गरियाबंद. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद (Gariaband) जिले का किडनी बीमारी प्रभावित सुपेबेड़ा (Supebeda) गांव एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. विधानसभा (Assembly) में पेश किये गये आंकड़ों और ग्रामीणों द्वारा इलाज कराने से इनकार करने के कारण ये गांव सुर्खियों में है. क्षेत्र में चारों ओर सुपेबेड़ा को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. चर्चा हो रही है कि सरकार आखिर सुपेबेड़ा को लेकर इतनी असंवेदनशील क्यों है? समस्यायों से जूझ रहे इस गांव को लेकर सरकार गंभीर क्यों दिखाई नहीं दे रही है.
गरियाबंद (Gariaband) के सुपेबेड़ा (Supebeda) गांव में किडनी की बीमारी (Kidney disease) से पिछले तीन सालों में मौत (Death) का सिलसिला जारी है. मौत का आंकड़ा 56 से बढकर 71 हो गया. इसमें से तीन मौतें पिछले 6 महीने के अंदर हुई हैं. सुपेबेड़ा की बीते एक साल में यही पहचान है. मगर राज्य सरकार में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdev) द्वारा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 26 नवंबर को पेश किये गये उन आंकड़ों ने सबको चौंका दिया, जिसमें सरकार ने दावा किया है कि सुपेबेड़ा में बीते एक साल में कोई मौत किडनी की बीमारी से नहीं हुई.
मरीजों का इलाज से इनकार
26 नवंबर को जब सरकार विधानसभा में सुपेबेड़ा को लेकर आंकड़े पेश कर रही थी, उसी समय गांव स्वास्थ्य कैंप चल रहा था, जहॉ डॉक्टर मरीजों के पहुंचने का इंतजार कर रहे थे, मगर दिनभर में महज 10 मरीज ही इलाज कराने पहुंचे. जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गांव में 200 से ज्यादा किडनी के मरीज हैं. फिलहाल ज्यादातर ग्रामीणों ने इलाज कराने से साफ मना कर दिया है. ग्रामीण लव कुमार नागेश के मुताबिक इलाज से कोई फायदा नहीं है. बल्कि उनके गांव का नाम बार बार मीडिया में आने से उनके समाजिक संबंध खराब हो गये हैं. ग्रामीणों ने अब बीमारी का इलाज कराने की बजाय अपने समाजिक संबंध ठीक करने का फैसला लिया है.
बढ़ रहे मरीज
सुपेबेड़ा में किडनी के मरीज बड़ी संख्या में मौजूद हैं. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो चुका है. किडनी की बीमरी से प्रभावित गांव 71 लोगों की मौत हो चुकी है. गांव में लगे शिविर में स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसके विंदवार के साथ पहुंचे नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. विनय राठौड़ ने भी माना कि अभी भी नये मरीज सामने आ रहे हैं. उन्होंने ये भी दावा किया कि मरीजों के साथ तालमेल बिठाने में थोड़ा समय लगता है और वे इसके लिए काम कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को नि:शुल्क दवाई वितरण किये जाने की भी बात कही है.