भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट और कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि देश की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। इसलिए वह टूलकिट गिरोह के साथ मिलकर भारतीय शेयर बाजार को खत्म करना चाहती है।
रविशंकर ने सोमवार (12 अगस्त) को कांग्रेस पर ये आरोप लगाए। उन्होंने कहा- हिंडनबर्ग के मेन इन्वेस्टर अमेरिकी बिजनेसमैन भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस हैं। राहुल गांधी उनके एजेंट हैं। पीएम मोदी से नफरत करते-करते देश से नफरत करने लगे हैं।
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पिछले कुछ साल में देखा जा रहा है जब संसद सत्र जारी होता है, उसी समय ऐसे आरोप आते हैं। पीएम पर डॉक्यूमेंट्री, हिंडनबर्ग रिपोर्ट उदाहरण हैं। साफ है कि विपक्ष के तार विदेशों से जुड़े हैं।
दरअसल, हिंडनबर्ग रिपोर्ट में सेबी चेयरपर्सन पर लगे आरोपों के बाद राहुल गांधी ने पूछा था कि अगर निवेशकों को नुकसान होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। PM जेपीसी जांच से क्यों डरते हैं, यह अब पूरी तरह साफ हो गया है।
कौन हैं भारत विरोधी अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस
जॉर्ज सोरोस का जन्म 12 अगस्त, 1930 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। जॉर्ज पर दुनिया के कई देशों की राजनीति और समाज को प्रभावित करने का एजेंडा चलाने का आरोप हैं। सोरोस की संस्था ‘ओपन सोसाइटी फाउंडेशन’ ने 1999 में पहली बार भारत में एंट्री की।
2014 में इसने भारत में दवा, न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने और विकलांग लोगों को मदद करने वाली संस्थाओं को फंड देना शुरू किया। 2016 में भारत सरकार ने देश में इस संस्था के जरिए होने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी।
अगस्त 2023 में जॉर्ज का म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल में दिया बयान बेहद चर्चा में रहा। जब उन्होंने कहा था कि भारत लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। उनके उनके तेजी से बड़ा नेता बनने की अहम वजह मुस्लिमों के साथ की गई हिंसा है।
सोरोस ने CAA, 370 पर भी विवादित बयान दिए
सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने पर भी PM मोदी पर निशाना साधा था। सोरोस ने दोनों मौकों पर कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ बढ़ रहा है। दोनों ही मौकों पर उनके बयान बेहद तल्ख थे और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते दिखाई दिए थे।
सेबी और अडाणी ग्रुप ने सफाई में कहा- आरोप बेबुनियाद
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के आरोपों को बाजार नियामक SEBI और अडाणी समूह ने बेबुनियाद बताया है। SEBI ने रविवार को कहा कि उसने SEBI समूह के खिलाफ सभी आरोपों की जांच की है। चेयरपर्सन माधबी बुच ने समय-समय पर सभी खुलासे किए हैं। उन्होंने हितों के संभावित टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग किया है।
SEBI के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 3 जनवरी 2024 तक अडाणी समूह के खिलाफ 24 में से 22 जांच पूरी की है। मार्च 24 तक एक और जांच पूरी कर ली गई। एक बाकी है। SEBI प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों को छवि धूमिल करने की कोशिश बताया।
रिपोर्ट पर आए SEBI चीफ के बयान पर हिंडनबर्ग ने कहा- हमारी रिपोर्ट पर माधबी बुच के रिएक्शन से कई नए सवाल खड़े हुए हैं। बुच का बयान विनोद अडाणी के कथित तौर पर निकाले गए धन के साथ-साथ एक अस्पष्ट फंड संरचना में उनके निवेश की पुष्टि करती है। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अडाणी ग्रुप के डायरेक्टर थे।