‘कंगारू मदर केयर’ से कमजोर नवजात शिशु को मिलेगा नया जीवन, मां के साथ पिता की जादुई झप्पी का भी दिखेगा कमाल

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भोपाल। जन्म के समय कमजोर बच्चों के लिए अब स्वास्थ्य विभाग ‘कंगारू मदर केयर’ शुरू करने जा रहा है। इसकी शुरुआत राजधानी भोपाल के जच्चा-बच्चा अस्पताल डॉ. कैलाशनाथ काटजू में हो चुकी है। इसके अलावा हमीदिया अस्पताल में भी यह प्रयोग आजमाया जा रहा है। इस थैरेपी के तहत अस्पताल में मां के स्पर्श से एक महीने में ही नवजात की सेहत में सुधार हो रहा है।

बता दें कि कंगारू मदर केयर थैरेपी सबसे पहले दिल्ली में शुरू की गई थी। इसके बाद मप्र में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत राजधानी भोपाल के हमीदिया और काटजू अस्पताल में शुरू किया गया है। इसकी प्रतिक्रिया बेहतर रही तो इसे प्रदेशभर में शुरू किया जाएगा। इसके लिए डॉक्टरों और अन्य स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाएगा। करीब एक साल पहले शुरू हुए इस प्रयोग से एक दर्जन से अधिक नवजात शिशुओं को नया जीवन मिल चुका है।
मां कमजोर थी तो पिता ने दी थैरेपी
एक मामले में नवजात बहुत कमजोर था और उसका वजन कम होने के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ थी। मांसपेशियों में भी अकड़न हो रही थी। उसकी स्थिति को देखते हुए तत्काल एसएनसीयू में उपचार के साथ डाक्टरों ने कंगारू मदर केयर की सलाह दी। लेकिन इस केस में मां की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह बच्चे को थैरेपी दे सके। इस कारण पिता से थैरेपी दिलवाई गई। इस दौरान बच्चे की हालत में काफी सुधार देखा गया। यही नहीं, नवजात का वजन 990 ग्राम से बढ़कर 1650 ग्राम तक हो गया।
स्वजन भी दे सकते हैं थैरेपी
जिस प्रकार कंगारू अपने थैली में बच्चे को रखता है, जिससे बच्चे को गर्माहट मिलती और वह स्वस्थ रहता है। उसी प्रकार कंगारू मदर केयर (केएमसी) थैरेपी भी काम करती। इसमें पहले आठ घंटे तक ही थैरेपी दी जाती थी, लेकिन अब बदलाव करते हुए मां और बच्चे को सिजेरियन और नॉर्मल डिलेवरी के कुछ मिनट बाद से ही साथ रखा जाता है। कुछ मामले में अगर मां ज्यादा क्रिटिकल है तो मां की जगह पर पिता या अन्य स्वजन बच्चों को केएमसी थैरेपी देते हैं।
-डॉ. स्मिता सक्सेना, शिशु रोग विशेषज्ञ, काटजू अस्पताल