झारखंड उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बिहार की अनुसूचित जातियों और ओबीसी को झारखंड में आरक्षण का लाभ देने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया।
झारखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एचसी मिश्र, एवं अपरेश कुमार सिंह तथा बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने इस मामले में तीन दिनों की सुनवाई के बाद आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कहा गया कि एकीकृत बिहार, वर्तमान बिहार और वर्तमान झारखंड में उनकी जाति अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में शामिल है इसलिए वर्तमान झारखंड में उन्हें एससी और ओबीसी के रूप में आरक्षण मिलना चाहिए।
प्रार्थी कहना था कि पिछले कई सालों से वह झारखंड क्षेत्र में रह रहे हैं। नए राज्य झारखंड के निर्माण के बाद 15 नवंबर 2000 से वह लगातार झारखंड में हैं।
उन्होंने कहा कि सिर्फ इसलिए उन्हें आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह बिहार के स्थाई निवासी हैं। उनकी ओर से अदालत को बताया गया कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) के तहत उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।
सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजीत कुमार और अपर महाधिवक्ता मनोज टंडन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि झारखंड के स्थाई निवासी को ही राज्य की आरक्षण नीति के तहत लाभ दिया जा सकता है। दूसरे राज्यों के लोगों को उस राज्य की आरक्षण नीति का लाभ सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही दिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य में वहीं के स्थानीय निवासियों को आरक्षण का लाभ मिलता है। इस कारण झारखंड में भी दूसरे राज्य के लोगों को सामान्य श्रेणी में ही माना जाएगा। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।