MP की सड़कों पर फिर दौड़ सकती हैं सरकारी बसें, सार्वजनिक परिवहन को शुरू करने की तैयारी

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भोपाल। प्रदेश में लोक परिवहन सेवा को नए स्वरूप में प्रारंभ करने की तैयारी है। मेट्रो रेल कारपोरेशन की तरह एक कंपनी बनाकर पूर्व के सड़क परिवहन निगम की तरह सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बढ़ाया जाएगा। कंपनी को राज्य सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जा सकता है।

अभी अलग-अलग सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित लोक परिवहन सेवाओं का नियंत्रण इस कंपनी को देने पर विचार चल रहा है। परिवहन विभाग यह परीक्षण कर रहा है कि लोगों के सुगम यातायात के लिए सार्वजनिक परिवहन का कौन सा माॅडल उचित हो सकता है।

हालांकि, विभाग के अधिकारियों का साफ कहना है निजी बस ऑपरेटरों से अनुबंध कर उन्हें सार्वजनिक परिवहन में शामिल नहीं किया जाएगा। दूसरा, सार्वजनिक परिवहन सुविधा एक साथ नहीं बल्कि चरणबद्ध तरीके से प्रारंभ की जाएगी।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लोक परिवहन को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रारंभ करने की इच्छा जताई है। वर्ष 2005 में सड़क परिवहन निगम बंद होने से प्रदेश स्तरीय सार्वजनिक परिवहन सेवा नहीं है। स्थानीय स्तर पर नगरीय निकायों द्वारा कंपनी बनाकर कुछ बसों का संचालन किया जाता है।

नईदुनिया ने चलाया था अभियान

लोगों की परिवहन समस्या को देखते हुए वर्ष 2021 में नईदुनिया ने लोक परिवहन फिर से शुरू करने के लिए संपादकीय अभियान भी चलाया। नईदुनिया से बातचीत में सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों ने भी सार्वजनिक परिवहन को बड़ी आवश्यकता बताया था। निगम को फिर प्रारंभ करने के लिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है।

ऐसा हो सकता है सार्वजनिक परिवहन का माॅडल

  • स्थानीय निकाय में बसों का संचालन करने वाली कंपनी, ग्रामीण परिवहन सेवा, मप्र पर्यटन विकास निगम सहित सरकार के नियंत्रण वाली अन्य कंपनियों को एक कंपनी की परिधि में लाया जाए।
  • सार्वजनिक परिवहन सुविधा सबसे पहले उन मार्गों पर प्रारंभ की जाए जहां निजी बसें भी कम हैं।
  • इसके लिए शुरुआत में आदिवासी बहुल या पिछड़े जिलों को जोड़ने वाले मार्गों को लिया जा सकता है।
  • प्रदेश के धार्मिक व पर्यटन स्थलों को जोड़ने के लिए बसों का संचालन प्रारंभ किया जा सकता है।
  • कुछ रूट पर बसों के संचालन के बाद सफलता के अनुसार अन्य मार्गों पर सेवा प्रारंभ की जा सकती है।
  • कुछ विशेष वर्ग के लोगों की किराये में छूट का प्रविधान किया जा सकता है।
  • निगम की अचल संपत्तियां अभी भी हैं जिनका उपयोग किया जाएगा।

2005 में बंद हो गया था सपनि, शुरू करने के लिए नईदुनिया ने चलाया था अभियान

  • घाटे में चलने के कारण वर्ष 2005 में भाजपा की तत्कालीन बाबूलाल सरकार के समय मप्र सड़क परिवहन निगम (सपनि) को बंद करने का निर्णय हुआ था।
  • हालांकि, बंद करने की तैयारी वर्ष 2003 के पहले कांग्रेस सरकार के समय से ही प्रारंभ हो गई थी।
  • निगम की देनदारियां 1033 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थीं, जिसमें 183 करोड़ रुपये तो कर्मचारियों को देने थे।
  • आदेश के अनुसार वर्ष 2010 में बसों का संचालन पूरी तरह से बंद हो गया।
  • इसके बाद निजी बस ऑपरेटरों की मनमानी बढ़ गई।