एक के बाद एक चुनावी जीत हासिल कर रही बीजेपी का अब सबसे बड़ा लक्ष्य 2019 का लोकसभा चुनाव है. उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत हासिल करने के बाद अब बीजेपी की नजर सीधे 2019 में होने वाले आम चुनावों पर है. हालांकि उससे पहले कई राज्यों में चुनाव होने हैं, लेकिन यूपी फतह के बाद बीजेपी के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य 2019 ही है. इसलिए सत्ता में वापसी के लिए भारतीय जनता पार्टी ने विकास के एजेंडे पर जोर देने के अलावा मुस्लिमों को लुभाने की रणनीति पर जोर देना शुरू कर दिया है. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा तीन तलाक है, जिस पर बीजेपी के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खुलकर सामने आ गए हैं.
तीन तलाक पर फिर बोले पीएम
दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के आखिरी दिन बीजेपी के राजनीतिक प्रस्ताव से यह संकेत मिलता है कि वह अपने साथ दूसरे नए सामाजिक समूहों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करेगी. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मुस्लिम समुदाय को आकर्षित करने की कोशिश की. इसमें मुस्लिम महिलाएं और गरीब शामिल रहे. बीजेपी का इस समय सबसे ज्यादा जोर मुस्लिम महिलाओं पर है, इसलिए तीन तलाक को एक खराब सामाजिक प्रथा करार देते हुए मोदी ने कहा कि इस तरह की चीजें सामाजिक जागरूकता के जरिए खत्म की जा सकती है. उन्होंने कहा कि तीन तलाक से मुस्लिम बहनों को दिक्कत हो रही है और केंद्र सरकार इस पर जल्द हल चाहती है. मोदी ने कहा, हमें समाज में संघर्ष की इजाजत नहीं देनी चाहिए. हम इस मुद्दे पर मुस्लिम समाज में कोई संघर्ष नहीं चाहते है. हमें इन बुरी प्रथाओं को सामाजिक जागरूकता से खत्म करने की जरूरत है.
यूपी चुनाव में मिली कामयाबी
बीजेपी लगातार तीन तलाक के मुद्दे पर मुखर है और उसका दावा भी है कि उसे इस मसले पर मुस्लिम महिलायों को मिला है. यूपी चुनाव में भी तीन तलाक को जमकर मुद्दा बनाया गया. बीजेपी मानती है कि तीन तलाक के विरोध के चलते उसे यूपी चुनाव में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं का वोट मिला. ऐसे में लगातार इस मुद्दे को उठाना और पीएम का बार-बार इस पर बयान देना बताता है कि आने वाले चुनावों में भी इसे भुनाने की कोशिश है. योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में भी उत्तर प्रदेश की दर्जनों मुस्लिम महिलाएं रोजाना पहुंच रही हैं और तीन तलाक पर न्याय की मांग कर रही हैं. एक कार्यक्रम में योगी ने कहा कि ट्रिपल तलाक महिलाओं के अधिकार पर हमला है लेकिन कुछ लोगों के मुंह क्यों बंद हैं. योगी ने इस मामले पर द्रौपदी के चीरहरण का उदाहरण दिया.
सुप्रीम कोर्ट करेगा लगातार सुनवाई
तीन तलाक का मुद्दा अभी सुप्रीम कोर्ट में है. इसे मसले को संवैधानिक पीठ को सौंप दिया गया है. शीर्ष अदालत ने इसके लिए पांच सदस्यीय बेंच गठित की है जो 11 मई से सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने यहां तक कहा कि यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है. इसे टाला नहीं जा सकता. इसकी सुनवाई के लिए अदालत शनिवार और रविवार को भी काम करने को तैयार है. अगर सरकार सहयोग करे, तो गर्मी की छुट्टियों में भी मामले की सुनवाई की जा सकती है. इस मामले को जल्द से जल्द निपटाने के लिए सभी पक्षों का सहयोग जरूरी है.
खुलकर सामने नहीं आए विरोधी
हालांकि विरोधी दलों ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे पर बीजेपी मुस्लिमों को बांटने की कोशिश कर रही है. बीजेपी तो इस मुद्दे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रही है. वहीं दिग्विजय सिंह ने कहा कि बीजेपी अपनी नाकामी को छुपाने के लिए इन मुद्दों को उठा रही है. वहीं मायावती ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ पक्का करने के लिए सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुरूप इस पर फैसला देगा. मायावती ने तीन तलाक के मुद्दे पर मोदी की आलोचना की और कहा कि ऐसे मसले मुस्लिम समुदाय पर छोड़ देने चाहिए. इसे राजनीतिक फायदे के लिए विशेष तौर पर चुनाव के मौके पर नहीं उछालना चाहिए.
मुस्लिम शरीयत कानून ही मानेंगे: आजम
जबकि समाजवादी पार्टी नेता आजम खान का कहना है कि देशभर में इस मुद्दे पर जो भी बहस चल रही है, उन्हें मुद्दे के बारे में नहीं पता है. उन्होंने कहा कि अगर शरीयत लॉ के खिलाफ भी कोई आदेश आता है, तो मुस्लिम लोग शरीयत कानून को ही मानेंगे. आजम बोले कि सच तो यह है कि जो लोग शरीयत कानून के खिलाफ जाएंगे उन्हें समाज से बॉयकॉट करना चाहिए.
AIMPLB ने स्पष्ट किया अपना रुख
इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि वो इस मसले को शरीयत के रोशनी में ही देखेंगे और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपनी राय रखेंगे. बोर्ड ने कहा कि जिन महिलाओं के साथ तीन तलाक में अन्याय हुआ है, बोर्ड उनके लिए हरसंभव मदद को तैयार है. तीन तलाक को जितना बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, मामला उतना संगीन नहीं है. जितना बताया जा रहा है उसका 10 प्रतिशत भी नहीं है. मुस्लिम बोर्ड का मानना है कि सोशल मीडिया का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर इस्लाम और शरीयत के खिलाफ बनाया गया भ्रम दूर किया जाएगा. देश में सबसे बड़ा सिग्नेचर कैम्पेन लॉन्च किया है और जो आंकड़े आए हैं, उसमें 5 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं ने शरीयत के साथ रहने पर अपनी सहमति दी है. बोर्ड ने साफ किया कि शरीयत कारणों के बिना तीन तलाक देने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले प्रस्ताव पर चर्चा के समय पीएम मोदी ने सुझाव देते हुए कहा कि मुस्लिम पिछड़े समाज के लिए भी बीजेपी को सम्मेलन करने चाहिए, क्योंकि वो भी सबसे पिछड़े तबके में शामिल है. इस प्रस्ताव को हुकुम देव सिंह यादव ने रखा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, रघुवर दास और धर्मेंद्र प्रधान समेत कार्यकारिणी में तमाम ओबीसी नेताओं ने प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया.