अमेरिकी सांसदों ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट को चेतावनी दी

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अमेरिकी कांग्रेस के सांसदों ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ( ICC) को चेतावनी दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सांसदों ने कहा है कि अगर ICC इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सहित शीर्ष इजराइली अधिकारियों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करता है, तो उसे अंजाम भुगतना होगा। अमेरिका को डर है कि नेतन्याहू और उनके अफसरों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी होता है, तो इससे इजराइल और हमास के बीच जारी बातचीत प्रभावित होगी।

अमेरिकी मीडिया आउटलेट एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में ICC के खिलाफ वारंट को तैयार किया जा रहा है। इससे पहले अमेरिकी सांसद के स्पीकर माइक जॉनसन ICC के इस कदम की निंदा कर चुके हैं। उन्होंने इसे बेहद शर्मनाक बताया था। वहीं अमेरिका का विदेश मंत्रालय भी कह चुका है कि ये ICC के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

नेतन्याहू से पहले ICC ने यूक्रेन पर युद्ध के आरोप में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। हालांकि उन्हें कोई भी देश गिरफ्तार नहीं कर सका है।

वारंट टालने की कोशिश कर रहा इजराइल

 ICC गाजा में हमले को लेकर इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू सहित कई इजराइली अधिकारियों के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर सकता है। इसी कारण से इजराइल अरेस्ट वारंट टालने की कोशिश कर रहा है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने अरेस्ट वारंट के मामले को उठा चुके हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर अपना विरोध व्यक्त किया था। नेतन्याहू ने कहा था कि इजराइल कभी भी अपने आत्मरक्षा के अधिकार के साथ समझौता नहीं करेगा। मिडिल ईस्ट के एक मात्र लोकतांत्रिक यहूदी देश पर यह आरोप बेहद अपमानजनक है। हम इसके आगे नहीं झुकेंगे। इजराइल आतंकवादियों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा। हम अपनी रक्षा करना बंद नहीं करेगा।

ICC वारंट पर इजराइली कैबिनेट की मीटिंग भी हो चुकी है। मीटिंग में अरेस्ट वारंट टालने के लिए ICC और दूसरे डिप्लोमैटिक अधिकारियों से संपर्क करने पर सहमति बनी थी।इसके अलावा PM नेतन्याहू ने ब्रिटेन और जर्मनी के विदेश मंत्रियों से भी इस मामले में मदद मांगी थी।

गिरफ्तारी के लिए बाध्य नहीं देश
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सभी सदस्य देशों को वारंट भेजता है। ICC का ये वारंट सदस्य देशों के लिए सलाह की तरह होता है और वो इसे मानने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। इसकी वजह यह है कि कोई भी देश अपने आतंरिक और विदेश मामलों में नीति बनाने के लिए स्वतंत्र होता है। दूसरी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की तरह ही ICC भी हर देश की संप्रभुता का सम्मान करती है।

अपने 20 साल के इतिहास में ICC ने मार्च 2012 में पहला फैसला सुनाया था। ICC ने ये फैसला डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के उग्रवादी नेता थॉमस लुबांगा के खिलाफ सुनाया था। जंग में बच्चों को भेजे जाने के आरोप में उसके खिलाफ केस चलाया गया था। इस आरोप में उसे 14 साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी।

2002 में शुरू हुआ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट
1 जुलाई 2002 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी ICC की शुरुआत हुई थी। ये संस्था दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है। ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए गए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है।

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का मुख्यालय द हेग में है। ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं। ICC ने यूक्रेन में बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के आरोपों के आधार पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था