महाराष्ट्र में गैर भाजपा सरकार बनने के बाद राष्ट्रीय जनता दल भले ही बिहार में भी गैर भाजपा दलों के गठबंधन बनाने के प्रयास कर रहा हो लेकिन जनता दल यू ने फिलहाल ऐसी कोशिशों से दूरी बना ली है। ऐसे में बिहार में महाराष्ट्र फार्मूला लागू होता नहीं दिख रहा।
जदयू महासचिव केसी त्यागी ने शनिवार शाम ऐसे किसी गठबंधन की संभावना से साफ इंकार किया। अमर उजाला से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा और लोजपा के साथ उनका गठबंधन बहुत मजबूत है। अलग पृष्ठभूमि के आने की वजह से उनके बीच कुछ मुद्दों पर अलग राय हो सकती है लेकिन साथी दलों के बीच कोई टकराहट नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव भले ही राजद और जदयू ने मिलकर लड़ा हो लेकिन नेतृत्व तब भी नीतीश कुमार का था और आज भी उन्हीं का ही है।
इससे पहले राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि बिहार में अगर गैर भाजपा दल साथ आए और महाराष्ट्र फार्मूला लागू हुआ तो बीजेपी निश्चित तौर पर हार जाएगी। उन्होंने कहा था कि बीजेपी को हराने के लिए नीतीश कुमार को राजद के साथ आने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
इस पर त्यागी का कहना है कि जिन बातों को लेकर जदयू ने राजद का साथ छोड़ा था वे कारण अभी भी जस के तस बने हुए हैं – भ्रष्टाचार, परिवारवाद और संकीर्ण जातिवाद। अभी भी राजद अध्यक्ष तेजस्वी यादव सहित लालू यादव के परिवार के सदस्यों पर भ्रष्टाचार के मुकदमे चल रहे हैं। इसलिए उनसे तालमेल की कोई गुंजाइश ही नहीं है।
जदयू ने 2010 का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था और 243 सीटों वाली विधानसभा में दोनों दलों ने मिलकर 206 सीटें जीती थी। तब राजद को सिर्फ 22 सीटें मिली थी और नेता विपक्ष का पद भी नहीं मिल पाया था। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और तीनों दलों ने मिलकर 178 सीटें जीती थीं। लेकिन तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर प्रवर्तन निदेशालय की जांच के बाद दोनों दलों में अलगाव हो गया और तब जदयू ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई।
एनडीए में जदयू है बड़ा भाई
पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू को साथ रखने के लिए भाजपा ने 17-17 सीटों पर लड़ने का फार्मूला दिया और अपनी जीती हुई 5 सीटें भी जदयू के कोटे में दे दीं। हाल ही में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जदयू को एनडीए गठबंधन में बड़ा भाई करार दिया और उनके नेतृत्व में ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दिए।