कन्कशन टेस्ट और कन्कशन सब्सिट्यूशन

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कन्कशन सब्सिट्यूशन सिर में लगी चोट के मामलों में मिलते हैं। बांग्लादेश टीम के दो खिलाड़ियों के हेलमेट पर गेंद लगने के कारण उसे यह कन्कशन सब्सिट्यूशन मिले हैं। किसी टीम को कन्कशन सब्सिट्यूशन तब मिलते हैं। जब विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ बुनियादी बातों को ख्याल में रखकर खिलाड़ी की जांच करता है। वह खिलाड़ी का संतुलन जांचता है, और उससे पूछता है कि क्या उसे चक्कर आ रहे हैं? या उल्टी आ रही है? इसके साथ ही वह खिलाड़ी की याददाश्त की भी जांच करता है, इसके लिए कुछ सवाल पूछे जाते हैं- जैसे कि शहर का नाम और कुछ अन्य सवाल। साथ ही खिलाड़ी को कुछ पढ़ने के लिए भी दिया जाता है। देखा जाता है कि क्या वह इन सब प्रक्रियाओं के दौरान सामान्य था। इसके बाद ही आगे का फैसला किया जाता है। कुल मिलाकर खिलाड़ी के सिर पर चोट लगने के बाद उसकी चेतना का सही तौर पर परीक्षण किया जाता है।
खेल संस्थाएं सिर की चोट को लेकर पहले इतनी गंभीर नहीं थीं। कन्कशन के लक्षण कई बार फौरन नजर नहीं आते, जबकि हाथ या पैर की चोट के साथ ऐसा नहीं है। जब किसी अन्य चोट में दर्द अगर बहुत ज्यादा हो तो खिलाड़ी को इस बात का अंदाजा लग जाता है कि वह अब और नहीं खेल सकता लेकिन सिर की चोट की बात कई बार अलग होती है। ऐसे में संभव है कि सिर पर चोट लगने के बाद भी खिलाड़ी टीम के लिए मैदान पर डटे रहना चाहे। इससे कई बार सिर की चोट अधिक गंभीर होने की आशंका बढ़ जाती है। इस वक्त कोई जानकार आदमी जांच कर खिलाड़ी को समझा सकता है कि उसके लिए मैदान से बाहर जाना ही सही है। दरअसल, आईसीसी चाहती है कि सिर की चोट को गंभीरता से लिया जाए।
क्या है अन्य खेल में नियम
रग्बी में यह नियम है कि जब भी खिलाड़ी को सिर पर चोट लगे तो उसे हर हाल में मैदान के बाहर ले जाया ही जाएगा। ऐसा इसलिए कि कई बार कन्कशन के लक्षण फौरन नजर नहीं आते। अगर पूरी जांच के बाद कन्कशन के कोई लक्षण नजर नहीं आते तभी उसे मैदान पर लौटने की परमिशन दी जाती है।
क्रिकेट में बोर्ड पर काफी कुछ निर्भर
अब क्रिकेट इसमें एक कदम पीछे है। यहां बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी टीमों को सौंपी गई है। कुछ ही टीमें डॉक्टर्स के साथ टूर करती हैं। हालांकि आईसीसी ने मेजबान बोर्ड को डॉक्टर उपलब्ध रखने को कहा है।
कन्कशन सब्सिट्यूट ही क्यों, बाकी चोट में क्यों नहीं
खेल संस्थाएं सिर की चोट को लेकर पहले इतनी गंभीर नहीं थीं। कन्कशन के लक्षण कई बार फौरन नजर नहीं आते, जबकि हाथ या पैर की चोट के साथ ऐसा नहीं है। उदाहरण के लिए जब किसी अन्य चोट में दर्द अगर बहुत ज्यादा हो तो खिलाड़ी को इस बात का अंदाजा लग जाता है कि वह अब और नहीं खेल सकता लेकिन सिर की चोट की बात कई बार अलग होती है। ऐसे में संभव है कि सिर पर चोट लगने के बाद भी खिलाड़ी टीम के लिए मैदान पर डटे रहना चाहे। यह 'बहादुरी' भी सिर की चोट को अधिक गंभीर बना देती है। इस वक्त कोई जानकार आदमी जांच कर खिलाड़ी को समझा सकता है कि उसके लिए मैदान से बाहर जाना ही सही है। दरअसल, आईसीसी चाहती है कि सिर की चोट को आवश्यक गंभीरता से लिया जाए।
लाबुशेन थे पहले कन्कशन सब्सिट्यूट
मार्नस लाबुशेन पहले कन्कशन सब्सिट्यूट खिलाड़ी थे। एशेज सीरीज के दूसरे टेस्ट के दौरान जब स्टीव स्मिथ के हेलमेट पर जोफ्रा आर्चर की गेंद लगी तो उसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने लाबुशेन को कन्कशन सब्सिट्यूट बनाया।