भोपाल. बारिश (Rains) के बाद एक तरफ जहां मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) के मंत्री (Ministers) पैदल सड़क पर गड्ढों के साइज नाप रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उन्हीं सड़कों पर लगातार हादसे हो रहे हैं. पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा (Minister Sajjan singh verma) और पीसी शर्मा (PC sharma) के सड़कों का हाल जानने के एक दिन बाद ही राजधानी भोपाल के सूरज नगर इलाके में बड़ा हादसा हो गया. गड्ढों को लेकर चल रही राजनीति के बीच जर्जर हो चुके सड़क और पुलियों की ओर किसी का ध्यान नहीं है, जो आएदिन दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं.
भदभदा में जा गिरा ट्रक
हादसा उस वक्त हुआ जब सड़क पर जर्जर हो चुकी पुलिया से एक ट्रक गुजर रहा था. जैसे ही ट्रक गुजरा पुलिया के ढहने से वो सीधे भदभदा डैम के पानी में जा गिरा. गनीमत रही कि इस हादसे में ट्रक का ड्राइवर और क्लीनर बाल-बाल बच गए. इस हादसे के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल इसलिए क्योंकि सड़क पर सियासत के लिए मंत्री गड्ढों के साइज नाप रहे हैं, लेकिन जर्जर सड़क और पुलियों को दुरुस्त करने की ओर से किसी का ध्यान नहीं है. जिस जगह भोपाल में हादसा हुआ वहां से रोजाना दर्जनों स्कूल बसें निकलती हैं. अगर पुलिया ढहने के वक्त कोई स्कूली बस वहां से गुजर रही होती तो बड़ा हादसा हो सकता था.
सड़क, गड्ढे और सियासत
बारिश थमने के बाद खराब हुई सड़कों को लेकर मध्य प्रदेश में इन दिनों जमकर सियासत हो रही है. खराब सड़कों का ठीकरा कांग्रेस पूर्व की बीजेपी सरकार पर फोड़ रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस को सरकार बनाए हुए एक साल होने जा रहा है. लिहाजा अब इन्हें दुरुस्त कराना कांग्रेस सरकार की जिम्मेदारी है. सड़कों का जायजा लेने के लिए पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा मंगलवार को पैदल सड़कों पर निकले थे. इस दौरान मंत्रियों ने बिगड़े बोल बोलते हुए सड़कों की तुलना बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के गालों से कर दी थी.
क्या है सड़कों की स्थिति?
बारिश की वजह से पूरे प्रदेश में 4 हज़ार किमी से ज्यादा सड़कें खराब हो चुकी हैं. अकेले राजधानी भोपाल की बात करें तो 65 फीसदी से ज्यादा सड़कें खराब हैं. कुल 4692 किमी सड़कों में से 3 हजार किमी सड़कों की यही स्थिति है. शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण इलाकों के अधिकांश पुल पुलिये जर्जर हो रहे हैं. अकेले राजधानी भोपाल की सड़कों की मरम्मत के लिए 44 करोड़ रुपयों की ज़रुरत है. इन परिस्थितियों में आपदा के मुआवजे के साथ-साथ सड़कों की मरम्मत भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.