विदर्भ से किसी किसान नेता को स्पीकर का पद देकर महाविकास अघाड़ी और कांग्रेस पार्टी ने किसानों को संदेश देने की कोशिश की है. चुनाव के बीच भी तमाम नेताओं ने विदर्भ जाकर किसानों का हाल जाना था और सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किसानों का कर्ज माफ करने की बात कही थी.
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार ने न सिर्फ विधानसभा में मजबूती से बहुमत साबित किया बल्कि गठबंधन प्रत्याशी नानाभाऊ पटोले भी सदन में निर्विरोध रूप से स्पीकर चुने गए हैं. महाविकास अघाड़ी ने कांग्रेस नेता नाना पटोले को स्पीकर जैसा अहम पद देकर विदर्भ इलाके के साथ-साथ ओबीसी समुदाय को भी साधने की कोशिश की है. पटोले की पहचान एक किसान नेता के तौर पर है और वह राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं.
स्पीकर पद के लिए बीजेपी ने किशन कथोरे को अपना प्रत्याशी बनाया था. हालांकि बाद में विधानसभा की परंपरा को ध्यान में रखते हुए विपक्षी दल ने अपना प्रत्याशी वापस ले लिया और निर्विरोध स्पीकर चुनने की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की बाधाओं को टाल दिया. पटोले को मोदी विरोधी के तौर पर पहचान मिली, साथ ही वह किसान नेता हैं और विदर्भ की जमीन से ताल्लुक रखते हैं. यही उनके स्पीकर बनने की मुख्य वजह रही है.
किसानों को संदेश
नाना पटोले फिलहाल सकोली विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हैं लेकिन 2014 में उन्होंने बीजेपी की टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था. महाराष्ट्र में विदर्भ क्षेत्र का काफी प्रभाव है और वहां के किसानों की समस्या देशभर में चर्चा का मुद्दा बनती हैं. ऐसे में उसी विदर्भ से किसी किसान नेता को स्पीकर का पद देकर महाविकास अघाड़ी और कांग्रेस पार्टी ने किसानों को संदेश देने की कोशिश की है. चुनाव के बीच भी तमाम नेताओं ने विदर्भ जाकर किसानों का हाल जाना था और सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किसानों का कर्ज माफ करने की बात कही थी. अपने पहली प्रेस वार्ता में ठाकरे ने कहा था कि किसानों को हुए नुकसान का आकलन करने को कहा गया है और आंकड़े आते ही बड़ा ऐलान किया जाएगा.
विधानसभा में बीजेपी की ओर से स्पीकर पद का उम्मीदवार वापस लेने के बाद नाना पटोले को निर्विरोध स्पीकर चुनाव गया. उनके निर्वाचन पर सदन में सीएम उद्धव ने कहा कि नाना पटोले किसान परिवार से आते हैं, इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि वे सभी को न्याय दिलाएंगे. पटोले किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और ऐसे में पार्टी देशभर में किसान हितैषी होने के संकेत देना चाहती है. महाविकास अघाड़ी सरकार की भी मंशा है कि विधानसभा में पटोले को किसानों के प्रतिनिधि के तौर पर प्रस्तुत किया जाए जिससे राज्यभर के किसानों को यह भरोसा जताया जाए कि सरकार उनकी समस्याओं को लेकर सजग है.
हर दल के अजीज
कांग्रेस विधायक नाना पटोले पहले बीजेपी और शिवसेना में भी रह चुके हैं. ऐसे में सरकार में शामिल शिवसेना और कांग्रेस के लिए तो उनकी स्वीकार्यता ज्यादा है ही साथ में विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं से भी उनके संबंध बेहतर माने जाते हैं. साल 2014 में पटोले ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और एनसीपी के दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल को हराया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानबाजी करने के बाद पटोले ने बीजेपी का दामन छोड़ फिर से कांग्रेस का हाथ थाम लिया.
पटोले इससे पहले शिवसेना में भी रह चुके हैं और साल 2009 में उन्होंने किसानों और विदर्भ के विकास के मुद्दे पर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद वो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े और दूसरा स्थान हासिल किया. इस चुनाव में एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल को जीत मिली थी.
बीजेपी में रहते मोदी की आलोचना
नाना पटोले 2014 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीते लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी पर किसान विरोधी होने का आरोप लगा था. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के तीन साल बाद पटोले प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने लगे थे. पटोले ने नागपुर में हुए एक कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि पीएम मोदी किसी की भी बात नहीं सुनते और पार्टी बैठक में पीएम ने उन्हें उस वक्त अपनी बात नहीं रखने दी थी, जब वो किसानों का मुद्दा उठा रहे थे.