महाराष्ट्र में सोमवार की शाम को राजनीतिक घटनाक्रम किसी थ्रिलर और सस्पेंस फिल्म की तरह चला। जिसमें शिवसेना द्वारा दिन भर सरकार और अपना मुख्यमंत्री बनाने का देखा सपना अंतत: टूट गया। वहीं गेंद एनसीपी के पाले में आ गई कि क्या वह सरकार बना सकती है। रविवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सरकार बनाने की इच्छा और दावे के पत्र के लिए शिवसेना को 24 घंटे दिए थे। मगर इन समयावधि में शिवसेना कांग्रेस-एनसीपी से समर्थन की चिट्ठी हासिल नहीं कर सकी। इसमें भी एंटी-क्लाइमेक्स यह हुआ कि राज्यपाल ने 8.30 बजे एनसीपी को सरकार बनाने का पत्र देने के लिए राजभवन बुला लिया।
एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार राज्यपाल से मिलने गए। राज्यपाल ने एनसीपी को भी 24 घंटे का समय दिया है। राज्यपाल द्वारा दिए गए प्रस्ताव के मुद्दे पर मंगलवार को सुबह 10 बजे दिल्ली में वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की बैठक होगी। जबकि एनसीपी दोपहर में एक बजे अपने कोर ग्रुप के साथ बैठक करेगी।
राज्यपाल से मिलने के बाद एनसीपी के जयंत पाटिल ने मीडिया से कहा कि राज्यपाल ने हमें तीसरा सबसे बड़ा दल होने के नाते सरकार बनाने के लिए बुलाया है। हमें उन्होंने कल रात 8.30 बजे तक का समय दिया है। पाटिल के मुताबिक उन्होंने राज्यपाल से कहा है कि वह अपने गठबंधन सहयोगी (कांग्रेस) से बात करने के बाद जल्दी से जल्दी अपना निर्णय बता देंगे।
इस घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण एकाएक बदल गए हैं। शाम तक शिवसेना को समर्थन देकर उसकी सरकार बनवाने की जिम्मेदारी लेने वाली एनसीपी अब सरकार बनाने की स्थिति में होगी लेकिन समस्या यही है कि उसके पास कांग्रेस को मिलाकर भी 288 की विधानसभा में जरूरी 145 का जादुई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में सबकी नजर इस पर होगी कि क्या शिवसेना इस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए समर्थन देगी।
ऐसा हुआ तो शिवसेना के लिए बहुत ही हास्यास्पद स्थिति बन जाएगी क्योंकि भाजपा के साथ गठबंधन में उसे सरकार में नंबर दो की पोजिशन मिल रही थी। जिस मुख्यमंत्री पद के लिए वह अड़ी थी, वह अब उसे किसी हाल में नहीं मिलेगा। जानकारों के अनुसार शिवसेना के सामने अब एनसीपी यह प्रस्ताव रख सकती है कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए उसे साथ में आना चाहिए।
शिवसेना ने चुकाई भारी कीमत
शिवसेना ने राज्य में सरकार बनाने का सपना देखते हुए, अपने अड़ियल रवैये से भारी कीमत चुकाई है। सुबह उसके मंत्री अरविंद सावंत ने नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। अब शिवसेना केंद्र सरकार से भी बाहर है और राज्य में भी न उसकी सरकार बन रही है और न ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल रही है। उसकी स्थिति माया मिली न राम वाली हो गई है। अब सबकी नजरें इस पर है कि क्या शिवसेना की राहें एनडीए से भी जुदा हो जाएंगी? एनसीपी ने शिवसेना के सामने रविवार को शर्त रखी थी कि अगर वह सरकार बनाने के लिए समर्थन चाहती है तो केंद्र सरकार में उसके मंत्री को इस्तीफा देना होगा और उसे भाजपा से सारे संबंध तोड़ने होंगे।
खिल गए भाजपाइयों के चेहरे
सोमवार को दिन भर तनाव में दिखने वाले भाजपा नेताओं के चेहरे शाम को शिवसेना के हाथ से खिसकी बाजी के बाद खिल गए। राज्यपाल द्वारा एनसीपी से सरकार बनाने का इरादा जानने के बाद भाजपा ने मंगलवार को टाली हुई अपनी राज्य कोर कमेटी की बैठक आनन-फानन में बुलाई। इस बैठक के बाद भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने मीडिया से कहा कि हम सारे राजनीतिक घटनाक्रम पर बारीक नजर रखे हुए हैं। हम वेट एंड वॉट की भूमिका में है। राज्य की राजनीति को लेकर कोई भी ठोस फैसला समय आन पर करेंगे।