राज्य शासन ने वर्ष 2019 में नये रेत नियम लागू किये हैं। इनके आधार पर प्रदेश में समूह बनाकर रेत खदानों की निविदाओं को आमंत्रित कर तीन वर्ष तक संचालन के लिये प्रस्ताव बनाये गये हैं। इन प्रस्ताव के अनुसार मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम ऑनलाईन निविदा की प्रक्रिया चालू करने जा रहा है।
खनिज साधन मंत्री श्री प्रदीप जायसवाल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि नियमों के विषय में मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की आम जनता और इच्छुक व्यवसायियों से सुझाव बुलाये जाने पर भारी संख्या में प्रदेश हित में सकरात्मक सुझाव प्राप्त हुए। कुल 408 सुझाव विभिन्न माध्यम से प्राप्त हुए। प्रत्येक सुझाव पर विचार-विमर्श करने के बाद सम्पूर्ण प्रक्रिया और खदानों के संचालन के नियमों को स्वीकृति दी गई है।
मंत्री श्री जायसवाल ने बताया कि प्रदेश के 43 जिलों में रेत खदानें पायी जाती हैं। इनमें शत-प्रतिशत सर्वेक्षण कर मात्रा का आंकलन विभाग द्वारा किया गया है। जिलावार समूह बनाये गये हैं। सबसे बड़ा समूह होशंगाबाद जिले का है, जिसका आरक्षित मूल्य 96 करोड़ रूपये होगा। कुल पाँच जिले 25 करोड़ रूपये या उससे अधिक के आरक्षित मूल्य के हैं तथा 23 जिले दस करोड़ रूपये या उससे कम आरक्षित मूल्य के रखे गये हैं।
निविदाओं की कार्यवाही और रेत खदानों का संचालन मध्यप्रदेश राज्य खनिज निगम द्वारा भारत सरकार के एनआईसी के निविदा पोर्टल के माध्यम से किया जायेगा। निविदा में भाग लेने के लिये आरक्षित मूल्य का 25 प्रतिशत सुरक्षा निधि के रूप में जमा कराना आवश्यक है। सफल वैधानिक स्वीकृतियाँ और अनुमतियाँ प्राप्त करना ठेकेदार का उत्तरदायित्व है।
नये नियमों के अनुसार ग्राम पंचायतें, जिनमें ये खदानें स्थित हैं, को पहले से बढ़कर स्थानीय विकास की राशि प्राप्त होगी। जिले को भी डीएमएफ अंतर्गत स्थानीय विकास की राशि प्राप्त होगी। कुम्हार और परम्परागत स्थानीय शिल्पकारों को पूर्व की भाँति छूट रहेगी। स्थानीय निवासियों को रोजगार देना अनिवार्य है। नर्मदा नदी पर स्थित खदानों में मशीनों से खनन पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा।
प्रमुख सचिव, श्री नीरज मण्डलोई ने बताया कि निविदा प्रकाशन के एक माह के अंदर निविदा प्रक्रिया पूर्ण की जायेगी। इसके बाद सफल ठेकेदार को विभिन्न वैधानिक अनुमतियाँ लेने में एक से दो माह का समय लग सकता है। इस अवधि में प्रदेश में रेत की सप्लाई निरंतर बनी रहे, इसलिये नियमों में व्यापक प्रावधान किए गए हैं। जिन ठेकेदारों के पास पुरानी नीलामी प्रक्रिया के अंतर्गत मार्च,2020 अथवा उसके बाद के अनुबंध है, वे भी अपनी निर्धारित अनुबंध अवधि तक खनन प्रक्रिया जारी रख सकते हैं। प्रदेश के समस्त भण्डारण लाईसेन्स स्थगित कर दिये गये हैं, जिनके द्वारा अपने-अपने भण्डार की जानकारी जिला कलेक्टर को दी जाने के बाद और उसका सत्यापन होने के बाद जिला कलेक्टर भण्डारण को खाली करने की अनुमति एवं समय-सीमा दे सकते हैं। जिन निजी भूमि की खदानों को विनिश्चित दिनांक तक पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हो गई थी, वे भी सफल ठेकेदार के अनुबंध करने की दिनांक तक निजी भूमि की खदानों का संचालन कर सकते हैं।
प्रमुख सचिव ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में राज्य शासन को रेत खदानों से प्राप्त आय कुल 69 करोड़ रूपये थी। इसके विरूद्ध इस नई नीति के अंतर्गत 500 से 600 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष राजस्व प्राप्त होने की संभावना है।