मॉब लिंचिंग का मुद्दा उठाने वाली 49 हस्तियों के खिलाफ नहीं चलेगा देशद्रोह का मुकदमा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर देश में मॉब लिंचिंग के बढ़ते मामलों का मुद्दा उठाने वाले 49 प्रतिष्ठित लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलेगा। बिहार के मुजफ्फरपुर के एसएसपी ने बुधवार को इन प्रतिष्ठित लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को बंद करने के आदेश दिए। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी को खुला खत लिखने पर इन लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज होने पर केंद्र सरकार की जमकर आलोचना हो रही थी।
एसएसपी ने कहा, "राजद्रोह का मामला बंद करने का आदेश दिया गया है। मामला बंद करने का अनुरोध (क्लोजर रिपोर्ट) प्रक्रिया के तहत अदालत को सौंपा जाएगा।" हालांकि, एसएसपी ने मामले में ज्यादा जानकारी नहीं दी। वहीं, पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप शरारतपूर्ण हैं और उनमें कोई ठोस आधार नहीं है।

बता दें कि भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत तीन अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई थी। फिल्म निर्माता मणिरत्नम, अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल, अभिनेता सौमित्र चटर्जी, गायक शुभा मुद्गल, अपर्णा सेन, अडूर गोपालकृष्णन और इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित 49 हस्तियों पर देशद्रोह के आरोप लगे थे।

यह मुकदमा स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की ओर से दो महीने पहले दायर की गई एक याचिका पर मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी के आदेश के बाद दर्ज हुआ था। ओझा ने बताया था कि सीजेएम ने 20 अगस्त को उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी। इसके बाद मुजफ्फरपुर के सदर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई।
पीएम को 49 लोगों ने लिखी थी खुली चिट्ठी
रामचंद्र गुहा, मणिरत्नम, श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप और शुभा मुद्गल समेत 40 हस्तियों ने इसी साल जुलाई में देश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं और जय श्रीराम नारे के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी को एक खुता पत्र लिखा था। प्रधानमंत्री के नाम लिखे गए पत्र में कहा गया था कि देश भर में लोगों को जय श्रीराम नारे के आधार पर उकसाने का काम किया जा रहा है। साथ ही दलित, मुस्लिम और दूसरे कमजोर तबकों की मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई थी।
इसके जवाब में 61 लोगों लिखा पत्र
49 लोगों के खुले पत्र के जवाब में दो दिन बाद 61 हस्तियों ने भी एक खुली चिट्ठी लिखी। इस जवाबी चिट्ठी में प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र को सिलेक्टिव गुस्सा और गलत नैरेटिव स्थापित करने की कोशिश करार दिया गया। जवाबी खुली चिट्ठी लिखने वाली हस्तियों में लेखक प्रसून जोशी, क्लासिकल डांसर और सांसद सोनल मानसिंह, अभिनेत्री कंगना रनौत, मोहन वीणा के वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट और फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर एवं विवेक अग्निहोत्री शामिल थे।
फिर 180 हस्तियों ने लिखा- 'चिट्ठी लिखना राजद्रोह कैसे?'
इसके बाद देश की जानी-मानी 180 से ज्यादा हस्तियों ने प्रधानमंत्री मोदी को खत लिखने पर 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के मामले की निंदा की। इन लोगों में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, सिनेमेटोग्राफर आनंद प्रधान, इतिहासकार रोमिला थापर और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर शामिल हैं। सात अक्टूबर को लिखे पत्र में इन सांस्कृतिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों ने सवाल पूछा है कि आखिर प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखना किस तरह से राजद्रोह हो सकता है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी की निंदा
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मॉब लिंचिंग का मुद्दा उठाने वाले 49 प्रतिष्ठित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने पर विरोध जताया। थरूर ने सोमवार को लिखे पत्र में इन लोगों को राष्ट्रद्रोही कहे जाने पर आपत्ति जताई। थरूर ने कहा, अगर ब्रिटिश राज के तहत असंतुष्टों ने विरोध का साहस न दिखाया होता तो आजाद भारत का इतिहास कुछ अलग होता।

थरूर ने लिखा- "हम उम्मीद करते हैं कि आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करेंगे ताकि मन की बात कहीं मौन की बात न बन जाए।"

उन्होंने पीएम मोदी के एक पुराने भाषण का हवाला देते हुए कहा कि पीएम जी, आपने साल 2016 में यूएस कांग्रेस को संबोधित करते हुए भारत के संविधान को पवित्र किताब बताया था। आपने कहा था कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति, भाषण और समानता का अधिकार देता है।
सरकार पहले ही कह चुकी- कोई लेना-देना नहीं
केंद्र सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि इस मामले से उसका या भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि बुद्धिजीवियों और कलाकारों के खिलाफ देशद्रोह के मुकदमे के लिए विपक्षी पार्टियों द्वारा मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह से गलत है। यह अफवाह निहित स्वार्थ वाले लोगों और टुकड़े-टुकड़े गिरोह द्वारा फैलाया जा रहा है। जावड़ेकर ने कहा कि एक याचिका के बाद बिहार की अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई है।