8 महीने के बाद खुलेगी भोपाल DRM तिराहे की सड़क:पुलिस के ‘ओके’ का इंतजार

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भोपाल के डीआरएम तिराहे की सड़क 8 महीने बाद एक-दो दिन में खुल सकती है। 200 टन कंपोजिट स्टील ब्रिज की लॉन्चिंग के बाद सड़क का जीर्णोंद्धार और नाले का निर्माण किया गया। मेट्रो के अफसरों के मुताबिक- पुलिस के ‘ओके’ का इंतजार है। दरअसल, पुलिस अफसर रूट का निरीक्षण करेंगे। उनकी अनुमति मिलते ही रास्ता खोल देंगे।

रास्ता खुलने से करीब 5 लाख आबादी को आने-जाने में बड़ी राहत मिलेगी। यहां से होशंगाबाद रोड की कॉलोनी, अवधपुरी, बीडीए, एम्स, अलकापुरी, साकेतनगर, अमरावतखुर्द समेत सैकड़ों कॉलोनी जुड़ी हैं। यहां के लोग इसी सड़क का उपयोग करते थे, लेकिन मार्च में मेट्रो स्टील ब्रिज के निर्माण के चलते यह बंद कर दी गई थी। तभी से लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।

सड़क को व्यवस्थित किया, स्ट्रक्चर भी हटाया

मेट्रो कॉरपोरेशन को 15 अक्टूबर तक डायवर्सन मिला है। यानी, डायवर्सन का आज, मंगलवार को आखिरी दिन है। इसलिए सोमवार को सड़क की रिपेयरिंग, नाला निर्माण और लोहे के स्ट्रक्चर को हटाने का काम तेजी से चलता रहा। कुछ जगहों से बैरिकेड्स भी हटाए गए। वहीं, पुलिस अफसरों से भी संपर्क किया गया। ताकि, वे निरीक्षण करके रास्ता खोलने की परमिशन दे दें।

8 महीने से 7Km तक का ज्यादा फेरा

डीआरएम तिराहे की सड़क आईएसबीटी से वीर सावरकर ब्रिज के नीचे से होते हुए होशंगाबाद रोड को जोड़ती है। यही रास्ता मार्च यानी, 8 महीने से बंद है। इससे ट्रैफिक का पूरा दबाव सावरकर सेतु से लेकर बोर्ड ऑफिस चौराहे तक बढ़ गया।

  • बेतरतीब ट्रैफिक प्लान के कारण साकेत नगर और शक्ति नगर की अंदरूनी सड़कों पर भी ट्रैफिक का भार है, क्योंकि आरआरएल तिराहे और आईएसबीटी की तरफ से आने-जाने वाला 30% ट्रैफिक इन्हीं अंदरुनी सड़कों से होकर आता-जाता है। इससे ISBT से होशंगाबाद रोड की ओर जाने वाले लोगों को 5 से 7 किलो मीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है।
  • डायवर्सन की वजह से एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है। विश्वकर्मा नगर में एक 10 साल के दीपक सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी।
  • हबीबगंज नाके के पास किराना, एव्हरफ्रेश समेत अन्य दुकानें भी आठ महीने से बंद है। इससे कारोबार चौपट हो गया है।

ऊपर से मेट्रो, नीचे से गुजरेंगी गाड़ियां

RKMP (रानी कमलापति) रेलवे स्टेशन के पास हबीबगंज नाके से डीआरएम स्टेशन के बीच 2 स्टील ब्रिज से मेट्रो गुजरेगी। इसके लिए पिछले 8 महीने से काम चल रहा है। 4 सितंबर को 3 घंटे के अंदर रेलवे ट्रैक पर पिलर के ऊपर 65 मीटर लंबा और 400 टन वजनी ब्रिज का स्ट्रक्चर रख दिया गया था। वहीं, तिराहे के 200 टन वजनी और 48 मीटर लंबे कंपोजिट ब्रिज को भी रख दिया है। इसके नीचे से गाड़ियां और ऊपर से मेट्रो ट्रेन गुजरेगी।