भोपाल में वाहनों के फिटनेस सिस्टम में सोमवार से बदलाव हो जाएगा। अब तक जो जांच फिटनेस कैमरे से फोटो खींचकर की जाती थी, वह सेंसर से की जाएगी। यानी मशीनों से जांच कर वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाएगा। आज से शहर का पहला निजी ऑटोमैटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) काम करना शुरू कर देगा।
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आरटीओ ने फिटनेस कैमरे को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश जारी किए हैं। बताया जा रहा है कि हर एक टेस्ट में मशीन 10 से 15 मिनट लेगी, जिसमें मैनुअल सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। बता दें, आरटीओ भोपाल में रोजाना 150 से 300 तक गाड़ियों की फिटनेस की जांच की जाती है।
तीन तरह के फ्लोर बनाए गए
मशीन के लिए तीन तरह के फ्लोर बनाए गए हैं। इसमें टू-व्हीलर, कार और हेवी कमर्शियल व्हीकल शामिल हैं। इसमें सिर्फ गाड़ी खड़ी करनी होगी। जिसके बाद यह ऑटोमैटिकली गाड़ी के इंजन से लेकर सभी कलपुर्जे की जांच कर लेगी।
इसमें मुख्य रूप से पॉल्यूशन, स्पीडो मीटर, नॉइज लेवल मीटर, साइड स्लिप बेंच, ब्रेक टेस्ट, सस्पेंशन टेस्ट, इंजन टेस्ट शामिल हैं। बताया जा रहा है कि करोड़ों की लागत से बनी यह मशीन जर्मनी की टेक्नोलॉजी है।
कैमरे के सामने खड़े करने पड़ते हैं वाहन
अब तक प्रदेश के परिवहन विभाग में फिटनेस का काम कैमरे से किया जा रहा है। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय व जिला परिवहन कार्यालय में संचालित फिटनेस सेंटर के कैमरे के सामने वाहन को खड़ा किया जाता है, और फोटो खींचने के बाद सर्टिफिकेट जारी हो जाता है।
वाहन का इंजन, ब्रेक, बॉडी, टायर, हेडलाइट, स्टेयरिंग सहित अन कलपुर्जे काम रहे हैं या नहीं, यह जांचने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण अनफिट वाहन सड़कों पर दौड़ते हैं। अन फिट वाहन दुर्घटना का कारण बनते हैं।
वाहनों को कंडम होने से बचाया जा सकेगा
केंद्र सरकार की नई मोटरयान नीति की स्क्रैप पॉलिसी में इस नए फिटनेस सेंटर की भूमिका अहम होगी। इस पॉलिसी के तहत 15 से 20 साल पूरी कर चुके निजी वाहनों का पुन: पंजीकरण फिटनेस के आधार पर बढ़ाने का प्रावधान है।
यानी गाड़ी चकाचक है तो निजी वाहनों को कंडम होने से बचाया जा सकता है। फिटनेस का मैनुअली सर्टिफिकेट तो जुगाड़ से लिया जा सकता है लेकिन मशीनों से फिटनेस चेक करने पर गड़बड़ी नहीं हो पाएगी।
आरटीओ ने कहा- अब एटीएस से होगी फिटनेस जांच
भोपाल आरटीओ जितेंद्र शर्मा ने कहा- अभी तक मैनुअली फिटनेस जांची जा रही थी। सोमवार से यह व्यवस्था पूरी तरह से बदल जाएगी। अब यहां ऑटोमैटेड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) से वाहनों की फिटनेस की जांच होगी।