भोपाल। मध्य प्रदेश में राजस्व बढ़ाने के लिए नवाचार अपनाएं। अन्य राज्यों के अच्छे प्रयासों को अपनाने के साथ राज्य की परिस्थितियों के अनुसार अधिक प्रभावी कार्ययोजना बनाने के लिए विषय-विशेषज्ञों की सलाह ली जाए। राजस्व प्राप्तियां बढ़ाने के लिए ईमानदारी से काम हो। यह भी देखा जाए कि भूमि के वास्तविक मूल्य और जिस दर पर रजिस्ट्री हो रही है, उसमें अधिक अंतर न हो। प्रदेश के जिन स्थानों पर दरों में अधिक असमानता है, वहां दरों को समायोजित किया।
यह निर्देश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राजस्व से संबंधित विभागों के अधिकारियों की मुख्यमंत्री आवास स्थित कार्यालय में हुई बैठक में दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आबकारी से जुड़ी गतिविधियों में जो राजस्व की हानि होती है उसे रोकने और नियमानुसार सामग्री का विक्रय सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिक निरीक्षण बढ़ाए जाएं।
राजस्व, धर्मस्व सहित अन्य विभागों की भूमियों पर अतिक्रमण न हो और ऐसी भूमियों के महत्व अनुसार राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि की दृष्टि से उनका उपयोग सुनिश्चित किया जाए। मध्य प्रदेश से निकलने वाले खनिज की निगरानी के लिए नई तकनीक का उपयोग करते हुए प्रदेश में नाकों की संख्या बढ़ाएं।
खनन की गतिविधियां पर निगरानी के लिए ड्रोन और सैटेलाइट सर्वे का उपयोग किया जाए। खनिज व्यवसाय में प्रदेश के व्यवसायियों को प्रोत्साहित करने के साथ प्रदेश में खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ाने के लिए नीति भी बनाई जाए।
वन संपदा और लकड़ी पर आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करें। देश में जिन स्थानों पर लकड़ी की मांग अधिक है, वहां प्रदेश की श्रेष्ठ लकड़ी की नीलामी की व्यवस्था विकसित की जाए। बैठक में वैट, जीएसटी, पंजीयन एवं मुद्रांक, खनिज साधन, आबकारी, राजस्व, परिवहन, ऊर्जा, वन और सिंचाई क्षेत्र से प्राप्त होने वाले राजस्व के लक्ष्य, वर्तमान स्थिति और आगामी कार्ययोजना पर चर्चा की गई। इस दौरान मुख्य सचिव वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया, एनएन मिश्रा, डा. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव वित्त मनीष सिंह सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।