भारत ने हमास के खिलाफ जंग के बीच इजराइल को हथियार निर्यात किए हैं। कतर के मीडिया अलजजीरा ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है। इसके मुताबिक, भारत ने इजराइल को 20 टन रॉकेट इंजन, 12.5 टन विस्फोटक चार्ज वाले रॉकेट, 1500 किलो विस्फोटक सामान और 740 किलो गोला-बारूद सप्लाई किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 15 मई को बोरकम नाम का एक कार्गो जहाज स्पेन के तट पर पहुंचा था। यहां कुछ प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीनी झंडा लहराते हुए अधिकारियों से जहाज की जांच की मांग की।
EU संसद के वामपंथी सदस्यों ने स्पेन के राष्ट्रपति पेद्रो सांचेज से अपील की थी कि वे जहाज को स्पेन के तट पर रुकने की इजाजत न दे। हालांकि, इससे पहले कि स्पेन कोई फैसला करता, बोरकम जहाज वहां से स्लोवेनिया के कोपर तट पर चला गया।
चेन्नई से इजराइल के अश्दोद पोर्ट पहुंचा जहाज
स्पेन की वामपंथी समर पार्टी ने कहा था कि जहाज का जाना इस बात का सबूत है कि उस पर इजराइल के लिए हथियार लदे हुए थे। अब अलजजीरा ने इन दावों की पुष्टि की है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह जहाज 2 अप्रैल को चेन्नई के तट से रवाना हुआ था, जो इजराइल के अश्दोद पोर्ट जा रहा था।
यह तट गाजा पट्टी से करीब 30 किमी की दूरी पर मौजूद है। मरीन ट्रैकिंग वेबसाइट के हवाले से बताया गया कि जहाज ने इजराइल पहुंचने के लिए लाल सागर का रास्ता नहीं अपनाया, क्योंकि वहां हूती विद्रोही लगातार हमला करते रहते हैं।
अधिकारियों को इजराइल का जिक्र न करने का आदेश दिया गया
रिपोर्ट के मुताबिक, जहाज पर मौजूद क्रू सदस्यों के अलावा सभी कर्मचारी और एक्सपोर्ट से जुड़े अधिकारियों को सख्त आदेश दिया गया था कि पूछताछ होने पर वे किसी भी हाल में इजराइल या वहां की सबसे बड़ी हथियार बनाने वाली कंपनी IMI सिस्टम का जिक्र न करें।
इसके बाद 21 मई को भी भारत के एक कार्गो जहाज को स्पेन के कार्टाजीना पोर्ट पर रुकने की इजाजत नहीं मिली। स्पेनिश अखबार एल पाइस के मुताबिक, मैरिएन डैनिका नाम का जहाज 27 टन के विस्फोटक सामान के साथ इजराइल के हाइफा पोर्ट के लिए रवाना हुआ था।
नुसीरत कैंप पर हमले में इस्तेमाल हुई भारत में बनी मिसाइल
स्पेन के विदेश मंत्री होजे मैनुएल अल्बारेज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुष्टि की थी कि भारत से आ रहे जहाज को रुकने की इजाजत नहीं दी गई, क्योंकि उसमें इजराइल के लिए सैन्य सामग्री थी। 6 जून को गाजा के नुसीरत कैंप पर इजराइल की बमबारी के बीच फिलिस्तीनी मीडिया कुद्स न्यूज नेटवर्क ने एक वीडियो जारी किया था।
इसमें इजराइल की तरफ से दागी गई मिसाइल का हिस्सा दिख रहा था। इस हिस्से पर ‘मेड इन इंडिया’ का लेबल लगा हुआ था। कुद्स न्यूज ने दावा किया था कि इजराइल ने भारत से मिले हथियारों का इस्तेमाल करके गाजा पर हमला किया।
स्वीडन के थिंक टैंक SIPRI के मुताबिक, भारतीय कंपनी प्रीमियर एक्सप्लोजिव लिमिटिड रॉकेट मोटर के पार्ट्स का निर्माण करती है। इसका इस्तेमाल MRSAM और LRSAM मिसाइल में किया जाता है। कंपनी के ऐग्जीक्यूटिव डायरेक्टर टी चौधरी ने 31 मई को एक कॉन्फ्रेंस कॉल के जरिए ये बात स्वीकार की थी कि हमास जंग के बीच इजराइल को हथियार सप्लाई किए गए हैं।
इजराइली हथियारों की खरीद में टॉप पर भारत
भारत और इजराइल के बीच काफी पुराने रक्षा संबंध रहे हैं। पाकिस्तान और चीन के साथ हुए युद्धों में इजराइल ने भारत की मदद की थी। ये वह दौर था जब भारत को हथियारों की सख्त जरूरत थी। मीडिया हाउस हारेट्ज की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइली हथियारों को खरीदने वाले देशों में भारत टॉप पर है। 2019-2023 के बीच इजराइल के कुल डिफेंस एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी 37% थी।
जंग के दौरान भारत ने भी हथियार मुहैया कराने में इजराइल की मदद की है। ‘द वायर’ की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस और इजराइल के एल्बिट सिस्टम्स के बीच एक डील हुई है।
इसके तहत 20 से अधिक हर्मीस 900 यूएवी/ड्रोन को भारत में तैयार कर इजराइल भेजा गया है। इसके अलावा जंगी विमानों के कई पुर्जे भी इजराइल को दिए गए हैं। सरकार के स्वामित्व वाली म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड ने जनवरी 2024 में इजराइल को जंगी सामान निर्यात किया है।
भारत ने कोल्ड वॉर के बाद बदली हथियार खरीदने की स्ट्रैटजी
आजादी के बाद रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर बन गया था। हालांकि, नब्बे के दशक में शीत युद्ध का अंत होते ही भारत ने हथियार खरीदारी के मामले विविधता लाने की कोशिश की।
रूस के बाद अब अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश भी भारत के अहम रक्षा साझेदार बन चुके हैं। मोदी सरकार बनने के बाद से इजराइल और भारत के रक्षा संबंधों काफी मजबूत हुए।