिगड़े काम पूरे होते हैं, साथ ही उन्हें हर प्रकार के ऋण से मुक्ति मिल जाती है.
विवाह होने की भी है मान्यता
ऋणमुक्तेशवर मंदिर से जुड़ी एक अन्य मान्यता भी है. मंदिर के एक अन्य पुजारी पंडित रमेशचंद्र व्यास ने बताया कि यह मंदिर हजारों साल पुराना है. पुराणों के अनुसार दिवाली के मौके पर नर्मदा नदी में स्नान के बाद इस मंदिर में चने की दाल चढ़ाने से न सिर्फ हर प्रकार के ऋण से मुक्ति मिलती है, बल्कि जिनके विवाह नहीं हुआ होता है, उनकी यह मनोकामना भी पूरी हो जाती है. उन्होंने बताया कि संभवतः पूरे प्रदेश में यह एकमात्र मंदिर है, जहां शिवजी को चने की दाल चढ़ाई जाती है.