मां दुर्गा की प्रतिमा को आकार देता है एक मुसलमान, पढ़िए एमपी के गांव की कहानी

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नरसिंहपुर. नवरात्र (Navratri 2019) के पावन अवसर पर देशभर में मां दुर्गा की धूमधाम से पूजा की जा रही है. ऐसे में मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर (Narsinghpur) जिले का एक गांव बरबस ही आपका ध्यान खींच लेता है. इस गांव की दुर्गा पूजा की खासियत एक मुसलमान कारीगर है, जो मां दुर्गा की प्रतिमा को आकार देने में अहम भूमिका निभाता है. जी हां, नरसिंहपुर के इस गांव में इंसानियत के आगे, धर्म-जाति या मजहब सब छूट जाते हैं. जिले के निवारी पान गांव में मां दुर्गा की पूजा (Durga Puja) के अवसर पर नौ देवियों की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. इन सभी प्रतिमाओं को आकार देने में यहां के मुस्लिम कारीगर रहीम खान का नाम जरूर शामिल है.

15 साल से बना रहे प्रतिमा

निवारी पान गांव के निवासी रहीम खान मुस्लिम हैं, फिर भी पिछले 15 वर्षों से वे गांव में स्थापित होने वाली माता रानी की मुख्य प्रतिमा को आकार देते आ रहे हैं. गांव के इस सबसे बड़े त्योहार की सबसे बड़ी ख़ासियत यही है कि यहां के ग्रामीण और समिति के सदस्य ही माता की प्रतिमा बनाते हैं. गांव की इस समिति ने न तो कभी माता रानी की मूर्तियां खरीदी और न ही कभी किसी मूर्तिकार से मूर्तियां लीं. गांव के केशव चौरसिया व राजू चौरसिया की अगुवाई पिछले 40 साल से मिट्टी गूंथने से लेकर प्रतिमा बनाने का कार्य निशुल्क किया जा रहा है. इस काम में इनका साथ देते हैं कारीगर रहीम खान. ये सब इसी दुर्गा समिति के सदस्य भी हैं और मूर्तियां बनाने वाले भी.

सिर्फ एक रहीम ही नहीं

निवारी पान गांव की इस दुर्गा पूजा समिति में सिर्फ एक रहीम खान नहीं हैं, बल्कि उनके जैसे कई मुस्लिम भी समिति के सदस्य हैं. गांव में कोई भी त्योहार हो, यहां रहने वाले सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर उत्सव मनाते हैं. मुहर्रम में हिंदू सजदा करते हैं तो नवरात्र में मुस्लिम टोपी पहन माता रानी के दरबार में आराधना करते हैं. नरसिंहपुर जिले का यह गांव हकीकत में सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी तस्वीर पेश करता है. इस बार भी नवरात्र में ग्रामीणों ने नौ देवियों को भगवान महादेव की परिक्रमा स्वरूप में स्थापित किया है. शाम होते ही यहां पैर रखने की जगह नहीं होती और सारा गांव देवी आराधना में डूब जाता है.