सोशल मीडिया से बच्चों का डाटा चुराकर माता-पिता से ठगी कर रहे साइबर क्रिमिनल

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भोपाल। साइबर बदमाशों ने ठगी का नया टूल बनाया है। इसके माध्यम से वे पहले सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर युवाओं के उपलब्ध डाटा को चुराकर उसका अध्ययन करते हैं और फिर उनके अभिभावकों को फोन कर फर्जी पुलिस केस या अपहरण की झूठी जानकारी सुनाकर ठगी का प्रयास करते हैं।

उनका यह प्रयास कई बार सफल हो जाता है तो कुछ अभिभावक उनके इस झूठ को पकड़ लेते हैं और ठगी से बच जाते हैं। इस तरह के मामलों में पुलिस कार्रवाई अब तक शून्य बनी हुई है। पिछले करीब दो महीने में बच्चों के नाम पर अभिभावकों द्वारा ठगी की 20 से अधिक शिकायतें भोपाल साइबर क्राइम सेल में आई हैं, लेकिन पुलिस किसी एक केस में भी खुलासा नहीं कर सकी है।

इस तरह की जा रही ठगी

भोपाल साइबर क्राइम सेल के प्रभारी तरुण कुरील ने बताया कि बच्चों के फर्जी पुलिस केस और अपहरण की धमकी देकर साइबर ठगी के मामले में अब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। इस तरह के मामलों में पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि ठग बच्चों के सोशल मीडिया पर उपलब्ध अकाउंट्स के जरिए उनकी तमाम जानकारी इकट्ठा करते हैं।

इससे उन्हें बच्चे के स्कूल, कोचिंग या नौकरी पर जाने-आने के समय का पता लगता है। इसी समय वे अभिभावकों को फोन कर उनके बच्चे को पुलिस केस में फंसने की बात बताते हैं और फिर मामले को रफा-दफा करने के लिए रुपयों की मांग करते हैं।

बच्चों की वाइस क्लोनिंग

साथ ही वे बच्चे के झूठे अपहरण की जानकारी देकर फिरौती मांगते हैं। कई बार अभिभावक अपने बच्चों से बात कर वास्तविक स्थिति को जान लेते हैं, जबकि कई बार भोले-भाले माता-पिता अपने बच्चों के खातिर डरकर रुपये ठगों के बैंक खातों में डाल देते हैं।

हाल ही में अभिभावकों ने यह भी शिकायत की है कि साइबर ठगों द्वारा बच्चों की वाइस क्लोनिंग की गई थी, जिससे अभिभावकों को विश्वास दिलाया जा सके कि उनके बच्चे का अपहरण हो चुका है। साथ ही बच्चे को फोन कर आरोपित अपने नंबर पर उसके फोन काल डायवर्ट कर लेता था।

यदि बच्चे इन बातों का ध्यान रखेंगे तो अभिभावक ठगी से बच जाएंगे

  • सोशल मीडिया पर निजी जानकारी अपलोड करने से बचें।
  • हर प्लेटफार्म पर अपना मोबाइल नंबर उपलब्ध न कराएं।
  • फेसबुक, इंस्टाग्राम की किसी भी अनजान लिंक पर क्लि न करें।
  • जो भी एप डाउनलोड करें, उन्हें कान्टेक्ट लिस्ट का एक्सेस न दें